पंकज भारती इंदौर। प्रदेश में बाल श्रम को रोकने के लिए शिवराज सरकार के महत्वपूर्ण कदम को केंद्र की मोदी सरकार ने रोक दिया है। प्रदेश श्रम विभाग ने बाल श्रम के आरोप में पकड़े गए व्यक्तियों और संस्थानों से वर्तमान में लागू जुर्माना और सजा के अतिरिक्त 25 हजार रुपए का दंड वसूलने का प्रस्ताव केंद्रीय श्रम मंत्रालय को भेजा था। प्रस्ताव में 25 हजार रुपए अतिरिक्त दंड के साथ ही यह प्रावधान भी था कि होटल, दुकान, फैक्टरी, आॅफिस या ऐसे ही किसी संस्थान में बच्चों से काम कराया जाता है, तो उस संस्थान के मालिक को उस बच्चे की पढ़ाई का खर्च भी देना होगा। श्रमायुक्त केसी गुप्ता का कहना है कि प्रस्ताव पर केंद्र का कहना था कि बाल श्रम के आरोप में पकड़ाए व्यक्ति या संस्थान से 25 हजार रुपए की राशि कमेटी की जांच में दोषी पाए जाने पर तुरंत श्रम विभाग द्वारा वसूल ली जाएगी, लेकिन जिस व्यक्ति को कमेटी ने दोषी पाया है। वह न्यायालय या अन्य अपीलीय संस्थान में गया तो उस केस के निपटारे में पांच से छह साल का समय लगने की आशंका है। यदि आरोपी व्यक्ति वहां से जीत जाता है, तो उस स्थिति में उससे वसूले गए 25 हजार रुपए और उस पर लगने वाले ब्याज को वापस किस मद में करेंगे। केंद्र का कहना था कि जब तक यह स्पष्ट नहीं होगा, नए नियमों पर सहमति नहीं दी जा सकती। अधिकारियों के अनुसार प्रस्ताव नए सिरे से तैयार कर पुन: अनुमति के लिए भेजा जाएगा।
छह माह की सजा का प्रावधान
प्रदेश के बाल श्रम अधिनियम के अनुसार बाल श्रम के दोषी पाए जाने पर 20 हजार रुपए के जुर्माने के साथ ही छह माह का सश्रम कारावास की व्यवस्था है। श्रम विभाग ने सामाजिक सरोकार को ध्यान में रखकर प्रस्ताव केंद्र को भेजा था। अधिकारियों के अनुसार जो अतिरिक्त 25 हजार रुपए की राशि वसूली जाती, उसका उपयोग उस बच्चे की आर्थिक सहायता के रूप में किया जाता। साथ ही स्कूल व कॉलेज तक की पढ़ाई का पूरा खर्चा आरोपी से वसूले जाने की योजना थी।
विशेष कमेटी करेगी जांच
श्रमायुक्त के अनुसार बाल श्रम अधिनियम के तहत पकड़े गए आरोपियों के खिलाफ जांच का काम जिला कलेक्टर के नेतृत्व में तीन अधिकारियों की एक कमेटी द्वारा किया जाता है। कमेटी की रिपोर्ट में आरोप सिद्ध होने पर 25 हजार रुपए का जुर्माना तुरंत वसूला जाना था।
भेजा था प्रस्ताव
प्रस्ताव तैयार कर केंद्र को भेजा था, लेकिन इस पर क्या निर्णय हुआ यह नहीं पता। मैं रीवा में हूं, वर्तमान स्थिति क्या है, इसका पता भोपाल से करना होगा।
- अंतर सिंह आर्य, श्रम मंत्री, मप्र शासन
नहीं दी अनुमति
बाल श्रम के आरोपी से वर्तमान दंड और जुर्माने के अतिरिक्त 25 हजार रुपए और बच्चे की पढ़ाई का खर्च वसूलने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा था। केंद्र ने प्रस्ताव को अनुमति देने से इनकार कर दिया।
- केसी गुप्ता, श्रमायुक्त, मप्र शासन