20 Apr 2024, 19:03:18 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

मुनीष शर्मा इंदौर। इंदौर विकास प्राधिकरण जल्द ही सी-21 मॉल व पीयू-4 में हुए गलत निर्माणों, सपना-संगीता टॉकीज व इस रोड पर हुए निर्माणों, विजयनगर, स्कीम 94 सहित कई अन्य क्षेत्रों व भवनों को कानूनी रूप देने जा रहा है, जिन्होंने किसी न किसी रूप में प्राधिकरण की लीज शर्तों का उल्लंघन किया है। इसके लिए वह मास्टर प्लान-2021 का भी सहारा लेगा, जिसमें कई स्थानों का भू-उपयोग बदला गया है। इसके लिए उसे अघोषित रूप से आवास एवं पर्यावरण मंत्रालय की भी हरी झंडी मिलना बताया जा रहा है। ऐसा करने से प्राधिकरण को सीधा फायदा भी होगा। पहला तो उसका लगातार खाली हो रहा खजाना भराएगा और दूसरा उसे उन झंझटों से मुक्ति मिलेगी, जिसमें रोज-रोज उसके पदाधिकारियों व अधिकारियों को जवाब देना भारी पड़ जाता है।

प्राधिकरण जल्द ही एक सूची तैयार करने जा रहा है। इसमें उन क्षेत्रों या संपत्तियों का उल्लेख होगा जिसमें लीज शर्तों का उल्लंघन हुआ हो। इनका अलग-अलग परीक्षण जरूर किया जाएगा। इसके बाद एक समग्र नीति बनाई जाएगी। इसके तहत इन संपत्ति मालिकों से एक निश्चित राशि लेकर उनके निर्माण को वैध कर दिया जाएगा। सी-21 मॉल व पीयू-4 की अन्य प्रॉपर्टियों का उल्लेख करें तो इसे कानूनी रूप देने के पीछे प्राधिकारी मास्टर प्लान बता रहे हैं। इनका कहना है सी-21 मॉल जिस रोड पर है उसका मास्टर प्लान में लैंडयूज बदलकर कमर्शियल हो गया है। जो प्लॉट दिया गया था वह भी कमर्शियल उपयोग के लिए ही दिया गया था। अब ऐसे में भवन मालिक चायपत्ती की दुकान लगाए या भवन बनाकर उसका अन्य कमर्शियल उपयोग करें यह उसके ऊपर है। ऐसे ही सपना-संगीता रोड, स्कीम 94, विजयनगर स्कीम 54 आदि क्षेत्रों का मामला है जहां किसी जमाने में प्राधिकरण ने आवासीय स्कीम विकसित की थी, लेकिन धीरे-धीरे इसका उपयोग बदलकर व्यावसायिक हो गया। अभी भी कई भवनों का नक्शा आवासीय में पास है लेकिन मौके पर बना भवन नक्शे के एकदम उलट कमर्शियल में आकार ले चुका है।

चूंकि तोड़फोड़ नहीं करना है..
इस नीति को बनाने के पीछे भवनों में तोड़फोड़ नहीं किया जाना बताया जा रहा है। प्राधिकरण के उपाध्यक्ष मोहित वर्मा का कहना है ऐसे कई भवन है, जो लीज का उल्लंघन करके बन तो गए लेकिन अब उन्हें तोड़ा जाना संभव नहीं है। एक-दो भवन हो तो बात भी है, लेकिन शहर में ऐसे दर्जनों भवन है जहां लीज का उल्लंघन किया गया है। यही कारण है कि हम नीति बनाकर उनके वर्तमान स्वरूप को मंजूरी देने पर काम कर रहे हैं।

प्लॉट संयुक्तिकरण पर भी बनाना होगी नीति
यह समझने योग्य होगा कि प्राधिकरण बदले गए लैंडयूज को लेकर तो नीति बना लेगा, लेकिन प्लॉटों के संयुक्तिकरण को वह कैसे कानूनी दर्जा देगा। यदि मयूर हॉस्पिटल को ही देखें तो उसने भू-उपयोग तो बदला ही साथ ही प्लॉटों का संयुक्तिकरण करके भी भवन खड़ा कर दिया है। स्कीम-54, 94, 71, सपना-संगीता रोड (स्कीम 31) पर भी कुछ ऐसे भवन खड़े हैं, जिसमें संयुक्तिकरण है।

...फिर तो कभी नहीं हटेंगे लोहामंडी व सियागंज
यदि प्राधिकरण यह नीति बनाकर संपत्ति मालिकों को लाभ पहुंचा रहा है तो फिर कभी भी लोहामंडी, सियागंज या अन्य कोई उसकी स्कीम सफल ही नहीं हो पाएगी। प्राधिकरण ने पीयू-4 (स्कीम नं. 54) विजयनगर में 328 प्लॉट आवंटित किए थे। व्यापारियों को प्लॉट इसलिए आवंटित किए गए थे ताकि ये सियागंज छोड़कर इन प्लॉट्स पर अपना सामान रखें। चाहे तो यहीं से आॅफिस भी चलाए या फिर सियागंज में सिर्फ आॅफिस का उपयोग करें। इससे पुराने शहर में बिगड़ रहे यातायात को काफी राहत मिलेगी। कई व्यापारियों ने प्लॉट लेकर होटल संचालकों या अन्य बिल्डर्स को बेच दिए। जिन लोगों ने प्लॉट बेचे उनके खिलाफ भी प्राधिकरण को किसी तरह के दंड का प्रावधान रखना चाहिए, नहीं तो हर जगह इस नीति का सहारा लेकर लोग फायदा उठाएंगे। एक बात यह भी है कि प्राधिकरण की आवासीय स्कीम देखकर कई लोग वहां रहने का मन बनाते हैं लेकिन जब उसका कमर्शियल उपयोग होने लगता है तो पड़ोसी मकान मालिक परेशान होता है। वह शिकायतें भी करता है लेकिन उसकी सुनवाई नहीं होती। ऐसे में तो प्रत्येक आवासीय स्कीम में यहीं होगा की लोग प्लॉट लेकर कमर्शियल उपयोग करने लगेंगे।

सयाजी होटल की तो लीज निरस्त ही होगी
भले ही प्राधिकरण कोई नई नीति बना लें लेकिन इस पूरे मामले में सयाजी होटल को कोई राहत नहीं मिलेगी। इसका कारण उसका प्लॉट के टुकड़े करके बेचना है। उसने आगे की जमीन पर दुकाने निकालकर बेच दी है जिसपर पुलिस प्रकरण भी दर्ज किया जा सकता है।

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