गौरीशंकर दुबे इंदौर। कोई व्यक्ति रेल की पटरी पर लेटकर डायल 100 को फोन करता है कि मैं मरने जा रहा हूं। मेरे घर का पता यह है, उन्हें बता देना कि मैं इस वजह से आत्महत्या कर रहा हूं। तब डायल 100 कंट्रोल रूम के पुलिसकर्मी उसे बातों में उलझाकर दो चार मिनटों में ही चार पहिया वाहन वहां पहुंचाकर उसे बचा लेते हैं। कोई घर या होटल में फांसी के फंदे पर लटकने वाला हो, कोई जहर खाने जा रहा हो, कोई खुद को फूंकने जा रहा हो और डायल 100 को सूचना दे दे, तो भी इसी तरकीब के सहारे डायल 100 टीम उसे समझा बुझाकर यह समझाने में कामयाब हो जाती है कि जिंदगी रंगीन है, खुशियों से भरी है, दुख को साथी बनाकर भी इसके पल -पल का मजा लूटा जा सकता है।
2015 में शुरू
दबंग दुनिया के विशेष भेंट के दौरान डायल 100 भोपाल मुख्यालय के डीएसपी ट्रेनिंग एंड आॅपरेशन हरीश मोटवानी ने बताया कि मप्र पुलिस विभाग द्वारा ईजाद की गई इस योजना को उत्तरप्रदेश में लागू कर अपराधों पर नियंत्रण पा लिया गया है। राजस्थान, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़ और कई राज्यों के पुलिस अधिकारी भोपाल आकर योजना का अवलोकन कर प्रभावित हुए हैं, क्योंकि इससे अमीरों और गरीबों को बड़ी राहत मिली है। 1 नवंबर 2015 से शुरू की गई यह योजना बेहद कारगर साबित हुई है।
हरीश मोटवानी से बातचीत
क्या नंबर टोल फ्री है?
- आप लैंडलाइन या मोबाइल फोन से कॉल करेंगे, तो इसे रिसीव कर एक मिनट में संबंधित थाना क्षेत्र की डायल 100 वाहन को फारवर्ड कर दिया जाएगा। शहर में वाहन 5 मिनट और ग्रामीण क्षेत्र में 30 मिनट में पहुंच जाता है।
पुलिस की 100 नंबर योजना से लोगों को पहले शिकायत थी?
- हो सकता है, लेकिन वह टेक्निकल फेलियर की वजह से होता था। आजकल अत्याधुनिक सर्वर रूम के साथ हम व्यवस्था संचालित कर रहे हैं। सर्वर रूम सेंट्रलाइज है। कंट्रोल रूम से इसका संचालन होता है। पीड़ितों के कॉल प्राइवेट कॉल टेकर्स रिसीव करते हैं। हर कॉल की रिकार्डिंग होती है, इसलिए अव्यवस्था का प्रश्न खड़ा नहीं होता। एक शिफ्ट में 80 कॉल टेकर सेवा देते हैं। 350 लोग विभिन्न विभागों के लिए काम करते हैं।
जुआं, सट्टा, अवैध शराब की बिक्री पर भी कार्रवाई करते हैं?
- नहीं। इन मामलों की शिकायत पर थानों को बता देते हैै। चेन स्नेचिंग, छेड़खानी, लूटपाट, अपहरण, गुंडागर्दी, एक्सीडेंट, आत्महत्या की कोशिश मामलों पर हम त्वरित कार्रवाई करते हैं। सालभर से कम समय में डायल 100 के टाटा स्ट्रॉम वाहन की ऐसी पहचान बन गई है कि कोई भी अपराधी संबंधित क्षेत्र में नहीं फटकता। महानगरों में हमने 40-40 वाहन दे रखे हैं। जिले में 12 से 15 और ग्रामीण क्षेत्रों में एक -एक।
एक्सीडेंट के लिए तो 108 भी है?
- हां, हम इसका भी सहयोग लेते हैं। जरूरी होता है, तो समय रहते पीड़ित को अस्पताल दाखिल करा आते हैं, या किसी प्रायवेट वाहन से छुड़वा देते हैं। सालभर में इसी वजह से कइयों की जान बची है।
क्या मप्र में डायल 100 से क्राइम रेट कम हुआ है?
- हां। हमें आशातीत सफलता मिला है, लेकिन आगे काम करने की जरूरत है। पुलिस बल बढ़ाना पड़ेगा। आठ -आठ घंटे की तीन शिफ्टों में कंपनी ने हमें 3000 ड्राइवर दे रखे हैं। एक वाहन में रिवॉल्वर और डंटे के साथ सब इंस्पेक्टर और सिपाही स्तर के दो जवान मौजूद रहते हैं। कुल 10000 की टीम हमारे पास है, जिसमें कम से कम 5000 सेवक और जोड़ने की जरूरत है। 10000 सेवकों में आधी महिलाएं भी हैं, लेकिन वे रात की शिफ्ट में काम पर नहीं बुलाई जातीं।
सम्मान में निकाला जुलूस
दतिया में एक दृष्टिहीन व्यक्ति अपने परिजनों से बिछुड़ गया था। उसने डायल 100 को फोन किया। वास्तव में उस क्षेत्र में हमारी सेवाएं नहीं थी, लेकिन हमारी टीम मशक्कत करके वहां पहुंची और वृद्ध को उनके परिजन के सुपुर्द कर दिया। आप यकीन मानिए कि गांववालों ने हमारे तीन जवानों को कंधे पर उठाकर फूलमालाएं पहनाईं और उनके सम्मान में जुलूस निकाला। हमारे पास आत्महत्या करने के पहले जो कॉल आते हैं, हम उन्हें फोन पर उलझाकर बचाने में शत प्रतिशत सफल हो जाते हैं।