25 Apr 2024, 10:36:08 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

कृष्णपालसिंह इंदौर। रखरखाव के अभाव में शहर की शान राजबाड़ा का एक हिस्सा ढहने के बाद सरवटे बस स्टैंड की छत का प्लास्टर गिर गया। वहीं ऐतिहासिक धरोहर गांधी हॉल की हालत भी ठीक नहीं कही जा सकती। इसमें लगी नक्काशीदार लकड़ी की सीलिंग जगह-जगह से टूटी, प्लास्टर उखड़ा, दीवारों में दरारें और छत से पानी रिसता नजर आता है। इसे संवारने के प्रयास तो कई बार हुए, लेकिन मामला योजना बनाने तक ही सीमित रह गया। हालांकि 2014 में पूर्व महापौर कृष्णमुरारी मोघे के कार्यकाल में इसके जीर्णोद्धार का काम शुरू हुआ था, पर वह भी आगे नहीं बढ़ पाया। यही हाल सरवटे बस स्टैंड का भी है।

1904 में बनी इमारत
गांधी हॉल का निर्माण होलकर शासनकाल में 1904 में कराया गया। उस समय इसका नाम किंग एडवर्ड हॉल था। आजादी के बाद 1948 में इसका नाम महात्मा गांधी हॉल किया गया। बंबई के प्रसिद्ध वास्तुविद स्टीवेंस ने इसे डिजाइन किया। इसे निगम को एक रुपए की लीज पर दिया गया था। शर्त यह थी कि इसका उपयोग सांस्कृतिक व सार्वजनिक गतिविधियों के लिए ही हो।सिवनी स्टोन से बने इस भवन के शिखर पर चारों ओर घड़ी लगी होने से इसे घंटाघर के नाम से भी जाना जाता है।

सिर्फ कागजों पर चला जीर्णोद्धार
>    तत्कालीन महापौर कैलाश विजयवर्गीय ने इंदौर गौरव यात्रा निकाली। अप्रवासी भारतीयों से गांधी हॉल को संवारने के लिए मदद मांगी, लेकिन योजना पर काम नहीं हुआ। तत्कालीन केंद्रीय मंत्री जगमोहन ने इसे हेरिटेज बिल्डिंग का दर्जा दिया।
>    महापौर उमाशशि शर्मा के कार्यकाल में भी तत्कालीन प्रमुख सचिव राघव चंद्रा के निर्देश पर प्लानिंग हुई, लेकिन फाइल धूल खाती रही।
> महापौर कृष्णमुरारी मोघे के कार्यकाल में जरूर दो करोड़ की लागत से जीर्णोद्धार के प्रस्ताव को एमआईसी से 13 अगस्त को मंजूरी मिली थी, लेकिन काम शुरू नहीं हो पाया। हालांकि 10 अक्टूबर को मुख्य अतिथि तत्कालीन मंत्री विजय शाह ने जीर्णोद्धार कार्य का शुभारंभ किया था। इसमें तत्कालीन आयुक्त राकेश सिंह के साथ ही एमआईसी के नाम भी चस्पा कर दिए गए।

योजना पर नहीं हो सका अमल
गांधी हॉल के जीर्णोद्धार के लिए एमआईसी ने दो करोड़ रुपए मंजूर किए थे, लेकिन जिस सिमंधरा देवकॉन प्रालि को इसका ठेका दिया गया था, उसने न तो सुरक्षा निधि जमा कराई और न ही काम शुरू किया। इस पर निगम ने उसे टर्मिनेट कर दिया। तीन परिषदों ने इस इमारत को संवारने की योजनाएं बनार्इं, पर अमल में एक भी नहीं आ सकी।

प्लानिंग बनाकर वृहद स्तर पर करेंगे काम
गांधी हॉल के जीर्णोद्धार का दो करोड़ का प्रोजेक्ट तैयार किया था, लेकिन काम न करने पर ठेकेदार को टर्मिनेट कर दिया गया। अब फिर प्लानिंग कर वृहद स्तर पर काम करेंगे।
-सुनील गुप्ता, सहायक यंत्री, ननि

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