अनिल धारवा इंदौर। भगवान राम गांव के एक छोटे से मंदिर में विराजे थे। गांव वालों की मंशा थी कि यहां उनका भव्य मंदिर बने। इसके लिए जमीन भी थी, लेकिन उस जमीन पर भगवान के बजाए उनका भक्त यानी पुजारी जी विराजमान थे। यह सिलसिला 14 साल से चल रहा था। आखिर शुक्रवार को वो पल आया जब तय हुआ कि भगवान छोटी मंदरी से निकलकर भव्य मंदिर में विराजित होंगे।
कलेक्टर, विधायक भी नहीं सुलझा पाए मामला
शहर से 20 किलोमीटर दूर जम्बूर्डी हप्सी गांव में 14 साल पहले गांव के बुजुर्गों ने यहां स्थित छोटे से मंदिर को बड़ा और भव्य बनाए जाने की शुरुआत की, लेकिन मंदिर से लगी जमीन पर रहने वाले पुजारी के परिवार द्वारा विरोध करने पर पूरा मामला ठंडे बस्ते में चला गया। नतीजा यह निकला कि रामलला पांच बाय पांच के मंदिर में ही रह गए। एक दौर ऐसा भी आया जब लोगों को लगने लगा कि ये वनवास लंबा खींच जाएगा या शायद खत्म ही न हो, लेकिन बीते दिनों इसमें फिर एक मोड़ आया। गांव के कुछ युवाओं ने इस रामलला को बड़े मंदिर में बैठाने की दोबारा मुहिम चलाई। इससे गांव और पुजारी के बीच फिर विवाद शुरू हो गया। गांव वाले मामले को कलेक्टर और क्षेत्रीय विधायक के पास भी ले गए। जब बात नहीं बनी तो मामला शंकराचार्य मठ के प्रभारी डॉ. गिरीशानंद महाराज तक पहुंचा। उनकी समझाइश के बाद ग्रामीण और पुजारी परिवार में सुलह हुई और बीच का रास्ता निकाला गया।
पुजारी के लिए बनेगा नया मकान
महाराज डॉ. गिरीशानंद की मौजूदगी में हुई बैठक में तय किया गया है ग्रामीण पहले पुजारी के परिवार के लिए गांव में ही दूसरी जगह नया मकान बनाकर देंगे। उसके बाद रामलाल के मंदिर बनेगा। वहीं मंदिर का काम भी आगामी 7 जुलाई से शुरू होगा।
सदियों पुराना है राम दरबार
गांव में किसी को भी जानकारी नहीं कि मंदिर की स्थापना कब हुई। बुजुर्ग बताते है सदियों पुराना है यह मंदिर। इस मंदिर में भगवान रामजी की मूर्ति के साथ माता सीता और लक्ष्मणजी की भी मूर्ति है। गांव के बीच बसे इस मंदिर को लोग उसी स्थान पर और बड़ा और भव्य बनाना चाहते थे लेकिन मंदिर से लगी जमीन पर रहने वाला पुजारी के परिवार के मोहन, मुकेश और एक अन्य भाई मंदिर में पूजापाठ करते है। पुजारी की सहमति के बाद पूरे 60 बाय 60 वर्गफीट की जमीन पर मंदिर बनाया जाना प्रस्तावित हुआ है।
विवाद खत्म हो गया
ग्रामीणों और पुजारी के बीच सहमति बन गई है। ग्रामीण पुजारी के परिवार को मकान बनाकर देंगे। पुजारी परिवार जमीन छोड़ने को तैयार हो गया है। अब रामलला का मंदिर भव्य और बड़ा बनेगा।
-डॉ. गिरीशानंद महाराज
प्रभारी,शंकाराचार्य मठ
हमने दे दी सहमति
ग्रामीणों की भवनाओं को देखते हुए हमने भी जमीन दे दी है। ग्रामीण हमारे परिवार के लिए मकान बनाकर देने की सहमति दे दी है। रामलाल के लिए बड़ा मंदिर बनाए जाने की शुरू आत भी हो चुकी है।
जगदीश दास, पुजारी