मुनीष शर्मा इंदौर। इंदौर विकास प्राधिकरण के अधिकारी इन दिनों पसोपेश में हैं। कारण गैर योजना मद के तहत किया जाने वाला खर्च है। एक वित्तीय वर्ष में सात करोड़ रुपए तक खर्च किए जा सकते हैं, लेकिन इस बार के प्रस्ताव व पिछले कार्यों को पूर्ण करने का खर्च देखें तो 24 करोड़ रुपए का बजट बन रहा है। हर जनप्रतिनिधि चाहता है कि उसके दिए प्रस्ताव पर काम हो। खास बात तो यह है कि सारे काम बोर्ड बैठक में भी रखे गए, लेकिन सदस्यों ने नोट लिख दिया ‘जो आवश्यक हो पहले करें’ जिससे गेंद फिर छोटे अधिकारियों के पाले में आ गई है। अब जनप्रतिनिधि रोज फोन लगाकर इन पर काम कराने का दबाव बना रहे हैं। लगभग सभी जनप्रतिनिधियों ने सूची दी है, जिसमें अध्यक्ष शंकर लालवानी चाहते हैं कि माणिकबाग ब्रिज के नीचे खुले स्थान पर सौंदर्यीकरण एवं विकास कार्य हो जिस पर लगभग 90 लाख रुपए खर्च होना हैं, जबकि उपाध्यक्ष मोहित वर्मा ने अलग-अलग प्रस्ताव दिए जिनकी अनुमानित लागत 1.05 करोड़ रुपए है।
ऐसा नहीं है कि अध्यक्ष या उपाध्यक्ष ने ही अपने काम के प्रस्ताव दिए हैं, बल्कि संचालक मंडल व कुछ विधायकों के भी प्रस्ताव आए हैं। संचालक वीरेंद्र व्यास ने 2.06 करोड़ रुपए के करीब आठ प्रस्ताव भेजे हैं, जिनमें सड़क निर्माण, उद्यानिकी कार्य, चौकीदार क्वार्टर आदि बनाने पर जोर दिया गया है। संचालक राजेश उदावत ने भी करीब 1.50 करोड़ रुपए के अलग-अलग कार्यों की सूची अधिकारियों को दी है। अन्य पदाधिकारियों ने भी सूची दी है जिनके लिए वे जोर भी लगा रहे हैं। विधायक भी प्राधिकरण से काम कराने के लिए लालायित हैं। महेंद्र हार्डिया ने पौने दो करोड़ रुपए के काम प्राधिकरण को सौंपे तो राजेश सोनकर सांवेर क्षेत्र में 3.82 करोड़ रुपए के काम कराना चाहते हैं। मनोज पटेल भी 50 लाख रुपए के काम कराना चाहते हैं। गैर योजना मद से जनप्रतिनिधि इसलिए काम स्वीकृत कराना चाहते हैं, क्योंकि इसमें बजट जल्दी मिल जाता है और काम भी अघोषित रूप से उनके ही मार्गदर्शन में चलता है।
गत वर्ष शुरू हुए कार्यों में भी लगना है खर्च
ऐसे कई कार्य हैं, जो पूर्व में शुरू हो गए थे, लेकिन उन्हें पूरा करने के लिए अभी 1.50 करोड़ रुपए और लगना हैं। इसके अलावा सिंहस्थ के अंतर्गत अस्थायी बस स्टैंड आदि कार्यों के लिए प्राधिकारी की ओर से किए गए कार्यों पर 4.24 करोड़ रुपए खर्च होना हैं। शिवाजी वाटिका पर फ्लायओवर का फिजिबिलिटी सर्वे करने या पश्चिमी रिंगरोड के लिए एक-एक करोड़ रुपए और लगना है।
क्षेत्रीय पार्षद ने भेजा प्रस्ताव
अध्यक्ष शंकर लालवानी ने बताया माणिकबाग ब्रिज के नीचे काफी गंदगी रहती है। क्षेत्रीय पार्षद ने यहां सौंदर्यीकरण एवं विकास कार्य का प्रस्ताव भेजा था, जिसे मैंने आगे बढ़ाया है। इस पर 90 लाख रुपए नहीं, कुछ कम राशि खर्च होगी।
जो ज्यादा जरूरी, उस पर करेंगे खर्च
गैर योजना मद से खर्च करने को लेकर जनप्रतिनिधियों के प्रस्ताव आए हैं, जिन्हें बोर्ड के समक्ष रखा था। बोर्ड का कहना है जो ज्यादा जरूरी हो उस पर खर्च किया जाए। यह जरूर है कि एक साल में सात करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च नहीं किया जा सकता है, जिससे हम आवश्यक कार्यों की सूची बनाकर काम करेंगे।
-राकेश सिंह, सीईओ, इंदौर विकास प्राधिकरण