रफी मोहम्मद शेख इंदौर। देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी को राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) के अंतर्गत ग्रांट की राशि मिलने के बाद काम शुरू ही हुआ है और उच्च शिक्षा विभाग ने काम पूरा होने का सर्टिफिकेट मांग लिया है। यह नहीं देने पर अगले सत्र के लिए बैन करने की चेतावनी भी दे दी है। वास्तव में यह राशि पिछले सत्र की थी, लेकिन विभाग ने यह अंतिम समय में दी थी। इसके बाद मात्र दो महीने में ही विभाग ने टेंडरिंग प्रक्रिया तो पूरी कर ली है, लेकिन काम पूरा नहीं हो पाया है। अब असमंजस की स्थिति है कि काम पूरा होने का सर्टिफिकेट कैसे भेजें?
दरअसल, उच्च शिक्षा विभाग मासिक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में हर माह रूसा की राशि के संबंध में मॉनिटरिंग करता है। प्रमुख सचिव आशीष उपाध्याय ने पिछली बैठक में देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी को विशेष रूप से मिली राशि के खर्च करने का यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट भेजने को कहा है। यह सर्टिफिकेट ग्रांट राशि के खर्च करने पर भेजा जाता है। मई से काम शुरू हुआ है। ढाई करोड़ रुपए की राशि में से जितने के टेंडर निकाले गए थे, उतनी राशि का काम होने की स्थिति में उसका यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट डेवलपमेंट सेक्शन ने भेजा है। यह राशि करीब डेढ़ करोड़ रुपए की बताई जा रही है। यांत्रिकी विभाग के प्रस्ताव के आधार पर यह पेमेंट दिया गया है। पूरा काम होने में समय लगेगा, इस कारण पूरी राशि का सर्टिफिकेट नहीं दे पा रहा है।
पांच महीने बाद दी राशि
मानव संसाधन मंत्रालय और उच्च शिक्षा विभाग ने देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी सहित प्रदेश की तीन यूनिवर्सिटीज को रूसा के अंतर्गत चयनित किया है। चार किस्तों में मिलने वाली राशि की पहली किस्त ढाई-ढाई करोड़ रुपए आवंटित किए जा चुके हैं। इस राशि से यूनिवर्सिटी के विज्ञान भवन, स्कूल आॅफ कम्पेरेटिव लैंग्वेज, लाइब्रेरी सहित चार डिपार्टमेंट का रिनोवेशन किया जाना है। इसमें नवंबर में मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा कुल राशि में से अपने हिस्से की 65 प्रतिशत राशि राज्य शासन को भेज दी थी। इसके बाद शासन की मात्र 35 प्रतिशत के हिस्से की राशि मिलाकर जमा करने का इंतजार किया जा रहा था। उधर, यूनिवर्सिटी ने टेंडर प्रक्रिया भी फरवरी में जारी कर दी थी और उसके बाद 30 मार्च को कार्यपरिषद ने भी इसे पारित कर दिया। शासन ने पांच महीने के लंबे अंतराल के बाद यानी 25 मार्च को यह राशि यूनिवर्सिटी के खाते में ट्रांसफर की है।
स्पष्ट करने को कहा
यूनिवर्सिटी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि राशि अभी खर्च नहीं हुई है, इसलिए निर्माण या खर्च के यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट का सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने राज्य शासन और मानव संसाधन विभाग से परिस्थितियों के अनुसार स्पष्ट करने को कहा है कि ग्रांट इस साल में मानी जाएगी या अगले साल में ट्रांसफर होगी? अब पत्र का जवाब आने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी कि विभाग उसे क्या मानता है। इसका जवाब तो नहीं आया उल्टा यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट के लिए दबाव बन गया।
काम अभी हुआ नहीं...
यांत्रिकी विभाग के बताए अनुसार जितना काम हुआ है, उस आधार पर यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट बनाकर भेज दिया है। बाकी काम अभी हुआ नहीं है। हमें राशि ही देरी से मिली।
डॉ. अभय कुमार, को-आॅर्डिनेटर, रूसा सेल, देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी