25 Apr 2024, 12:45:00 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

विनोद शर्मा इंदौर। प्रकाश एस्फाल्टिंग एंड टोल हाइवेज (पाथ) के खिलाफ हुई छापेमार कार्रवाई में सामने आए 700 करोड़ रुपए के हवाले की कहानी को आगे बढ़ाते हुए इनकम टैक्स इन्वेस्टिगेशन विंग, इंदौर ने रिलायंस समूह (एडीएजी) से जुड़े हिसाब की जानकारी मुंबई भेज दी है। उधर, मुंबई के अधिकारियों ने रिलायंस और उसकी सहयोगी कंपनी रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (आरइन्फ्रा) के खातों की जांच भी शुरू कर दी है। वहीं पाथ की रिपोर्ट सेंट्रल जोन के पास है जो जल्द ही असेसमेंट शुरू करेगा।

पाथ और रिलायंस की जुगलबंदी से हुए बड़े हवाले की तह तक जांच करके विंग ने रिपोर्ट पहले ही भोपाल और दिल्ली में बैठे अधिकारियों को भेज दी थी। चूंकि आर. इन्फ्रा का पंजीकृत पता धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी, नवी मुंबई है इसीलिए पाथ और आर इन्फ्रा के बीच हुए हिसाब-किताब की जानकारी मुंबई आॅफिस पहुंचा दी गई है ताकि वहां आर-इन्फ्रा के आईटीआर से उसका मिलान किया जा सके। महू की पाथ और अग्रोहा इन्फ्रास्ट्रक्चर के खिलाफ इन्वेस्टिगेशन विंग ने 27 अगस्त 2014 में छापेमार कार्रवाई की थी।

1 सितंबर 2014 को दोनों कंपनियों ने संयुक्त रूप से 75 करोड़ रुपए की अघोषित आय स्वीकारी थी। इसके बाद 2015 की शुरुआत में विंग ने रिपोर्ट तैयार करके भोपाल और दिल्ली भेजी। इस रिपोर्ट के अनुसार अक्टूबर 2009 में आर-इन्फ्रा को मिले 53 किलोमीटर लंबे एनएच-11 (जयपुर-रिंग्स रोड) के ठेके का काम पाथ ने पूरा किया। मुंबई निवासी नरेश मांगीलाल दवे और सैफुद्दीन अब्बासभाई कपाड़िया की कंपनी गीत एक्जिम प्रा.लि. को पाथ ने मई और जून 2010 में अलग-अलग किश्त में 80 करोड़ रुपए का भुगतान किया जो तत्काल दुबई तक पहुंचा।

डमी कंपनी के जरिए हुआ खेल
पाथ के छापे में जयपुर-रिंग्स रोड की फाइल मिली, जिसमें आर इन्फ्रा और गीत एक्जिम की डिटेल मिली। चूंकि पैसा पाथ से गीत के पास गया था इसीलिए आयकर की टीम ने गीत के ठिकानों पर भी सर्वे की कार्रवाई की थी, जिसकी जानकारी गोपनीय रखी गई। सर्वे में पता चला गीत डमी कंपनी है। उसका ऐसा कोई अस्त्वि नहीं है जैसा कि पाथ ने बताया था। सर्वे के दौरान गीत के दोनों ही संचालकों ने कहा कि वे न पाथ को जानते हैं, न ही आर इन्फ्रा को। उन्होंने कमीशन के लालच में अपना बैंक अकाउंट मुंबई के ही कुछ लोगों को इस्तेमाल के लिए दे दिया था।

दुबई भेजा जा रहा था रुपया
इसके बाद आयकर ने आईएनजी वैश्य बैंक पर शिकंजा कसके छानबीन शुरू कर दी। परिणाम स्वरूप गीत जैसी 20 कंपनियां सामने आई जिनके डेड अकाउंट इस्तेमाल करके भारतीय पैसा दुबई भेजा रहा है। इस मामले में आयकर आईएनजी वैश्य बैंक की जंजीरवाला चौराहा शाखा के अधिकारियों के बयान भी रिकॉर्ड कर चुकी है।

धीरूभाई के जन्म से चार साल पहले बनी आर-इन्फ्रा
मिनिस्ट्री आॅफ कॉर्पोरेट अफेयर्स (एमसीए) पर कंपनी की जो जानकारी उपलब्ध है वह चौकाने वाली है। एमसीए के अनुसार कंपनी 1 अक्टूबर 1929 को पंजीबद्ध हुई थी, जबकि 1958 में 15000 रुपए की पंूजी के साथ रिलायंस वाणिज्यिक निगम की शुरुआत करने वाले धीरूभाई अंबानी का जन्म ही 28 दिसंबर 1933 को हुआ था। ऐसे में धीरूभाई अंबानी के जन्म से चार साल पहले कंपनी कैसे बन गई, जबकि उनके पिता हीराचंद गोर्धनभाई अंबानी शिक्षक थे। कंपनी में सात डायरेक्टर हैं। इनमें सबसे पुराने अनिल अंबानी ही हैं, जो जनवरी 2003 में डायरेक्टर बने थे। एमसीए में उनका पूरा नाम अनिल पिता धीरजलाल अंबानी लिखा है। यही नाम रिलायंस समूह की 14 कंपनियों में भी डायरेक्टर के रूप में शामिल है।

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