मुनीष शर्मा इंदौर। जिले के भू-जलस्तर को लेकर किए गए सर्वे में गंभीर परिणाम सामने आए हैं। भू-जल सर्वेक्षण विभाग के अनुसार लगभग पूरे जिले का जलस्तर घटा है, लेकिन देपालपुर और सांवेर की हालत कुछ ज्यादा ही खराब है। यहां जमीनी सतह से पानी औसतन 15 से 20 मीटर तक नीचे चला गया। इंदौर में करीब 10 से 11 मीटर कमी आई, जो गत वर्ष लगभग साढ़े आठ मीटर थी। महू में यह तीन मीटर तक कम हुआ है। जिले में सबसे कम भू-जलस्तर नीचे जाने की बात करें तो धन्वंतरि नगर है। यहां 1.7 मीटर जलस्तर जमीनी सतह से नीचे पहुंचा, जबकि सबसे ज्यादा बेटमा के पास स्थित कलारिया गांव में, जहां 22 मीटर की गिरावट आई है। वहीं चौंकाने वाली बात एरोड्रम रोड पर विद्याधाम स्थित कुएं की है, इसमें पांच मीटर पानी बढ़ना पाया गया। यह रिपोर्ट शासन को भेजी जा रही है।
जल संसाधन विभाग हर साल जिले में जलस्तर का सर्वे करता है। इस बार लगभग सभी स्थानों पर पानी घटा है। इसका बड़ा कारण इस वर्ष मावठा नहीं गिरना माना जा रहा है। मानसून में भी बारिश तेज होने से पानी जमीन में जाने की अपेक्षा बह गया। इसके साथ ही रिचार्जिंग प्रणाली में भी लोगों की ज्यादा रुचि नहीं होना है। धन्वंतरि नगर का वाटर लेवल सबसे कम घटने का एक प्रमुख कारण यह बताया गया कि यहां नर्मदा के पानी का रिसाव ज्यादा था। यह रिसाव पाइप के माध्यम से लोगों को सप्लाय किए जाने वाले पानी से हो रहा था। नेहरू नगर व आसपास के क्षेत्रों में स्थिति गत वर्ष की तरह ही रही, जहां जलस्तर लगभग नौ मीटर नीचे गया। कलारिया में तो पानी की वेब्स ही खत्म होती जाने की बात सामने आई है।
इंदौर के विभिन्न क्षेत्रों में जमीन की सतह से जलस्तर की स्थिति
महू की स्थिति सामान्य
महू क्षेत्र में सबसे ज्यादा कुओं का उपयोग होता है। इससे पानी की आव बनी रहती है। इसके बावजूद इस क्षेत्र में दो से तीन मीटर तक जलस्तर कम हुआ है। वैसे यहां वाटरशेड योजना के तहत भी काफी काम हुए, जिससे स्थिति ठीक बनी हुई है।
ऐसे करते हैं सर्वे
जल संसाधन विभाग ने जिले में करीब 100 कुएं चिह्नित किए हैं। हर साल मई मध्य में इनका जलस्तर जमीनी सतह से नापकर आसपास के क्षेत्रों में जलस्तर का आधार माना जाता है। सभी चिह्नित कुओं की रिपोर्ट आने के बाद ब्लॉक के आधार पर औसत जोड़ा जाता है। यह रिपोर्ट राज्य शासन के पास जाती है, ताकि जहां पानी की कमी है वहां जल संरक्षण कार्यक्रम चलाए जाएं।
मापदंड को लेकर सवालिया निशान
जल संसाधन विभाग के सर्वे के तरीके को लेकर सवाल भी खड़े होते हैं। जिले में अधिकांश स्थानों पर कुओं का उपयोग लगभग बंद हो गया है। देपालपुर में 29 कुएं हैं, जिनमें से 11 विभाग को नए चिह्नित करना पड़े, क्योंकि पुराने 11 कुएं खत्म हो गए। सांवेर में मात्र 16 कुओं के आधार पर ही आंकड़ा तैयार करना पड़ा। गत वर्ष विभाग ने 38 कुओं की मॉनिटरिंग की थी। विद्याधाम में पांच मीटर जलस्तर बढ़ने की बात सामने आई, जबकि गत वर्ष यह 13 मीटर नीचे चला गया था। ज्यादातर क्षेत्रों में जलस्तर घटने का बड़ा कारण इस साल मावठा न गिरना माना जा रहा है, लेकिन इसके बाद भी विद्याधाम के कुएं का जलस्तर बढ़ना आश्चर्यजनक है। कुओं के आधार पर भू-जलस्तर मापने की यह व्यवस्था अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही है। इसके बजाय अब अत्याधुनिक उपकरणों की आवश्यकता महसूस की जाने लगी है।