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नौ साल में सिर्फ बाउंड्रीवॉल के अंदर सिमटकर रह गया रिलायंस का सपना

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 21 2016 9:59AM | Updated Date: Jun 21 2016 9:59AM
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संतोष शितोले इंदौर। उद्योगपति मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज द्वारा शहर में खरीदी गई करोड़ों की नौ एकड़ जमीन नौ साल बाद केवल बाउंड्रीवॉल में ही सिमट कर रह गई है। करार के तहत तब एक साल में नगर निगम से निर्माण की स्वीकृति लेकर आईडीए में प्रस्तुत करना था। कब्जा मिलने की दिनांक से चार साल में निर्माण पूरा करना था, लेकिन नहीं किया। समयावधि निकलने पर रिलायंस ने आईडीए से फिर चार साल का समय लिया, जो सितंबर 2015 में खत्म हो चुका है और शर्तों का उल्लंघन हो गया। खास बात यह कि रिलायंस ने उक्त जमीन पर शॉपिंग मॉल, मल्टीप्लेक्स सहित कई सब्जबाग दिखाए थे। रिलायंस का सपना भले ही बाउंड्रीवॉल में सिमटकर रह गया हो, लेकिन उसके नाम से आसपास के क्षेत्रों की जमीन के भाव जरूर आसमान को छू गए हैं।

तब 270 करोड़ में लीज होल्ड पर खरीदी जमीन
आईडीए और रिलायंस के बीच 2007 में स्कीम 54 स्थित प्लॉट (ए व बी, सयाजी होटल के सामने) को लेकर करार हुआ। उक्त जमीन नौ एकड़ से ज्यादा है। यहां लीज पर उक्त जमीन पर निर्माण करने संबंध में दोनों के बीच में महत्वपूर्ण शर्तें थी। जानकारी के मुताबिक क्षेत्र में जमीन की बाजार भाव से कीमत 2600 रुपए प्रति वर्गफीट थी, लेकिन रिलायंस को उक्त जमीन (पांच लाख वर्गफीट से ज्यादा) 8,500 रुपए वर्गफीट के भाव से दी गई। इस तरह 270 करोड़ रुपए का सौदा हुआ।

दो बार समय मिला, लेकिन नक्शे ही प्रस्तुत नहीं किए
अनुबंध के तहत आईडीए ने रिलायंस को 15 जनवरी 2008 को आवंटित भूखंड का कब्जा दे दिया। प्रमुख शर्त थी कि लीजगृहिता (रिलायंस) को कब्जा मिलने के दिनांक से एक साल के अंदर भवन निर्माण के नक्शे (अलग-अलग निर्माण) नगर निगम से स्वीकृत कराकर आईडीए को पेश करना होंगे। साथ ही कब्जा दिनांक से चार साल में निर्माण कार्य पूरा करना होगा। 2012 में रिलायंस को निर्माण पूरा करना था, लेकिन उसने नक्शे ही निगम में प्रस्तुत नहीं किए। लीज डीड शर्तों के उल्लंघन पर आईडीए ने लीज निरस्ती संबंधी नोटिस दिया। इस पर रिलायंस ने मामले में स्टे लंबित होने का हवाला देकर निर्माण करने में असमर्थता जताई और चार साल का समय मांगा, जिसके तहत 30 सितंबर 2015 तक रिलायंस को निर्माण पूरा करना था।

फिर फ्री होल्ड में परिवर्तन
उक्त समय भी बीत गया, लेकिन रिलायंस ने निर्माण तो दूर नक्शे ही निगम में पेश नहीं किए। इस बीच 2014 में रिलायंस ने उक्त लीज होल्ड की जमीन फ्री होल्ड करने को लेकर आईडीए को पत्र लिखा तो इसी साल आईडीए ने उक्त जमीन रिलायंस को फ्री होल्ड कर इस परिवर्तन के चार्ज के रूप में 3,70,97,420 रुपए और भरवाए। इस तरह 2014 में रिलायंस ने पूरी तरह से उक्त जमीन खरीद ली, लेकिन निर्माण की शर्तें यथावत थीं, जिसका पालन ही नहीं हुआ।

रिलायंस के नाम पर अभी भी सौदे
वर्तमान में इस जमीन की कीमत करीब 500 करोड़ रुपए है, लेकिन यहां रिलायंस की कोई योजना भविष्य में नजर नहीं आती। दूसरी ओर 2007 में रिलायंस ने जब आईडीए से उक्त जमीन का अनुबंध किया था, तब से आसपास के क्षेत्र स्कीम 54, स्कीम 74, विजय नगर, मेघदूत नगर, सुखलिया, न्याय नगर, भमौरी आदि के भाव ही बढ़ गए। फिर यहां आसपास बने मॉल्स व मल्टी में बने शो रूम, खाली प्लॉट, मकान-दुकानों के भाव आसमान छूने लगे। अभी भी प्रापर्टी ब्रोकर या जमीन मालिक, भवन, शो रूम के मालिक रिलायंस के नाम से ऊंचे भाव में सौदे कर रहे हैं।

नोटिस जारी किया है, कार्रवाई भी होगी
इस मामले में आईडीए ने रियालंस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अब जमीन लीज होल्ड की होकर भले ही फ्री होल्ड में परिवर्तित हो गई हो, लेकिन करार के दौरान जो नियम-शर्तें थीं, वह यथावत हैं। दूसरी बार चार की अवधि निकल जाने पर भी रिलायंस ने नक्शे की अनुमति प्रस्तुत कर जो उल्लंघन किया है, उस बारे में पूरी तस्दीक होगी। मामले में जो भी नीतिगत कार्रवाई होगी की जाएगी।
- शंकर ललवानी
अध्यक्ष, आईडीए

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