राहुल सेठी इंदौर। एअरपोर्ट रनवे के रि-कार्पेटिंग के काम में अब तक का सबसे बड़ा गड़Þबड़झाला उजागर हो गया है। अथॉरिटी ने अनुभव के नाम पर जिस कंपनी को तीन करोड़ रुपए अधिक में टेंडर दिया उसी ने रनवे का काम बिगाड़कर अफसरों को मुसीबत में डाल दिया है।
बार-बार एअरपोर्ट में रनवे के उखड़ने की समस्या सामने आ रही है। इससे विमान दुर्घटना की संभावना भी बनी हुई है। अब जब इस मामले में पीएमओ कार्यालय तक शिकायत पहुंचने के बाद जांच के आदेश जारी हुए हैं तब अधिकारियों ने भी लापरवाही को छिपाने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी है। सूत्रों का कहना है कि अथॉरिटी के अधिकारियों ने सबसे बड़ा गड़बड़झाला यह किया है कि हैदराबाद की जिस वीकेए कंस्ट्रक्शन कंपनी को रनवे के रि-कार्पेटिंग का काम 13 करोड़ रुपए में दिया गया है। उसे अथॉरिटी ने अन्य कंपनियों के टेंडर राशि से ढाई से तीन करोड़ रुपए अधिक में काम करने का ठेका दिया है। इसके पीछे कारण यह बताया गया कि उक्त कंपनी ने देश के एक अन्य एअरपोर्ट पर रनवे के रि-कार्पेटिंग का काम कर रखा है। अनुभव के नाम पर अथॉरिटी ने कंपनी को काम करने का ठेका दिया, लेकिन उसी कंपनी ने काम बिगाड़ दिया है। इसलिए इंदौर एअरपोर्ट पर दो मर्तबा रनवे उखड़ने की घटना हो गई है। बताते हैं कि इंदौर से मुंबई तक के अधिकारियों ने मामले में ठेकेदार को फायदा पहुंचाया है। अन्यथा कभी भी अधिक राशि में टेंडर जमा करने वाली कंपनी को काम करने का अवसर दिया ही नहीं जाता है।
नियमों के विपरीत जाकर दिया कार्यादेश
शासन के नियम हैं कि किसी भी काम के टेंडर उसी कंपनी को दिया जा सकता है जो कि सबसे कम में राशि में काम करने को तैयार हो। इसके लिए गुणवत्ता पर विशेष जोर दिया जाता है। अथॉरिटी के अधिकारियों ने नियमों के विपरीत जाकर उक्त कंपनी को ठेका दिया। इसके बावजूद भी कंपनी ने काम बिगाड़ा है। फिर भी अथॉरिटी द्वारा कंपनी के खिलाफ कार्रवाई का कोई आदेश जारी नहीं किया गया।
फिलहाल जांच शुरू
इधर, आरटीआई कार्यकर्ता संजय मिश्रा ने मामले में पीएमओ कार्यालय से लेकर विमानन मंत्रालय और एएआई को शिकायत कर रखी है। उनकी शिकायत पर गत दिनों जांच के आदेश जारी हुए थे। इसलिए तो अब अधिकारियों द्वारा मामले को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। वहीं रि-कार्पेटिंग का काम भी तेजी से किया जा रहा है। मिश्रा का कहना है कि यदि इस गड़बड़झाले की शिकायत सीबीआई से कराई जाएगी तो कई अधिकारियों के मामले में लिप्त होने के प्रमाण भी मिल जाएंगे।
सीधी बात
क्या रि-कार्पेटिंग का काम अधिक रेट में दिया गया?
- नहीं मुझे इस मामले में कोई जानकारी नहीं है।
क्या अनुभव के कारण कंपनी को काम दिया गया था?
- इस ठेके की कवायद मुख्यालय से हुई है, इसलिए हमें जानकारी नहीं है।
क्या रनवे उखड़ने की दो घटना के बाद ठेकेदार कंपनी पर कार्रवाई की गई?
- कार्रवाई के अधिकार भी एएआई को हैं। वहीं से आदेश आने पर कार्रवाई की जाएगी।