विनोद शर्मा इंदौर। सैटेलाइट हिल्स में प्लॉट होल्डर और किसान तो ठगाए ही हैं, जालसाजों ने बैंकों को भी नहीं बख्शा। एवलांचा रिएल्टी की जिस जमीन को गिरवी रखकर कैलाश गर्ग की नारायण निर्यात (इंडिया) लिमिटेड ने 123 करोड़ रुपए का कर्ज ले रखा है, आज बैंक उसे 18 करोड़ में भी नहीं बेच पा रही है। बैंकों के सामने संकट है कि लोन की रिकवरी कैसे करे। ऐसे में गर्ग के साथ उन बैंक पदाधिकारियों की भूमिका सवालों के घेरे में हैं, जिन्होंने कौड़ियों की जमीन पर सवा अरब का कर्ज दे डाला।
नितेश चुघ और मुकेश पिता टेकचंद वाधवानी की गिरफ्तारी के साथ ही एवलांचा रिएल्टी चर्चा में आई है। नितेश और मुकेश ने कंपनी गर्ग को ट्रांसफर की थी। गर्ग ने डायरेक्टर बनते ही अगस्त 2010 में एवलांचा की जमीन 110.50 करोड़ रुपए में यूको बैंक, कॉर्पोरेशन बैंक और पंजाब नेशनल बैंक के पास गिरवी रख दी। कर्ज लिया गया था नारायण निर्यात (इंडिया) लि. के बैनर तले सोयाबीन डी आॅइल्ड केक्स (डीओसी) प्लांट बनाने के लिए। छह महीने में पूरे कर्ज की अदायगी बड़ी शर्त थी, लेकिन 72 महीनों में गर्ग परिवार ने 72 रुपए बैंक को नहीं दिए। ब्याज सहित कर्ज की रकम बढ़कर 123.53 करोड़ रुपए हो चुकी है, जबकि 2013 में कब्जा लेने के बाद से अब तक बैंकें तीन बार विज्ञप्ति निकालकर भी जमीन की नीलामी नहीं कर पाई। आखिरकार निराश बैंकों ने मन बना लिया है कि जमीन 17 से 18 करोड़ में भी कोई लेने की इच्छा रखता है तो उसे हाथ जोड़कर बेच दी जाएगी। इस रकम को तीनों बैंकें अनुपात के हिसाब से बांट लेंगी।
जमीन जिसकी विज्ञप्ती निकाली
अम्बिका सॉल्वेक्स : सर्वे नं. 139/1, 139/2, 141/2 और 150/1/3 की कुल 7.12 एकड़ जमीन।
एवलांचा रिएल्टी: सर्वे नं. 111, 112, 130/4, 138, 138/1, 140/2 की 9.02 एकड़ जमीन।
एवलांचा रिएल्टी: सर्वे नं. 114/1/1, 114/2, 122/2, 123, 124,125, 130/3, 140/1, 215/1/1, 215/1/2, 215/1/3, 215/1/4/1 की करीब 12 एकड़ जमीन।
दौलतवाला एक्जीम प्रा.लि. : 150/1/4, 152/1 और 153/1 की 3.52 एकड़ जमीन।
(कुल 31.66 एकड़ जमीन)
डायरेक्टर कब से कब तक
नितेश चुघ 4 अगस्त 2006 23 मार्च 2009
महेश वाधवानी 4 अगस्त 2006 23 मार्च 2009
सुरेशचंद्र गर्ग 21 फरवरी 2009 30 जून 2011
कैलाशचंद्र गर्ग 21 फरवरी 2009 5 अक्टूबर 2011
प्रेमलता सुरेशचंद्र गर्ग 27 जून 2011 अब तक
रमादेवी गर्ग 27 जून 2011 अब तक
51.26 करोड़ की संपत्ति, वेल्युएशन 110.50 करोड़
बैकों की विज्ञप्ति में 31.66 एकड़ जमीन का जिक्र है। 2010-11 में गाइडलाइन प्राइज 350 रुपए/वर्गफीट थी। इस मान से कुल जमीन की अधिकतम कीमत 48.26 करोड़ रुपए थी। गिरवी रखी गई बाकी संपत्तियों की कीमत भी बमुश्किल तीन करोड़ रुपए थी। यानी कुल 51.26 करोड़ रुपए की संपत्ति का मनमाना वेल्युएशन करके बैंकों ने 110.50 करोड़ रुपए का लोन दे दिया।
अन्य संपत्तियों से मिले सिर्फ तीन करोड़
गर्ग ने नायता मुंडला की इस जमीन के साथ विद्यानगर, इंदौर के दो प्लॉट, सपना-संगीता रोड स्थित आॅफिस, मंदसौर के शिवाजीनगर में घर, जावरा की जमीन भी गिरवी रखी थी। बैंकों को इनसे भी उम्मीद थी। हालांकि, विद्यानगर के दोनों प्लॉट और सपना-संगीता रोड स्थित आॅफिस की नीलामी से सिर्फ तीन करोड़ ही मिले। यह रकम मौजूदा 123.53 करोड़ के कर्ज से अलग थी। जावरा की जमीन की नीलामी के लिए यूको बैंक ने 2.60 करोड़ रुपए की विज्ञप्ति निकाली थी, लेकिन अब तक किसी ने रुचि नहीं ली। मंदसौर के मकान की ज्यादा से ज्यादा कीमत 60 लाख रुपए है। इसीलिए बैंकों की उम्मीद सिर्फ नायता मुंडला की जमीन से ही है।