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60 हजार नए आयकर दाता बने, 4 लाख शंका के घेरे में

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 13 2016 10:33AM | Updated Date: Jul 13 2016 10:33AM
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विनोद शर्मा इंदौर। आयकर से परहेज करने वालों के खिलाफ मोदी सरकार का अभियान रंग लाया। एक करोड़ नए करदाताओं के टारगेट के मुकाबले 40 लाख नए करतदाता बने हैं। इसमें करीब 60 हजार इंदौर मुख्य आयकर आयुक्तालय के करदाता हैं। हालांकि विभाग और विभागीय विशेषज्ञों के अनुसार आयुक्तालय क्षेत्र में अब भी चार लाख लोग ऐसे हैं, जो आयकर के दायरे में आ सकते हैं। इसलिए सबंधित ठिकानों से लोगों के लेन-देन और खरीदी-बिक्री की जानकारी जुटाई जा रही है।

इंदौर सीसी क्षेत्र को 2015-16 में 1.5 लाख नए करदाता बनाने का लक्ष्य मिला था। उस वक्त करदाताओं की संख्या थी 4.63 लाख। अधिकारी-कर्मचारियों की हड़ताल व अन्य व्यस्तताओं के बावजूद करदाता बढ़ाओ अभियान जारी रहा। इसलिए करीब 60 हजार करदाता बढ़े और कुल करदाताओं की संख्या 5.20 लाख हो गई। हालांकि विशेषज्ञीय अनुमान के हिसाब से सीसी क्षेत्र के 16 जिलों में करीब चार लाख लोग और आयकर की पहुंच से दूर है।

ऐसे की है तलाश
विभाग ने रीजन के लोगों की संपत्ति, जिला पंजीयक कार्यालयों से संपत्ति की खरीदी-बिक्री, स्टाम्प शुल्क, सोने-चांदी व अन्य महंगी ज्वेलरी की खरीदी, बैंकों में जमा एफडी, पूंजी के साथ ही ब्याज व काटे जा रहे टीडीएस के रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं। प्रॉपर्टी ब्रोकर्स व अन्य ब्रोकर्स पर भी नजर है जो दलाली से लाखों रुपया कमाते हैं। स्थानीय प्रशासन से हायर रेट जोन वाले संपत्ति करदाताओं की लिस्ट के साथ स्वीकृत होने वाले बंगलों के साथ कॉलोनी, मॉल, मार्केट, मल्टियों के नक्शे की जानकारी भी ली जा रही है ताकि वहां बिकने वाले फ्लैट, दुकान व आॅफिसों की सही गणना की जा सके।

संयुक्त प्रयास...
फाइनेंशियल इंटेलीजेंस यूनिट (एफआईयू) और सरकारी-गैरसरकारी बैंकों का सेंट्रलाइज डाटा सेंटर भी इस काम में आयकर की मदद कर रहा है। रीजनल इकानॉमिक इंटेलिजेंस कमेटी (आरईआईसी) में पुलिस, लोकायुक्त, ईओडब्ल्यू, सीबीआई, वाणिज्यिक कर, सेंट्रल एक्साइज, डीआरआई, डीजीसीईआई व इनकम टैक्स एक दूसरे से इन्फॉर्मेशन एक्सचेंज कर रहे हैं, जिसका फायदा भी आयकर व अन्य कर विभागों को मिला है।

फिर क्यों दूर हैं आयकर से
>    सिर्फ इंदौर में वाहनों की कुल संख्या 16 लाख से अधिक है। इसमें चार पहिया चार लाख और कमर्शियल वाहन दो लाख से अधिक हैं। मतलब छह लाख। अब यदि एक लाख घरों में दो-दो कार है तो भी फोर व्हीलर रखने वाले ही तीन लाख लोग होते हैं। कमर्शियल वाहन वाले अलग। बाकी 15 जिलों के वाहनों की संख्या अलग।
>    नगर निगम में सालाना 25 हजार से ज्यादा नक्शे पास होते हैं। नक्शे सिर्फ वैध कॉलोनियों में ही पास होते हैं, जहां प्लॉट की कीमत औसत 2000 रुपए/वर्गफीट है। कंस्ट्रक्शन कॉस्ट 1000 रुपए/वर्गफीट। इस मान से प्लॉट सहित 1000 वर्गफीट का एक ही घर 30 लाख में तैयार होता है।
>    इंदौर में 350 से अधिक नई कॉलोनियां और टाउनशिप कटी है, जहां प्लॉट और फ्लैट की औसत कीमत ही 10 लाख है। कुल प्लॉट और फ्लैट करीब सात लाख हैं।
>    दो हजार से अधिक प्रॉपर्टी ब्रोकर है। इनमें से टैक्सपेयर हैं, करीब 350 ही। बाकी लोग अपनी कमीशन पर टीडीएस भी नहीं कटवाते।
>    500 से ज्यादा होस्टल हैं, रजिस्टर्ड आधे भी नहीं है। 

डाटा कलेक्शन हो रहा है

बड़ी तादाद में लोग मॉनीटरिंग में है। डाटा कलेक्शन हो रहा है। उम्मीद है जैसे इतने नए करदाता बने हैं वैसे ही ज्यादा से ज्यादा से ज्यादा लोग आयकर के दायरे में आएंगे।
- वी.के.माथुर, चीफ कमिश्नर इनकम टैक्स

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