रफी मोहम्मद शेख इंदौर। देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी में एक ओर सेल्फ फाइनेंस डिपार्टमेंट के कर्मचारियों को नियमित करने की प्रक्रिया चल रही है, तो दूसरी ओर 18-20 सालों से काम कर रहे दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की तरफ किसी का ध्यान नहीं है। स्थिति यह है कि यूनिवर्सिटी पिछले दो-ढाई सालों में इनकी सीनियरटी लिस्ट तक तैयार नहीं कर पाई है। राजभवन और शासन कई बार इन्हें परमानेंट करने को कह चुके हैं, लेकिन भर्ती के लिए ‘पूर्ति’ शब्द को आधार बनाकर तमाम कानून बताकर इन्होंने इसे उलझा दिया है। अधिकारी इसे नियमितिकरण नहीं मानकर विज्ञापन द्वारा भर्ती करना चाहते हैं, लेकिन उस पर भी चुप्पी साध ली गई है।
देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी ने यह नियुक्तियां केवल एक शब्द पूर्ति के चक्कर में उलझा रखी है। शासन ने इन पदों पर कर्मचारियों की पूर्ति करने का शब्द लिखा है, जिसका अर्थ अधिकारियों ने पूरी प्रक्रिया के अंतर्गत नई नियुक्ति का निकाला है। उनके अनुसार इन रिक्तयों पर नियुक्ति की पूरी प्रक्रिया अपनाई जाएगी और रोस्टर का पालन करना पड़ेगा। इन पदों को नियमितिकरण से नहीं भरा जा सकता है। हालांकि उनके पास यह जवाब नहीं है कि कैसे पहले दो बार इन पदों को नियमितिकरण से भर लिया गया है।
नहीं निकाला विज्ञापन
वहीं दूसरी ओर इसके बाद अधिकारियों ने कमेटी के आधार पर विज्ञापन निकालने पर सहमति जताई और इसके लिए कमेटी तक बना दी गई है। दो साल बीत जाने के बाद भी इसके लिए विज्ञापन तक नहीं निकाला गया है। उधर सालों से कार्य कर रहे कर्मचारियों ने इन पदों पर लाभ देने या रिजर्वेशन करने की बात भी उठाई, जिसे भी नजरअंदाज कर दिया गया। तत्कालीन उपकुलसचिव अनिल शर्मा के ट्रांसफर होने के बाद फाइल हिली तक नहीं है। कार्यपरिषद ने भी इन कर्मचारियों का समर्थन किया था, लेकिन अधिकारियों की कमेटी ने सीधी नियुक्ति करने की ही अनुशंसा की।
मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया
यूनिवर्सिटी पिछले तीन साल से टीचिंग डिपार्टमेंट के सेल्फ फाइनेंस डिपार्टमेंट में कार्यरत 253 कर्मचारियों के नियमितिकरण की प्रक्रिया में उलझी है। कई बार यह प्रक्रिया रूकी और फिर शुरू हुई है अब यह अंतिम दौर में है। विवि में स्थाई पदों के विरुद्ध नियुक्त दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों के मामले में भारी ढीलपोल की जा रही है। यह पूरा मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया है।
नजरअंदाज कर दिए निर्देश
राज्यपाल ने जून में हुई को-आॅर्डिनेशन की बैठक में सभी यूनिवर्सिटी को खाली पदों पर तुरंत नियुक्ति करने को कहा है। राजभवन द्वारा यह बात पिछले दो साल से कही जा रही है। 1 मार्च 2014 को इस संबंध में उच्च शिक्षा विभाग ने उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव के माध्यम से इन पदों पर नियुक्तियां करने को कहा था।
सालों से काम कर रहे
देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी में कार्यरत दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की संख्या 250 से ज्यादा है। इनमें से करीब 80 ऐसे हैं, जो 10 साल से अधिक समय से यहां काम कर रहे हैं। इनमें कई तो 15 से 20 साल तक की नौकरी कर चुके हैं। यूनिवर्सिटी ने तीन साल पहले दो बार 10 साल से ज्यादा समय से कार्यरत दैनिक वेतनभोगियों को नियमित किया था, लेकिन इस लिस्ट में मात्र 24 कर्मचारी ही आ पाए थे। बाकी कर्मचारी आश्वस्त थे कि उन्हें भी परमानेंट कर दिया जाएगा लेकिन अब यूनिवर्सिटी उन्हें नियम-कानून बता रही है। यूनिवर्सिटी में तृतीय श्रेणी के 140 और चतुर्थ श्रेणी के 44 पद खाली हैं, जो स्थाई पदों के विरुद्ध हैं।
ठंडे बस्ते में डाल दिया
यूनिवर्सिटी ने पिछले तीन साल से फाइल को ठंडे बस्ते में डाल दिया है, उनकी जिम्मेदारी है कि वो तुरंत इस पर कार्रवाई कर इन्हें परमानेंट करने की दिशा में कदम उठाए।
- महेंद्र श्रीवास्तव, अध्यक्ष,
यूनिवर्सिटी कर्मचारी एसोसिएशन
वेतन 10 हजार तक नहीं
हमने 20 साल तक यूनिवर्सिटी में नौकरी कर ली, अब कहां जाएं। अभी वेतन 10 हजार तक भी नहीं पहुंचा है, जबकि सेल्फ फाइनेंस डिपार्टमेंट में नियुक्तियां हो सकती हैंतो यहां पर क्यों नहीं।
- राजेश जोशी, अध्यक्ष,
दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी संघ