रफी मोहम्मद शेख इंदौर। देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी के अंतर्गत चलने वाले बीकॉम आॅफिस मैनेजमेंट के विद्यार्थी परेशानहाल हैं। वास्तव में सेकंड सेमेस्टर में अधिकांश छात्र-छात्राएं एक ही विषय में लगातार चार साल से फेल हो रहे हैं। स्थिति यहां तक पहुंच चुकी है कि यह सब फाइनल सेमेस्टर उत्तीर्ण कर चुके हैं, लेकिन इस विषय में फेल होने के कारण नियमानुसार इन्हें न तो पास माना जा रहा है और न ही डिग्री दी जा रही है। साथ ही इस बार अब उनका आखिरी अटैम्ट बचा है। ऐसा अन्य सालों के विद्यार्थियों के साथ भी हो रहा है। इस मामले में कॉलेज प्रिंसीपल ने बाकायदा यूनिवर्सिटी को लिखित में सही मूल्यांकन करवाने का पत्र भेजा है।
जानकारी के अनुसार शहर के दो कॉलेजों न्यू जीडीसी और खालसा कॉलेज में बैचलर आॅफ कॉमर्स इन आॅफिस मैनेजमेंट का कोर्स चलाया जाता है। इसमें सेकंड सेमेस्टर के एक विषय शार्टहैंड में पिछले कई सालों से विद्यार्थी लगातार फेल होते जा रहे हैं। हर साल इस विषय में फेल होने वाले विद्यार्थी एटीकेटी की परीक्षा देते हैं, लेकिन चंद ही वापस पास हो पाते हैं।
80 प्रतिशत शार्टहैंड में
यूनिवर्सिटी पहुंची न्यू जीडीसी की छात्राओं ने बताया कि उन्होंने 2012 में इस कोर्स में एडमिशन लिया था। उसके बाद 2015 में उन्होंने फाइनल सेमेस्टर भी फर्स्ट डिवीजन से पास कर लिया है, लेकिन सेकंड सेमेस्टर के शॉर्टहैंड में पिछले चार साल से फेल हो रही हैं। हर बार वो एटीकेटी की परीक्षा भी देती हैं लेकिन इस विषय में उन्हें फेल कर दिया जाता है। पिछले सालों में करीब 80 प्रतिशत विद्यार्थी इसी विषय में फेल हुए हैं। ऐसी ही स्थिति खालसा कॉलेज के विद्यार्थियों की भी है।
डिग्री ही नहीं मिलेगी
इन विद्यार्थियों के साथ अब एक नई समस्या आ गई है। यह विद्यार्थी फाइनल की परीक्षा पास कर चुके हैं, लेकिन इन्हें शार्टहैंड के कारण न तो फाइनल की मार्कशीट दी जा रही है और न ही पास माना जा रहा है। यूनिवर्सिटी के नियमानुसार किसी भी विद्यार्थी को अंडर ग्रेजुएट का कोर्स छह साल में किसी भी सूरत में उतीर्ण करना अनिवार्य होता है। इन विद्यार्थियों ने 2012 में एडमिशन लिया था और अब इन्हें पांच साल हो गए हैं। यानी इस साल इनका आखिरी अटैम्ट होगा। इसके बाद इनका पूरा कोर्स ही इनवेलिड हो जाएगा और इन्हें ग्रेजुएशन की डिग्री ही नहीं मिल पाएगी।
नहीं बदले नंबर
छात्राओं ने परीक्षा विभाग के अधिकारियों को अपनी व्यथा बताई। साथ ही एक और सनसनीखेज बात बताई कि वो जब भी रिव्यू का फार्म भरकर कॉपियां देखती हैं तो उन्हें कॉपी में वो नंबर नहीं मिलते जो मार्कशीट में दिए जाते हैं। उन्होंने इसकी शिकायत मूल्यांकन सेंटर पर भी की लेकिन इसमें कोई बदलाव नहीं आया है। उन्होंने जब कॉपियां देखी तो वह सही तरीके से चैक ही नहीं की गई हैं। उन्हें रिव्यू के बाद नंबर में परिवर्तन करने की बात कही गई, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
क्या है आॅफिस आॅटोमेशन
इस कोर्स में इन कॉलेजों में प्रति वर्ष 60 विद्यार्थियों को एडमिशन दिया जाता है। यह कोर्स यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन द्वारा घोषित प्रोफेशनल कोर्स है। इस कोर्स में आॅफिस से संबंधित सारी जानकारी दी जाती है, जिसमें कम्प्यूटर से लेकर आॅफिस आॅटोमेशन और शार्टहैंड तक के विषय अलग-अलग सालों में पढ़ाए जाते हैं। विद्यार्थी को आॅफिस एक्सपर्ट बनाने के लिए यूजीसी ने बीकॉम के साथ इसे जोड़ा है।
विषय का ज्ञान ही नहीं...
मैंने इस संबंध में छात्राओं की समस्या को यूनिवर्सिटी के अधिकारियों को तो बताया ही है इसके साथ ही लिखित में भी आवेदन दिया है। मेरे हिसाब से तो निश्चित ही शार्टहैंड की कॉपियां जांचने वाला ही उस विषय का ज्ञान नहीं रखता है। नहीं तो एक-दो बार नहीं चार बार इतनी छात्राएं फेल हो ही नहीं सकती।
- डॉ. कीर्ति तिवारी
प्रभारी प्रिंसीपल - न्यू जीडीसी