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बीच तालाब में फेंसिंग के बजाय बन रही 525 मीटर लंबी दीवार

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 25 2016 10:34AM | Updated Date: Jun 25 2016 10:34AM
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विनोद शर्मा इंदौर। पीपल्याहाना तालाब से लगी विवादित जमीन के जलमग्न होने के बाद अब निर्माणाधीन जिला कोर्ट की वैधानिकता पर सवाल उठने लगे हैं। बीच तालाब में बाड़ और फेंसिंग के नाम पर 17220 वर्गफीट लंबी-चौड़ी रिटेनिंग वॉल बनाई जा रही है, जबकि मास्टर प्लान 2021, मप्र स्टेट इन्वायर्नमेंट इम्पेक्टस असेसमेंट अथॉरिटी  से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल तक तालाब की जमीन से 30 मीटर दूर तक किसी तरह के निर्माण की इजाजत नहीं देते।

स्टेट एक्सपर्ट अप्राइजल कमेटी ने 20 फरवरी 2016 को पीपल्याहाना तालाब से लगी जमीन पर जिला कोर्ट निर्माण को इन्वायर्नमेंट क्लीयरेंस (ईसी) दी थी। 11.161 हेक्टेयर जमीन पर कुल 144492 वर्गमीटर निर्माण की सशर्त अनुमति दी थी। 18 मार्च 2016 को एक आदेश में एनजीटी ने 20 शर्तों का उल्लेख कर उन्हीं के पालन के साथ निर्माण को स्वीकारा। पहली शर्त थी कि तालाब के फुल टैंक लेवल से 30 मीटर तक निर्माण नहीं हो सकता। ग्रीन बेल्ट विकसित करना होगा, जबकि यह जमीन वर्षों से एफटीएल का हिस्सा रही है। इसकी पुष्टि गूगल अर्थ से निकाली गई सैटेलाइट इमेज भी करती है।

बोरिंग भी कर लिए- शर्तों के अनुसार पानी नगर निगम देगा। उत्खनन करके भू-जल का दोहन नहीं होगा, जबकि अब तक निर्माण एजेंसी और कंपनी दो बोरिंग करा चुकी है।

विकास का मतलब भी परिभाषित नहीं
एसईएसी और एनजीटी की शर्तों के अनुसार निर्माण एजेंसी पश्चिम की ओर (तालाब की तरफ) सुरक्षा की दृष्टि से फेंसिंग कर बांध क्षेत्र में विकास कर सकती है। यहां न 525 मीटर (1722 फीट) लंबी और दस फीट चौड़ी रिटेनिंग वॉल का जिक्र है और न ही विकास का मतलब रिटेनिंग वॉल के रूप में परिभाषित है। विकास का मतलब बांध क्षेत्र में पेड़ लगाना, ग्रीनरी विकसित करना है।

अब तालाब का पानी गंदा करेगा
गुरुवार तक तालाब खाली था। निर्माण जब शुरू हुआ था, तब भी तालाब सूखा था। अब एक तरफ जहां बरसात के साथ तालाब में पानी का स्तर बढ़ रहा है, वहीं रिटेनिंग वॉल के निर्माण के कारण पानी दूषित भी हो रहा है। इसके  दो कारण हैं। पहला, मटेरियल मिक्सर का गंदा पानी व दूसरा, तरी में इस्तेमाल होने वाला पानी।

शर्तें, जो बचाएंगी तालाब
1. टाउन एंड कंट्री प्लानिंग द्वारा 11 फरवरी को दी गई अनुमति के अनुसार किसी भी तरह का निर्माण तालाब के हाई फ्लड लेवल (एचएफएल) से 30 मीटर की दूरी तक नहीं होगा। 
2. निर्माण और संचालन के दौरान जीरो वेस्ट वाटर डिस्चार्ज की व्यवस्था करना होगी। इतना ही नहीं किसी भी सूरत में ट्रीट किया हुआ पानी तालाब में नहीं छोड़ा जाएगा।
3. नगर निगम की सीवरेज लाइन से सीवर सिस्टम मिलाना होगा। नियमित रूप से पानी की गुणवत्ता की जांच होगी।
4. निर्माण एजेंसी को तालाब में एरेशन सिस्टम विकसित करना होगा, ताकि पानी में आॅक्सीजन की मात्रा और पानी की गुणवत्ता न सिर्फ बनी रहे, बल्कि सुधरे भी।
5. निर्माण एजेंसी को तालाब की मरम्मत और संरक्षण का काम पूरे तरीके से सुनिश्चित करना होगा और इसे लागू करने के लिए बजट में पर्याप्त प्रावधान करने होंगे। इसके साथ ही वर्षा जल पुनर्भरण भी सुनिश्चित करना होंगे। जिन खाइयों से पानी की आवक है उनके तल को कच्चा रखना है, ताकि पानी की निर्बाध आवक बनी रहे।
6. मौजूदा कॉलोनियों की सीवरेज व्यवस्था दक्षिण तरफ नहीं की गई है, जिससे सीवरेज उस नाले में बह रहा है, जो सीधे तालाब से जुड़ा है। नगर निगम मेन लाइन में इस सीवरेज की निकासी सुनिश्चित करे।
7. प्रस्तावित भवन तालाब के कैचमेंट एरिया में आ रहा है। इसीलिए निर्माण एजेंसी को पानी का बहाव आसान बनाने के लिए स्कीम 140 की ओर से तालाब तक पानी पहुंचाने वाले चैनल को अपनी संपत्ति में से निकालना होगा। निर्बाध प्रवाह के लिए अंडरग्राउंड ग्रीट चेंबर बनाए, जिसमें मलबा न मिले।
8. तालाब और आसपास के क्षेत्र के साथ ही आसपास के वातावरण (पेड़-पौधे और जीव-जंतु) में छेड़छाड़ न हो।

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