25 Apr 2024, 13:24:19 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

विनोद शर्मा इंदौर। 2450 प्लॉट की कॉलोनी और ट्रांसफॉर्मर सिर्फ एक। 250 से अधिक मकान बन चुके हैं। कोई 100 मीटर लंबी केबल टांगकर बिजली ले रहा है तो किसी को एक से डेढ़ किलोमीटर दूर से बिजली की व्यवस्था करना पड़ रही है। बिजली का बिल भी 11 रुपए/रीडिंग की दर से चुकाना पड़ रहा है। यह हकीकत है मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा शिलान्यासित फिनिक्स टाउनशिप की, जहां कागजों पर सुविधाओं के सब्जबाग दिखाकर चंपू चौकड़ी विकास शुल्क के नाम पर 15 करोड़ रुपए वसूलकर हजम कर गई।

अक्टूबर 2007 में हुई इन्वेस्टर्स समिट के दौरान फिनिक्स देवकॉन से एमओयू करने के बाद मुख्यमंत्री ने कॉलोनी का शिलान्यास किया था। सुविधाओं के वादे के साथ बड़े-बड़े ब्रोशर दिखाकर लोगों को प्लॉट बेचे गए। आठ साल हो चुके हैं, लेकिन कॉलोनी में अब तक न पेयजल के पते हैं, न सीवरेज और बिजली के। पूरी कॉलोनी में सिर्फ एक ट्रांसफौर्मर और हाईटेंशन (एचटी) के खंभों पर झूलते तार ही नजर आते हैं, जिनमें उलझकर कई मवेशी जान गंवा चुके हैं। हवा के साथ बिजली की आवाजाही लगी रहती है। यहां के रहवासियों के लिए तारों के जंजाल के बीच अपने तार पहचानकर दुरुस्त कराना भी काफी मुश्किलोंभरा काम साबित होता है।

टेम्प्रेरी कनेक्शन से ही कट गए चार साल

करीब दो हजार तारों से जूझता जो एक ट्रांसफॉर्मर कॉलोनी में नजर आता है, उस पर भी बिजली कंपनी ने टेम्प्रेरी कनेक्शन दिया था, जिसकी वैधता सिर्फ एक साल होती है। जरूरत पड़ने पर इसे बढ़ाया जा सकता है। यहां चार साल हो गए इसी टेम्प्रेरी कनेक्शन से, अब तक किसी ने वैधता बढ़ाने का आवदेन भी नहीं दिया है।

दो करोड़ में स्थायी होगा कनेक्शन
कनेक्शन स्थायी कराने के लिए क्षेत्रवासियों ने बिजली कंपनी से संपर्क किया, लेकिन अधिकारियों ने यह कहते हुए मना कर दिया कि कॉलोनी बड़ी है। यहां ग्रिड बनाना पड़ेगी, जिस पर दो करोड़ रुपए खर्च होंगे। कॉलोनाइजर यह पैसा चुका दें और कनेक्शन ले लें। उधर, 15.19 करोड़ रुपए वसूलकर बैठी चंपू चौकड़ी दो रुपए भी खर्च करने को तैयार नहीं, जबकि प्लॉटहोल्डर विकास शुल्क पहले ही दे चुके हैं।

यह है सुविधाओं की कहानी
पानी- चूंकि कॉलोनी में कॉलोनाइजर की तरफ से पानी की व्यवस्था नहीं की गई है, इसीलिए प्लॉट पर पहले बोरिंग होता है, फिर मकान बनता है। बिना बिजली के बोरिंग भी नहीं चलते। एक टंकी बनी तो थी, लेकिन कभी इस्तेमाल में आई ही नहीं।
गार्डन- कॉलोनी में दो दर्जन गार्डन विकसित होना थे, एक भी नहीं बना। क्षेत्रवासियों के प्रयास से कुछ गार्डन बचे हैं।
स्कूल : पिछले हिस्से में टीएंडसीपी के ले-आउट के अनुसार स्कूल बनना था, लेकिन नहीं बना।
सीवरेज : 2450 प्लॉटों की इस कॉलोनी में आधा फीट डायमीटर के पाइप की सीवरेज लाइन और डेढ़ फीट गहरे चेंबर किसी मजाक से कम नहीं हैं।
सड़क : बड़ा नाला पाइप में दबाकर मेन रोड बनाया गया है, जिसके चलते दो इंच बरसात में पानी ओवरफ्लो होकर पूरी सड़क पर डेढ़-दो फीट तक भर जाता है। सिर्फ एक सड़क होने के कारण लोग घर में कैद होकर रह जाते हैं।
ट्रीटमेंट प्लांट : न सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बना, न ट्रांसफर स्टेशन और न ही क्लब हाउस।

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