28 Mar 2024, 18:16:12 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

विनोद शर्मा इंदौर। 29 बरस के इंतजार, हाई कोर्ट से जीते नौ मुकदमों और सहकारिता विभाग में इंदौर से लेकर भोपाल तक लिखी 500 से ज्यादा चिट्ठियों के बाद अब तय हुआ कि देवेंद्र तोतला को प्लॉट मिले। तोतला रणवीरसिंह उर्फ बॉबी छाबड़ा की आकाश गृह निर्माण सहकारी संस्था के सदस्य हैं।

संस्था ने केसरबाग रोड पर सच्चिदानंदनगर कॉलोनी काटी है। इसमें 1987 में तोतला के नाम प्लॉट आवंटित हुआ था। 1993 में संस्था ने प्लॉट देने से मना कर दिया। इसके बाद जो कानूनी लड़ाई शुरू हुई, उसे विराम मिला 3 मई 2016 को। जब हाईकोर्ट ने मामले (रिट अपील क्र. 132/2016) की सुनवाई के बाद सहकारिता विभाग को जल्द तोतला को प्लॉट दिलाने के आदेश दिए। 8 जून को संयुक्त आयुक्त जगदीश कनौज भी उप आयुक्त को पत्र लिख चुके हैं। हालांकि बॉबी एंड कंपनी अभी भी प्लाट बचाने की कोशिश में लगी है।

हाई कोर्ट में ऐसे चली जंग

संस्था द्वारा प्लॉट नहीं देने पर 1993 में तोतला पहली बार हाई कोर्ट गए। कोर्ट ने जांच के आदेश दिए। संस्था ने आदेश को डिविजन बैंच में चुनौती दी। जहां पुराने आॅर्डर को संशोधित करने के आदेश हुए। अपर पंजीयक को जांच दी। 29 अक्टूबर 1996 को तोतला फिर कोर्ट गए। जहां उन्हें प्लॉट की पात्रता मिली। इस बीच 9 सितंबर 1995 को संस्था ने उनकी सदस्यता खत्म कर दी। 8 सितंबर 1999 को फिर तोतला कोर्ट पहुंचे और कोर्ट ने सदस्यता बहाल कर दी। फिर भी संस्था ने न प्लॉट दिया, न ही 254 नंबर की पुरानी सदस्यता दी। तोतला फिर हाई कोर्ट पहुंचे। कोर्ट ने दो टूक शब्दों में कहा कि उप पंजीयक और संयुक्त पंजीयक आदेश का पालन करवाएं।

संस्था ने इस आदेश को भी डिविजन बैंच में चुनौती दी, लेकिन इस बार दाल नहीं गली। 9 सितंबर 2004 को कोर्ट ने संस्था की अपील निरस्त कर दी। जवाब में तोतला ने 2004 में ही कंटेप्ट फाइल कर दी। फैसला हुआ 28 नवंबर 2007 को। कोर्ट ने पंजीयक से अभ्यावेदन मांगा। पंजीयक ने अभ्यावेदन में चार माह में प्लॉट की पात्रता दी। तोतला फिर हाईकोर्ट पहुंचे। जहां कोर्ट के सामने उप पंजीयक और संयुक्त पंजीयक ने प्लॉट देने की सहमति दी। 29 अपै्रल 2010 को प्रभारी अधिकारी ने पत्र पेश करके कोर्ट को बताया कि तोतला को प्लॉट नं. 25 आई दे रहे हैं।  संस्था तीन प्लॉट (16, 14 और 31 ) को लेकर तीन अलग-अलग याचिकाओं के साथ फिर कोर्ट पहुंची। तोतला, रमाबाई और राधा बाहेती इंटरविनर बने और कोर्ट से मांग की कि उन्हें भी सुना जाए। वहां भी संस्था की नहीं चली। बावजूद इसके संस्था ने प्लॉट नहीं दिए। न ही सहकारिता विभाग ने प्रयास किए। तोतला ने फिर हाईकोर्ट में दस्तक दी। फैसला हुआ 3 मई 2016 को। कोर्ट ने कहा हर हाल में चार महीने में निराकरण करके प्लॉट नं. 25 आई दें।

धरना भी दे चुके हैं तोतला दंपति

6 दिसंबर 2014 को प्लॉट नं. 25 आई देने उपपंजीयक ने संस्था अध्यक्ष संजय यादव को पत्र लिखा था। जिला पंजीयक को भी लिखा कि तोतला के अलावा किसी की इस प्लॉट की रजिस्ट्री न हो। जब वे कब्जा लेने पहुंचे तो संजय ने यह कहते हुए उन्हें विदा कर दिया कि प्लॉट देने से बॉबी भैया ने मना कर दिया है। कलेक्टर और डीआईजी को मामले की जानकारी देकर 9 फरवरी 2015 को तोतला दंपति गांधी प्रतिमा पर धरना भी दे चुके हैं।

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