संतोष शितोले इंदौर। कुलीनों की संस्था यशवंत क्लब के चुनाव को लेकर जबर्दस्त सरगर्मी है। चुनाव में क्लब की करीब 74 साल पुरानी इमारत के रिनोवेशन का दावा फिर किया जा रहा है। खास बात यह कि हर चुनाव के दौरान मौजूदा मैनेजिंग कमेटी द्वारा इमारत की खूबसूरती पर डेवलपमेंट फंड व मास्टर प्लान की दुहाई दी जाती है। चौंकाने वाली बात यह कि क्लब की इस सात दशक पुरानी इमारत में पिछली कमेटी ने दो साल में 2.24 करोड़ रुपए रिनोवेशन के नाम खर्च कर डाले। हकीकत यह है कि इतनी बड़ी राशि को लेकर रिनोवेशन नहीं बल्कि सुधार कार्य (मेंटेनेंस) हुआ है। स्थिति यह है कि अब क्लब के फंड में मात्र 2.20 लाख रुपए बचे हैं। वैसे पिछले एक दशक में इस इमारत के रिनोवेशन के नाम पांच करोड़ से ज्यादा खर्च किए जा चुके हैं, जबकि इतनी राशि में तो नई इमारत ही बन जाती।
उक्त इमारत पर रिनोवेशन के नाम पर डेवलपमेंट फंड खर्च करने की शुरुआत 1990-95 में हुई। 1997 में तत्कालीन सदस्यों ने एक नई बिल्डिंग बनाने का सुझाव दिया, जिसे कमेटी ने अस्वीकार कर दिया। बताया जाता है कि उस दौरान नई बिल्ंिडग का प्लान तैयार किया गया। 30 हजार वर्गफीट में उक्त बिल्डिंग तब 340 रुपए प्रति वर्गफीट के रेट से अनुमानित की गई जो करीब एक करोड़ रुपए में बनना प्रस्तावित थी, लेकिन अमल नहीं किया गया। उस दौरान तत्कालीन मैनेजिंग कमेटी ने क्लब की जर्जर इमारत में 70 लाख रुपए लगाकर डाइनिंग हॉल और कुछ कमरे बना दिए। इसके बाद रिनोवेशन तो कभी रिपेयर के नाम पर लाखों रुपए खर्च किए गए। इसी तरह मेंटेनेंस के नाम पर अच्छे फर्श को उखाड़ा गया तो कभी सौंदर्यीकरण के नाम पर रुपए खर्च किए गए। हर दो साल में बदलने वाली कमेटी इमारत पर निरंतर रुपए बर्बाद करती रही।
फिजूलखर्ची की बानगी
जानकारी के मुताबिक 2014-16 के टर्म के लिए टोनी सचदेवा-संदीप पारीख ने सात अन्य साथियों के साथ काम संभाला। तब डेवलपमेंट फंड में पिछली कमेटी द्वारा छोड़े गए 77.89 लाख रुपए थे। नए सदस्यों से 2014-15 में 29.30 लाख मिले। इसके बाद जून 2014 में डेवलपमेंट के नाम प्रति सदस्य एक हजार रुपए लिए गए। इस तरह राशि बढ़कर 40.48 लाख रुपए हो गई। फिर 2015-16 में नए सदस्यों से 31.79 लाख रुपए मिले। सदस्यता शुल्क 100 रुपए बढ़ा देने से 2014-16 में 45 लाख रुपए मिले। इस तरह उक्त राशि में से 2.24 करोड़Þ रुपए डेवलपमेंट में खर्च कर दिए।
अब मास्टर प्लान के नाम नई नीति
सदस्यों के मुताबिक 2.24 करोड़ की राशि से बाउंड्रीवॉल, दो टॉयलेट और एक वॉलीबॉल कोर्ट (जो कोई खेलता ही नहीं) बनाया। बाकी सब रिनोवेशन के नाम पर खर्च किए गए जिससे क्लब को कोई इनकम नहीं हुई। क्लब को लेकर कम्प्यूटर पर डेवलपमेंट के नाम से मास्टर प्लान बनाया है, जिसके लिए 1.50 लाख रुपए दिए जा चुके हैं। इसमें उक्त इमारत को जोड़-तोड़कर नए ढंग से संवारा जाएगा, यानी हर दो साल में इमारत के नाम कमेटी इस पर करोड़ों रुपए खर्च कर चुकी है। कुल मिलाकर पिछले 20 साल से मास्टर प्लान बन ही रहा है। इस बीच अर्जेंट वर्क के नाम पर करोड़ों खर्च किए जा चुके हैं। साथ ही आॅडिटर से मिलकर अकाउंट में हेराफेरी की जा रही है। इसके लिए आॅडिटर को भी तगड़ी फीस दी गई। हर साल उसकी फीस 10 प्रतिशत बढ़ जाती है। क्लब के सदस्य बार-बार डाइनिंग हॉल, हेल्थ क्लब और जिम में हो रही फिजूलखर्ची से चिंतित हैं। बीते सालों में आठ लाख रुपए के कम्प्यूटर खरीदे गए और 8.50 लाख रुपए इनके मेंटेनेंस पर खर्च कर दिए गए।
क्लब का अधिकृत बयान उपलब्ध करा दूंगा
मैं इस मामले में क्लब की ओर से कल अधिकृत बयान उपलब्ध करा दूंगा। इससे ज्यादा मैं कुछ नहीं कह सकता।
-संदीप पारीख, सचिव, यशवंत क्लब