28 Mar 2024, 17:52:29 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

रफी मोहम्मद शेख इंदौर। प्रदेश के प्रशासनिक पदों पर अब बेटियों का रुतबा लगातार बढ़ रहा है। मध्यप्रदेश राज्य सेवा आयोग (एमपीपीएससी) द्वारा राज्य सेवा परीक्षा 2013 के घोषित रिजल्ट में बेटियों ने तय आरक्षण से ज्यादा पदों पर कब्जा जमाया है। खास बात यह है कि महिलाओं ने उप पुलिस अधीक्षक (डीएसपी) जैसे पदों पर पुरुषों के समान आधे स्थानों पर नौकरी पाई है, जबकि इनका आरक्षण करीब 30 प्रतिशत है।

डीएसपी के लिए अनारक्षित 15 पदों सहित कुल 30 पद घोषित किए थे। इसमें से नौ पद महिलाओं के लिए आरक्षित थे, जबकि कुल 15 महिलाओं ने मुख्य लिस्ट में स्थान बनाया है और तो और प्रथम क्रम पर महिला यानी निवेदिता सिंह ने स्थान बनाया है। इस चयन से साफ है कि भविष्य में अधिकारियों के रूप में महिलाओं का दबदबा बढ़ेगा। राज्य सेवा परीक्षा 2012, 2014, 2015 और 2016 में भी यही ट्रेंड रहा तो राज्य में महिला अधिकारियों की संख्या पुरुष अधिकारियों के समकक्ष हो जाएगी।

दो गुना से भी ज्यादा: सहायक संचालक वित्त विभाग के कुल 50 पद थे, जिन पर 23 महिलाएं सिलेक्ट हुर्इं, जबकि उनके लिए आरक्षण सिर्फ 15 पदों का था। वाणिज्यिक कर अधिकारी के 10 आरक्षित पदों से ज्यादा 16 और बाल विकास परियोजना अधिकारी के 11 आरक्षित पदों के मुकाबले 25 पदों पर महिलाएं चयनित हुए हैं। इसमें कुल पद 44 थे यानी महिलाओं की संख्या पुरुषों से भी ज्यादा है। इसी प्रकार सहायक संचालक जनसंपर्क, सहायक संचालक जिला आपूर्ति अधिकारी, सहायक संचालक महिला बाल विकास अधिकारी, विकासखंड महिला सशक्तिकरण अधिकारी, सहायक क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी, नायब तहसीलदार व निरीक्षक जैसे पदों पर भी महिलाओं ने बाजी मारी है।


बिना रिजर्वेशन भी टॉप पर
जिला जेल अधीक्षक के पद में महिलाओं के लिए कोई स्थान रिजर्व नहीं था, लेकिन मार्क्स के आधार पर कीर्ति दुबे ने इस सूची में शीर्ष स्थान हासिल किया। ऐसी ही स्थिति सहायक संचालक, जिला आपूर्ति अधिकारी के पद पर रही। सहायक जेल अधिकारी के कुल नौ पदों में महिलाओं के लिए केवल एक स्थान था, लेकिन जब मेरिट लिस्ट आई तो उसके बाद तीन महिलाओं ने मुख्य लिस्ट में स्थान बनाया है। इसके साथ ही टॉप 20 में 12 स्थानों पर महिलाएं रहीं। वेटिंग लिस्ट में भी 10 में से चार महिलाएं है।

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