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अफसरों-व्यापारियों ने दिया 213 करोड़ का फटका

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 22 2016 10:27AM | Updated Date: Jun 22 2016 10:27AM
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विनोद शर्मा इंदौर। वाणिज्यिक कर विभाग को अधिकारियों, दलालों और कर चोर व्यापारियों के गठबंधन ने एक साल में 213 करोड़ की चपत लगाई है। इसका खुलासा कंट्रोलर एंड आॅडिटर जनरल आॅफ इंडिया (सीएजी) की रिपोर्ट में हुआ है। गलत टैक्स असेसमेंट, आरोपित की गई गलत टैक्स रेट और गैरकानूनी रूप से दी गई छूट सहित कई तरह के वैट एक्ट के उल्लंघन सीएजी की जांच में सामने आए हैं।

सीएजी ने वैट एक्ट और टैक्स असेसमेंट व कलेक्शन सिस्टम की जांच अक्टूबर 2014 से जून 2015 के बीच की थी। इंदौर सहित प्रदेश के 30 कार्यालयों के 9063 में से 160 असेसमेंट केसों की जांच की। जांच में ही 499.41 करोड रुपए असेसमेंट में शामिल नहीं किए गए। जिस पर 41.84 करोड़ की पेनल्टी सहित 82.08 करोड़ का टैक्स वसूला जा सकता था।

तो तीन हजार करोड़ से ज्यादा की चोरी आएगी सामने
213 करोड़ की गड़बड़ असेसमेंट के 43438 में से 402 प्रकरणों की जांच के दौरान ही सामने आई है। यानी हर प्रकरण में औसत 52 लाख 98 हजार 507 रुपए की गड़बड़। अब 30 प्रतिशत प्रकरण शंका की नजर से देखे जा रहे हैं। इसी औसत से  मामले सामने आते हैं तो सेंधमारी का आंकड़ा 3257.85 करोड़ के पार जाता है।


दी मनमानी छूट
31 कार्यालयों के 13840 में से 79 प्रकरणों की जांच में गलत छूट देकर सरकार को इंट्री टैक्स पेटे मिलने वाले 10.37 करोड़ की क्षति पहुंचाने का खुलासा हुआ है। यहां जिन उत्पादों पर इंट्री टैक्स की छूट नहीं दी जाना थी, वहां भी छूट दी गई।
15 कार्यालयों के 99 में सात प्रकरणों की जांच के अनुसार सेंट्रल सेल टैक्स (सीएसटी) ट्रांजिट सेल पर 229.21 करोड़ की गलत छूट दी और सरकार को 9.87 करोड़ का नुकसान पहुंचाया।

गड़बड़ फार्म भी नहीं देखे
‘सी’ और ‘एफ’ फार्म के बिना या गड़बड़ ‘सी’ और ‘एफ’ से 267.72 करोड़ की इंटरस्टेट सेल का असेसमेंट करके टैक्स लिया। 17 कार्यालयों के 1629  में से 29 प्रकरणों की जांच में ही 1.22 करोड़ की पेनल्टी सहित 11.86 करोड़ की सेंधमारी की गई।
सोयाबीन और कपास की बिक्री पर कर निर्धारण करते समय, एक माह से अधिक के ट्रांजेक्शन पर टीडीएस सर्टिफिकेट स्वीकार कर लिए। 13 कार्यालयों के 4,226 में से 40 मामलों में ही 4.45 करोड़ का अनियमित टीडीएस समायोजन सामने आया है।

यह भी गड़बड़
24 कार्यालयों के 5044 में से 51 प्रकरणों की नमूना जांच में पता चला कि कर निर्धारण अधिकारी ने 143.54 करोड की बिक्री पर कम दर से टैक्स लगाया।  इससे 26.8 करोड़ की पेनल्टी सहित 38.57 करोड़ रुपए डिपार्टमेंट को नहीं मिले।
17 कार्यालयों के 5469  में से 27 प्रकरणों की जांच में सामने आया कि अधिकारियों ने असेसमेंट के दौरान कुल विक्रय राशि में से टैक्स की रकम  घटा दी, जबकि टैक्स राशि कुल विक्रय में शामिल ही नहीं थी। इससे 32.22 करोड़ कम टैक्स मिला।

यहां भी गड़बड़झाला
जिन वस्तुओं पर टैक्स लगता है व्यापारियों ने उन्हें कर मुक्त बताकर बेच दिया। सात कार्यालयों के 4068 में से 9 केसों की जांच में 1.26 करोड़ की पेनल्टी सहित 1.82 करोड़ की गड़बड़ मिली।

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