25 Apr 2024, 21:42:59 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

गौरीशंकर दुबे इंदौर। आस्का सरवर की उम्र 9 साल है। 8 दिन पहले खेलते -खेलते गिर पड़ी। पीलिया भी हो गया था। खंडवा की इस बच्ची को जब खंडवा जिला अस्पताल ले जाया गया, तो पता चला शुगर लेवल घट गया है। तब डॉक्टर ने कुछ रसगुल्ले खिलाए, लेकिन मुसीबत तब बढ़ गई, जबकि शुगर लेवल 570 पहुंच गया। आस्का को इंदौर रैफर किया गया, जहां प्राइवेट अस्पताल वालों ने एमवायएच ले जाने की सलाह दी। इंसुलिन के सहारे बच्ची की शुगर और जिंदगी नियंत्रण में कर ली गई है। डॉक्टरों की मानें, तो लाखों बच्चों में ऐसा केस पाया जाता है।  आस्का के पिता विजय सरवर दिहाड़ी मजदूर हैं।

इंदौर के एक निजी अस्पताल में उनकी माली हालत देखकर एमवाएएच जाने की सलाह दी गई। बच्ची को वार्ड नंबर 7 में 15 दिन पहले भर्ती कर दिया गया। तब भी उसका शुगर लेवल 570 से 600 के आसपास पाया जाता रहा। डॉक्टरों उसे रोजाना 9 यूनिट इंसुलिन दिया। एकदम तो फायदा नहीं, लेकिन 15 दिन बाद स्थिति में सुधार हुआ है। शुक्रवार सुबह नाश्ते के बाद आस्का का शुगर लेवल 200 रहा। चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ. शरद थोरा और उनकी टीम की देखरेख में बच्ची का इलाज चल रहा है।

पर्स चोरी...
आस्का की मां गीताबाई तीन दिन पहले एमवायएच के स्नानागार में गई। किसी महिला ने कहा कि तुम्हें डॉक्टर आवाज दे रहे हैं। उनका पर्स स्नानागार में रखा था। उनके वार्ड में जाते ही सूचना देने वाली अज्ञात महिला पर्स  लेकर रफूचक्कर हो गई, जिसमें चार हजार रुपए रखे थे। गीताबाई ने बताया कि वैसे तो अस्पताल में दवाएं मुफ्त मिल रही हैं, लेकिन हमारे लिए चार हजार रुपए बड़ी रकम है। पुलिस सहायता केंद्र पर शिकायत की है, लेकिन किसी ने सुध नहीं ली।

डॉक्टर पर आरोप...

आस्का के मामा मनोज सांगुले ने बताया कि खंडवा जिला अस्पताल में शुगर लेवल कम होने का कहकर डॉक्टर भूषण पांडे ने उसे रसगुल्ले खाने को कहा। ऐसे में शुगर का आंकड़ा 570 पहुंच गया। उन्होंने हमें इंदौर जाने के लिए कहा। हम डॉक्टर के खिलाफ शिकायत करेंगे।

नष्ट हो जाते हैं बीटा सेल
डॉक्टरों ने बताया कि हजारों बच्चों में से एक में यह बीमारी पाई जाती है। इस तरह के मरीज के शरीर में इंसुलिन बनाने वाला बीटा सेल नष्ट हो जाता है। इस वजह से उन्हें टाइप-2 डायबिटीज हो जाती है। ऐसे केस में इंसुलिन दिया जाना ही एकमात्र उपाय है। भविष्य में जीन थैरेपी इसका विकल्प हो सकता है, परंतु अभी उसका सामान्यीकरण होना बाकी है।

मॉनिटरिंग करना पड़ेगी

इतनी कम उम्र की बच्ची में शुगर का यह लेवल पाया जाना रेयर केस की श्रेणी में आता है। ताउम्र मॉनिटरिंग करना पड़ेगी। शुगर होने से आंखों में कमजोरी, किडनी, नसों और दिल में भी प्रभाव पड़ता है। खंडवा जिला अस्पताल में भी इंसुलिन और अन्य जरूरी दवाएं मुफ्त मिलती हैं। ऐसे बच्चों के प्रति विशेष सतर्कता की जरूरत होती है।
-डॉ. धर्मेंद्र झंवर
डायबिटीज विशेषज्ञ एमवायएच

कंट्रोल कर लिया है...
बच्ची का शुगर लेवल कंट्रोल कर लिया गया है। जिंदगीभर रोजाना एक बार शुगर लेवल चेक करना पड़ेगा।
-डॉ. शरद थोरा
चाइल्ड स्पेशलिस्ट, एमवायएच

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