रफी मोहम्मद शेख इंदौर। होलकर साइंस कॉलेज सहित इंदौर के प्रमुख गवर्नमेंट कॉलेजों में पहले राउंड की काउंसलिंग के बाद चुने गए हाई परसेंटेज वाले टॉपर्स ने एडमिशन न लेते हुए वेट एंड सी की नीति अपनाई है। मनपसंद कोर्स नहीं मिलने या फिर दूसरे स्थानों पर एडमिशन की प्रक्रिया में भागीदार होने के कारण इन्होंने अपनी सीट सेकंड राउंड में भी च्वाइस भरकर होल्ड रखी है। इस कारण कॉलेजों में टॉपर्स के स्थान पर 70 प्रतिशत तक वाले विद्यार्थी ही एडमिट हो पाए।
इस बार उच्च शिक्षा विभाग द्वारा प्रक्रिया से बाहर नहीं करने की नई नीति इनके लिए काम आई। उधर, कॉलेजों में पहले राउंड में 90 प्रतिशत तक अलॉटमेंट हुए थे, लेकिन सीटें कहीं 30 तो कहीं 45 प्रतिशत तक ही भरी हैं। पहले राउंड में प्रदेश के सबसे बड़े गवर्नमेंट कॉलेज जीएसीसी में बीकॉम की लिस्ट में अधिकतम 94.6 प्रतिशत वाले विद्यार्थी को सीट अलॉट हुई थी। इसी प्रकार बीए में 94.2 और बीबीए में 91 प्रतिशत वाला विद्यार्थी अधिकतम रहा। वहीं टॉपर्स में 80 प्रतिशत तक वाले विद्यार्थी थे, लेकिन जब एडमिशन हुए तो इनमें से अधिकांश ने एडमिशन नहीं लिया।
एवरेज 70 प्रतिशत से कम
ऐसी ही स्थिति होलकर साइंस कॉलेज की है। यहां पर बीएससी मैथ्स प्लेन में एडमिशन लेने के इच्छुक विद्यार्थी का अधिकतम प्रतिशत 96 था तो बीएससी बॉयो में 86, बीएससी कम्प्यूटर साइंस में 95.8, बीएससी बॉयोटेक में 92.6, बीएससी इलेक्ट्राॉनिक्स में 92.2 प्रतिशत वाले विद्यार्थी को सीट अलॉट हुई है, लेकिन इनमें से भी अधिकांश कॉलेज में एडमिशन के लिए नहीं पहुंचे। वहीं न्यू जीडीसी और जीडीसी में भी यही स्थिति रही। अगर एवरेज देखें तो 70 प्रतिशत से कम वालों ने ही कॉलेजों में एडमिशन लिया है।
नए नियम का फायदा उठाया
पिछले साल तक आॅनलाइन एडमिशन लेने वाले कॉलेजों में नियम था कि एक बार अलॉट की गई सीट पर एडमिशन नहीं लेने पर उसे एडमिशन प्रक्रिया से बाहर कर दिया जाता था। इस बार इस नियम में बदलाव किया गया है। विद्यार्थी बार-बार रजिस्ट्रेशन करके फर्स्ट राउंड में सीट नहीं पाने के बावजूद सेकंड या थर्ड काउंसलिंग में फिर से शामिल हो सकता है। टॉपर्स ने इसी नीति का फायदा उठाया है। ये विद्यार्थी आईआईटी, इंजीनियरिंग, मेडिकल, मैनेजमेंट, यूनिवर्सिटी आदि की एडमिशन प्रक्रिया में भी बने हुए हैं, लेकिन यहां सीटें छोड़ना नहीं चाहते। इस कारण वापस दूसरी काउंसलिंग में शामिल हो गए हैं। अब इनके नाम फिर से सेकंड लिस्ट में भी आ गए। इससे बड़ा नुकसान ये सीटें खाली नहीं होने का हो रहा है।
उम्मीद से 33 प्रतिशत भी नहीं
होलकर साइंस कॉलेज में कुल 2100 सीटों में पहले राउंड की काउंसलिंग के बाद 1900 सीटें अलॉट हुई हैं। उम्मीद इनमें से 80 प्रतिशत तक भरने की थी, लेकिन 45 प्रतिशत ही भर पार्इं। जीएसीसी की 1970 में से 90 प्रतिशत, न्यू जीडीसी की 1200 में से 75 प्रतिशत और जीडीसी की 1200 में से 850 सीटें पहले राउंड में अलॉट हो गई थीं। कॉलेज में फीस भरने की सीमा खत्म होने के बाद जीएसीसी में मात्र 30 प्रतिशत तो न्यू जीडीसी में 30 और जीडीसी में 35 प्रतिशत सीटों पर ही एडमिशन हो पाए हैं।