राहुल सेठी इंदौर। सुपर कॉरिडोर के पास साढ़े 25 एकड़ जमीन पर बन रहे नरसीमुंजी विश्वविद्यालय के प्रमुखों ने हाई कोर्ट के आदेश को हवा में उड़ा दिया है। कोर्ट के रोक के आदेश के बाद भी जमीन पर निर्माण चल रहा है।
बड़ा बांगड़दा स्थित खसरा क्रमांक-321 की 2.088 हेक्टेयर जमीन को लेकर नया विवाद सामने आया है। यह जमीन किसान अजबसिंह और उनके परिवार की है। शासन ने 2014 में नरसीमुंजी विवि के नाम से इसकी रजिस्ट्री की थी। मामले में किसान ने शासन और विवि के खिलाफ हाई कोर्ट की शरण ली थी। कोर्ट ने 16 नवंबर 2015 को यथास्थिति का आदेश दिया था। यहां चल रहे निर्माण की जानकारी जिला प्रशासन को भी है, लेकिन वह कार्रवाई नहीं कर रहा। कोर्ट ने खसरा क्रमांक-229 पर भी यथास्थिति का आदेश दिया है।
16 नवंबर 2015 के आदेश के बाद 7 और 14 दिसंबर फिर 9 फरवरी 2016 और फिर 5 मई को सुनवाई हुई। हर बार शासन के वकील ने जवाब देने के लिए समय मांगा,ऐसे में हाई कोर्ट ने 16 नवंबर के आदेश को जारी रखा।
रजिस्ट्री की आपत्ति भी नहीं सुनी
नरसीमुंजी के नाम जब प्रशासन जमीन की रजिस्ट्री कर रहा था, उस समय अजबसिंह ने आपत्ति दर्ज कराई थी। आपत्ति पर जिला प्रशासन ने सुनवाई नहीं की थी। नामांतरण के लिए मामला संभागायुक्त के समक्ष विचाराधीन है। इसके बावजूद भी प्रशासन ने विवि के पक्ष में रजिस्ट्री करने की कवायद कर दी है।
डिक्री भी पक्ष में
1997 में सप्तम जिला जज इंदौर ने किसान के पक्ष में डिक्री आदेश दिया। इसमें खसरा क्रमांक और कुल जमीन के संबंध में आदेश है, इसमें उल्लेख है कि किसान जमीन के स्वामी हो गए हैं।
ये गए कोर्ट
कोर्ट में अजबसिंह, अंतरसिंह, इंदरसिंह और फूलसिंह द्वारा याचिका दायर की गई थी। इनकी याचिका पर ही कोर्ट ने आदेश दिया।
इनको बनाया पार्टी
मप्र शासन के रेवेन्यू प्रिंसिपल सेक्रेटरी, कलेक्टर इंदौर, नजूल अधिकारी, नरसीमुंजी विवि, श्री विले पार्ले केलवणी मंडल, श्री भाईदास मगनलाल सभागृह भवन विले पार्ले मुंबई।
शासन की जवाबदारी
हमें शासन ने जमीन दी है, वो ही विवादों का हल कराए। कोर्ट के स्टे का पता नहीं। वहां निर्माण चल रहा है।
आशीष तांबे, पीआरओ नरसीमुंजी विवि
अवमानना का केस दर्ज करेंगे
नरसीमुंजी के संचालक कोर्ट के आदेश का पालन नहीं कर रहे। हम कोर्ट की अवमानना का केस दर्ज करेंगे।
रमेश सोनवडे, वकील, याचिकाकर्ता