25 Apr 2024, 23:19:44 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

रफी मोहम्मद शेख इंदौर। इंस्टिट्यूट आॅफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (आईईटी) का रुतबा देश और प्रदेश में सबसे प्रतिष्ठित कॉलेज का है, लेकिन इस साल इसके सबसे बड़े कोर्स मास्टर आॅफ इंजीनियरिंग की हालत खस्ता है। पहली ही काउंसलिंग में फुल हो जाने वाले इन छह एमई कोर्सेस में मात्र एक ही पूरा भर पाया है। यहां तक कि गेट स्कोर की रैंकिंग भी बहुत नीचे चली गई है, बावजूद सीटें खाली हैं। इसके पीछे कारण यूजीसी द्वारा देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों की स्कॉलरशिप बंद करना बताया जा रहा है।

पहले यह होता था आलम
पहली बार इतनी कम संख्या में विद्यार्थियों ने काउंसलिंग के लिए आवेदन किया, अन्यथा पिछले सालों में कम से कम 1000 विद्यार्थी आवेदन करते रहे हैं।

सुना और वापस चले गए
आईईटी में छह एमई कोर्सेस में रेगुलर यानी दो साल के फुल टाइम कोर्स के लिए 108 सीटें हैं। प्रत्येक में 18-18 विद्यार्थियों को एडमिशन मिलता है, जबकि प्रत्येक कोर्स में 10-10 सीटें तीन साल के पार्ट टाइम कोर्स के लिए हंै। ये सीटें स्पॉनसर्ड होती हंै, लेकिन इस बार इन सीटों में एडमिशन नहीं हुए हैं। मात्र थर्मल इंजीनियरिंग में चार एडमिशन हुए हैं। बाकी में एक एडमिशन को छोड़कर अभी तक विद्यार्थी ही नहीं हैं। 70 में से 48 विद्यार्थी ऐसे थे, जो एडमिशन के लिए पहुंचे, लेकिन बैरंग लौट गए। खास बात यह रही कि एमई में एडमिशन के लिए गेट परीक्षा के स्कोर मायने रखते हंै। बीई के बाद होने वाली इस परीक्षा के स्कोर हमेशा से आईईटी में हाई ही जाते हैं। कुल 1000 के स्कोर में यह स्कोर सामान्यत: 700 तक जाता है, लेकिन इस बार यह घटकर सीधे 250 तक पहुंच गया है।

स्कॉलरशिप नहीं मिलना कारण
आईआईटी के मैकेनिकल डिपार्टमेंट के हेड डॉ. अशेष तिवारी के अनुसार यह स्थिति स्कॉलरशिप के कारण हुई है। विद्यार्थी को 12400 रुपए प्रतिमाह के हिसाब से दी जाती है। यूजीसी ने यूनिवर्सिटी के एमई कोर्सेस में इस साल से इसे देना बंद कर दिया है, जबकि कॉलेजों में यह जारी रखी गई है। बीई पासआउट विद्यार्थी बिना स्कालरशिप यह कोर्स करने के लिए तैयार नहीं हंै। अब बिना गेट स्कोर वाले विद्यार्थियों को एडमिशन की तैयारी की जा रही है। ऐसा सालों बाद होगा।

किसी में 22 तो किसी में विद्यार्थी ही नहीं
एमई कोर्स प्रदेश के चुनिंदा कॉलेजों में है। एक ओर प्रदेशभर में बीई की सीटें हजारों में हैं, लेकिन एमई की गिनती की। यूनिवर्सिटी की प्रतिष्ठा, गवर्नमेंट कॉलेज होने और देशभर में रैंकिंग होने के कारण आईईटी में एडमिशन के लिए मारामारी रहती थी। 12 जुलाई को यहां एमई के लिए काउंसलिंग थी। 168 सीटों के लिए करीब 350 विद्यार्थियों ने आवेदन तो किया था, मगर काउंसलिंग में सिर्फ 70 विद्यार्थी पहुंचे। इनमें से मात्र 22 ने ही फुल टाइम कोर्स में एडमिशन लिया है। इसमें डिजाइन थर्मल इंजीनियरिंग कोर्स ही ऐसा रहा कि जिसमें पूरी 13 सीटें फुल हुई हैं। बाकी सभी कोर्स की स्थिति खराब है। डिजिटल इंस्ट्रूमेंटेशन में तो एक भी विद्यार्थी ने एडमिशन नहीं लिया है। दूसरी ओर डिजिटल कम्युनिकेशन व इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी में तीन-तीन और सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में एक सीट पर एडमिशन हुआ है। इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग की दो सीट पर ही एडमिशन हुए।

मास्टर आॅफ इंजीनियरिंग कोर्स
>    एमई (कम्प्यूटर इंजीनियरिंग) विथ स्पेशलाइजेशन इन सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग
>    एमई (इन्फॉर्मेशन टेक्नालॉजी) विथ स्पेशलाइजेशन इन इन्फॉर्मेशन सिक्युरिटी
>    एमई (इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंस्ट्रूमेंटेशन) विथ स्पेशलाइजेशन इन डिजिटल इंस्ट्रूमेंटेशन
>    एमई (इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेलीकम्युनिकेशन) विथ स्पेशलाइजेशन इन डिजिटल कम्युनिकेशन
>    एमई (मैकेनिकल इंजीनियरिंग) विथ स्पेशलाइजेशन इन इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट
>    एमई (मैकेनिकल इंजीनियरिंग) विथ स्पेशलाइजेशन इन थर्मल एंड डिजाइन इंजीनियरिंग

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