रफी मोहम्मद शेख इंदौर। देशभर के स्कूलों में जल्द ही एक जैसा सिलेबस पढ़ाया जाएगा। साथ ही एक्जाम पैटर्न भी समान होगा। अभी अलग-अलग बोर्ड में अलग-अलग तरीके से पढ़ाई हो रही है। इसमें परीक्षा में अंक देने का फॉर्मूला भी अलग रहता है। व्यवस्था में एकरूपता की इस कमी का खामियाजा आखिरकार स्टूडेंट्स को उठाना पड़ रहा है। खासकर स्टेट बोर्ड के स्टूडेंट को, जो रिजल्ट में कम प्रतिशत आने के कारण कई प्रतियोगी परीक्षाओं से बाहर हो जाते हैं। मानव संसाधन विभाग की पहल पर देशभर के सभी एजुकेशन बोर्ड इस पर सहमत हो गए हैं।
मेरिट से हो जाते हैं बाहर: स्टेट बोर्ड के विद्यार्थियों का प्रतिशत हमेशा कम आता है। मध्यप्रदेश में ही देखें तो फर्स्ट क्लास में 46.89 प्रतिशत विद्यार्थी आए हैं, तो सीबीएसई में यह आंकड़ा 90 प्रतिशत तक है। आईसीएसई में तो 92 प्रतिशत तक विद्यार्थी फर्स्ट क्लास हैं। ऐसी ही स्थिति टॉपर्स के प्रतिशत की है। मप्र बोर्ड में टॉपर का प्रतिशत 94.8 है तो सीबीएसई में 99.4 व आईसीएसई में 99.5 प्रतिशत तक है। इस कारण बोर्ड के विद्यार्थी अधिकांश प्रतियोगी परीक्षाओं और मेरिट से बाहर हो जाते हैं।
जल्दी ही होगी घोषणा: एक जैसा सिलेबस और परीक्षा पैटर्न के लिए पिछले कई सालों से मांग चली आ रही है लेकिन अब इस पर मानव संसाधन विभाग गंभीर है। उसने इसके लिए एक कमेटी का गठन किया है। इसकी बैठक में शामिल सभी सेंट्रल बोर्ड और स्टेट बोर्ड के प्रतिनिधि इस बात पर सहमत हो गए हैं कि सारे देश में एक जैसा सिलेबस हो। कम से कम मैथेमेटिक्स, कैमिस्ट्री, फिजिक्स और बॉयोलाजी जैसे विषयों में तो यह प्रारंभिक रूप से हो ही जाए। जल्दी ही इसकी घोषणा हो सकती है।
सिलेबस में है फर्क
प्रदेशों के बोर्ड के सिलेबस और सीबीएसई-आईसीएसई सिलेबस में काफी अंतर है। एलजी स्कूल के प्रिंसिपल संदीप शर्मा के अनुसार सीबीएसई का सिलेबस एमपी बोर्ड के मुकाबले सरल है तो आईसीएसई का और भी सरल। देश के अधिकांश स्टेट बोर्ड भी सीबीएसई से अलग पढ़ाई करवा रहे हैं। कोर्स अलग-अलग होता है। इस कारण बोर्ड में पढ़ाई की यूनिट बढ़ जाती है। वहीं सीबीएसई जैसे बोर्ड में फिजिकल एजुकेशन, कम्प्यूटर या मैथ्स का एक अतिरिक्त विषय भी होता है।
मप्र में पास का अंतर 25 प्रश तक
जहां सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड के स्कूलों के विद्यार्थियों के पास होने का प्रतिशत बहुत ज्यादा रहता है वहीं, स्टेट बोर्ड के विद्यार्थी इसमें मात खा जाते हैं। मध्यप्रदेश में सीबीएसई में 90 प्रश व आईसीएसई में 95 प्रश तक विद्यार्थी पास हुए हैं, तो एमपी बोर्ड में यह प्रतिशत मात्र 69.33 तक ही पहुंच पाया है। दूसरे बोर्ड के मुकाबले सीधे 25 प्रश तक कम।
इंटरनल और थ्योरी में भी अंतर
ऐसी ही स्थिति एक्जाम के पैटर्न में भी है। इंटरनल और प्रैक्टिकल के मार्क्स थ्योरी के मुकाबले अलग हैं। सीबीएसई और एमपी बोर्ड में सीधे-सीधे पांच प्रतिशत का अंतर है तो देश के कुछ बोर्ड इंटरनल मार्क्स 50 प्रतिशत तक देते हैं। इससे ओवरआॅल प्रतिशत पर भी अंतर आता है। परीक्षा का पैटर्न सीबीएसई व आईसीएसई में राज्यों के बोर्ड के मुकाबले सरल है। इनमें सरल से लेकर कठिन प्रश्नों का विभाजन अलग-अलग किया जाता है।