अनूप सोनी इंदौर। इंदौर विकास प्राधिकरण के अधिकारी और पदाधिकारी स्कीम नंबर 136 में बड़ा खेल करने की तैयारी में हैं। यदि यह खेल सफल होता है तो प्राधिकरण को करीब सवा सौ करोड़ रुपए की चपत लगेगी। प्राधिकरण की इस तरह की कार्रवाई में सबसे खास उन लोगों का भी भला हो जाएगा, जो वहां कब्जा जमाए बैठे हैं।
प्राधिकरण ने करीब 10 साल पहले स्कीम नंबर 136 में लोगों को प्लॉट आवंटित किए थे। जब इस स्कीम को बनाया गया था, तब प्राधिकरण के अधिकारी और पदाधिकारियों ने यह तक देखने की जहमत नहीं उठाई थी कि जहां-जहां स्कीम की जमीन है, वह खाली भी है या नहीं है। नतीजा यह हुआ कि जो लोग पहले से यहां बसे हुए थे, वह अब भी वहीं बसे हुए हैं। वहीं उसी जमीन पर दूसरे लोगों को भी प्लॉट आवंटित कर रखे हैं, जबकि प्राधिकरण ने वहां बसे लोगों को हटने के लिए तब मुआवजा भी बांटा था। कुछ दिन पहले बोर्ड की बैठक हुई थी, तब तय किया गया था कि यहां कब्जा जमाए बैठे लोगों को हटाया जाएगा और जिन लोगों से प्राधिकरण ने प्लॉट के नाम पर लाखों रुपए लिए हैं, उन्हें प्लॉट का कब्जा सौंपा जाएगा। इस बीच प्राधिकरण के पदाधिकारी और अधिकारियों की कई लोगों से चर्चा हुई, पदाधिकारियों पर कुछ दबाव भी आया।
इसके चलते अब प्राधिकरण इसकी तैयारी कर रहा है कि जिन लोगों को प्लॉट आवंटित किए गए थे, उन्हें उसी स्कीम में अन्य प्लॉट दे दिए जाएं। वहीं जिन लोगों ने कब्जा किया हुआ है, उन्हें बाद में हटाया जाएगा। हो सकता है कि इस बार की बोर्ड बैठक में इस तरह का एक प्रस्ताव रखा जाए। यदि इस तरह की कार्रवाई प्राधिकरण द्वारा की जाती है तो इससे करीब सवा सौ करोड़ रुपए की चपत प्राधिकरण को लगेगी। वहीं कब्जा जमाए लोगों से कब्जा हटाने की कार्रवाई भी ठंडी पड़ सकती है।
पदाधिकारी हैं विरोध में
सूत्रों के मुताबिक इस स्कीम के संबंध में की जाने वाली कार्रवाई को लेकर संचालक मंडल एकजुट नहीं है। कुछ पदाधिकारी प्राधिकरण की इस तरह की कार्रवाई के विरोध में हैं, वो बोर्ड बैठक के दौरान भी इस तरह की कार्रवाई पर अपनी सहमति नहीं देंगे। उनका कहना है कि प्राधिकरण चाहे तो वहां से कब्जा हटाया जा सकता है।
189 प्लॉट हैं विवादित
इस स्कीम में 136 प्लॉट पर लोगों काा कब्जा है, वहीं 53 प्लॉट ऐसे हैं, जिनके संबंध में कोर्ट में मामला विचाराधीन है। इस तरह इस स्कीम के कुल 189 प्लॉट हैं। प्राधिकरण का नियम है कि किसी व्यक्ति को प्लॉट आवंटित किया जाता है और यदि किसी कारण से प्लॉट का कब्जा नहीं सांैपा जाता तो ऐसे समय प्राधिकरण ब्याज सहित राशि संबंधित व्यक्ति को लौटाएगा। प्राधिकरण इस तरह की भी कार्रवाई करता है तो भी कब्जा करने वालों का भला हो जाएगा।
प्राधिकरण ने जिन्हें प्लॉट आवंटित किए हैं, उन्हें कोई दूसरा प्लॉट देना है या आवंटन के हिसाब से ही प्लॉट देना है, इस संबंध में फिलहाल कोई निर्णय नहीं लिया गया है। इसका निर्णय बोर्ड बैठक में ही लिया जाएगा। यह स्कीम शुरू से ही काफी विवादित रही है। इस स्कीम के 189 प्लॉट विवादित हैं।
- शंकर लालवानी, अध्यक्ष, इंदौर विकास प्राधिकरण