संतोष शितोले इंदौर। शहर के विकलांग टिम्बर मर्चेंट को मुंबई निवासी उनके बहन-बहनोई ने बॉलीवुड-हॉलीवुड फिल्मों के डिजिटल राइट्स खरीदकर टीवी चैनलों को बेचने संबंधी कंपनी खोलने के नाम 20 लाख रुपए लिए। इसके साथ ही उनसे कोरे चेक व दस्तावेज पर हस्ताक्षर करा लिए। फिर एक साल बाद वर्तमान खाता बंद कर नया खाता खोल लिया। दो साल बाद व्यवसाय नहीं चलने की बात कहकर उक्त खाता भी बंद करने का हवाला दिया। बाद में पता चला उनके खाते से बीते पांच सालों में 30 करोड़ रुपए का ट्रांजेक्शन हो चुका है। शिकायत क्राइम ब्रांच को की गई, जिसकी जांच चल रही है।
मामला अन्नपूर्णा नगर के रूपम पिता गुरुचरणसिंह खनूजा का है। वे पोलियोग्रस्त होने से विकलांग हैं और व्हील चेयर से आना-जाना करते हैं। 2006 में उनकी बहन गिन्नी पति रजनीश खनूजा निवासी मुंबई जो फिल्म व्यवसाय से जुड़ी हुई हैं, ने उन्हें एक व्यवसाय का प्रस्ताव दिया जिसमें 20 लाख रुपए का निवेश करना था। इसके तहत कंपनी का काम बॉलीवुड और हॉलीवुड फिल्मों के डिजिटल राइट्स खरीद कर टीवी चैनलों को बेचना था। व्यवसाय को संभालने की पूरी जिम्मेदारी गिन्नी और उसके पति ने लेकर रूपम खनूजा के नाम से एक फर्म सिल्वर स्क्रीन सॉल्युशन खुलवाई। इसके एकमात्र संचालनकर्ता रूपम थे और फर्म का एक बैंक खाता स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक में खुलवाया। उनका आरोप है कि व्यवसाय का कार्य क्षेत्र मुंबई होने से बहन ने उनसे कोरे चेक व दस्तावेजों पर साइन करवा लिए और व्यवसाय का संचालन मुंबई से करने लगी।
एक साल बाद मुंबई में नया खाता खुलवाया
एक साल बाद गिन्नी उनसे इंदौर का खाता बंद कर मुंबई में नया खाता खुलवाने की सलाह दी। उसका कहना था कि व्यवसाय मुंबई में था और बैंक खाता इंदौर में इसके कारण लेनदेन में परेशानी होती थी। इसके चलते इंदौर का खाता बंद करा दिया गया और एक नया खाता फर्म के नाम से सेंचुरियन बैंक (अब मर्ज होने से एचडीएफसी बैंक) मुंबई में खुलवा लिया। इस खाते में भी अधिकृत तौर पर हस्ताक्षरकर्ता रूपम ही थे। मामले में उनसे वहां भी कुछ कोरे चेक साइन करा लिए और गिन्नी ही खाते का संचालन करती रही। जून-जुलाई 2008 में गिन्नी और उसके पति रजनीश ने रूपम को बताया व्यवसाय में घाटा होने से फर्म बंद कर दी है। साथ ही उनका बैंक खाता भी बंद कर दिया गया है। दोनों ने उनसे निवेश के नाम पर लिए 20 लाख रुपए जल्द लौटाने का वादा दिया।
पांच साल में तेजी से ट्रांजेक्शन
2014 में रूपम को पता चला उनकी बहन और बहनोई द्वारा उन्हें गलत जानकारी देकर धोखे में रखा गया है। उनके नाम से अब भी फर्म में व्यवसाय चल रहा है और बैंक खाता भी संचालित किया जा रहा है। खास बात बात यह कि इन पांच सालों में उन्हें फर्म गतिविधि की कोई जानकारी नहीं थी। उन्होंने न कोई चेक साइन करके दिए थे और न ही उन्हें उनकी बहन-बहनोई द्वारा रुपए दिए गए। रूपम ने उनसे बात की तो उन्होंने संतोषजनक जवाब नहीं दिया और फिर चुप रहने के साथ धमकी दी। मामले में रूपम ने एचडीएफसी अधिकारियों से जानकारी ली तो बताया गया उनकी फर्म के नाम से बैंक में खाता चालू है और नियमित ट्रांजेक्शन हो रहा है। बताया गया कि 30 करोड़ से ज्यादा का ट्रांजेक्शन हो चुका है।
बिना केवायसी खाता संचालन
बैंक से ही पता चला फर्म में उनकी बहन गिन्नी भी अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता है। उसे रूपम द्वारा खाते के संचालन हेतु बैंक में पॉवर आॅफ अटॉर्नी देना बताया गया, जबकि रूपम द्वारा न ही अपनी बहन को अधिकृत किया गया था और न ही बैंक में कोई पॉवर आॅफ अटॉर्नी दी गई। कई बार मांगने पर भी बैंक द्वारा पॉवर आॅफ अटॉर्नी की प्रति उन्हें नहीं दी गई। बैंक द्वारा पूर्व में भुगतान किए गए चेकों में कई प्रकार की काट-छांट और ओवरराइटिंग हैं। बैंक ने रूपम के खाते में रिजर्व बैंक के नियमानुसार केवायसी और मोबाइल नंबर अपडेट किए बिना खाते का संचालन जारी रखा।
क्राइम ब्रांच ने मांगी जानकारी
खाते के संचालन में हुई अनियमितताएं और पॉवर आॅफ अटार्नी के संबंध में वे बैंक को 40 से ज्यादा मेल कर चुके हैं। मामले में वे प्रधानमंत्री कार्यालय, सीएम हेल्पलाइन, रिजर्व बैंक, डीआईजी, अन्नपूर्णा थाने को शिकायत कर चुके हैं। फिलहाल जांच क्राइम ब्रांच के पास है। पिछले दिनों क्राइम ब्रांच उनके बयान ले चुकी है। इसके साथ ही क्राइम ब्रांच ने बैंक को इस बाबद पत्र लिखा है। रूपम खुद तो पोलियोग्रस्त होने से असहाय तो है ही उनकी 12 साल की पुत्री रिया (खुशी) 10 साल से कैंसरग्रस्त है। इन दिनों वह आर्थिक कठिनाइयों से गुजर रहे हैं।