तेज कुमार सेन इंदौर। जिला कोर्ट के लिए फिर से नई विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। पीपल्याहाना तालाब के पास बन रही नई बिल्डिंग का विरोध मुखर होने के बाद अब जिला कोर्ट के नए भवन का स्थान बदलने के आसार है। दो-तीन विकल्पों पर मंथन शुरू हो गया है, जल्द ही किसी एक पर मोहर लग सकती है।
दरअसल तालाब के पास बन रहे नए भवन के विरोध में लगभग हर वर्ग के लोगों के जुड़ने के बाद मामला उच्च स्तर तक पहुुंचा है। इसमें मुख्य रूप से दो बात सामने आई है। एक तो यह कि वर्तमान प्रस्तावित स्थान पर नई कोर्ट बनने से एक प्राचीन तालाब की हत्या हो जाएगी, दूसरा एनजीटी ने जिन शर्तों के आधार पर यह भवन बनाने की अनुमति दी है, उनका अक्षरश: पालन किया जाए तो यहां भवन बनाना कानूनी तौर पर संभव नहीं है। इसके चलते अब केवल यही विकल्प बचा है कि कोर्ट का नया भवन तो बनाया जाए, लेकिन अन्य स्थान पर।
कमिश्नर आॅफिस की जमीन पर भी नजर
सूत्रों की मानें तो मुख्य रूप से दो विकल्प मजबूती से उभर कर आए हैं। इनमें मौजूदा जिला कोर्ट के पास के विक्रय कर विभाग व संभागायुक्त कार्यालय वाली जमीन का विकल्प है। चूंकि इसका मालिक भी शासन ही है, इसके चलते किसी तरह की कानूनी अड़चनें भी नहीं आएगी। इसके अलावा दूसरा विकल्प कृषि कॉलेज के पास की जमीन है। इसका एक हिस्सा कृषि कॉलेज का व दूसरा एग्रीकल्चर रिसर्च सेंटर का है। हालांकि इसके लिए मशक्कत ज्यादा करना पड़ेगी, क्योंकि इसमें केंद्र सरकार की सहमति लेना होगी। इनके अलावा शहर के मध्य के कुछ सरकारी बंगलों की जमीनें भी निगाह में है। संभवत: इसी सप्ताह इस पर निर्णय हो सकता है।
ताई की सीएम को दो टूक
पूरे मामले में लोकसभा अध्यक्ष व इंदौर की सांसद सुमित्रा महाजन की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। सूत्र बताते हैं कि रविवार शाम उनकी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से चर्चा हुई। ताई ने उन्हें स्पष्ट कर दिया कि तालाब के समीप नई कोर्ट नहीं बनना चाहिए।
विरोध प्रदर्शन जारी, वकील और उग्र हुए
पीपल्याहाना तालाब बचाने को लेकर प्रदर्शन सोमवार को भी जारी रहा। संस्था प्रेगो फाउंडेशन फॉर सोशल एक्टिविटीज कमेटी और आचार्य परिषद के अध्यक्ष पंडित चंद्रभूषण व्यास के नेतृत्व में सदस्य भी इसमें शामिल हुए। वहीं दूसरी ओर वकील आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। वे जल्द ही बेमुद्दत काम बंद आंदोलन का निर्णय ले सकते हैं।