कृष्णपाल सिंह इंदौर। भीषण गर्मी के चलते यशवंत सागर तालाब सूखने से शहर के पश्चिम क्षेत्र में जलसंकट के हालात पैदा हो गए हैं। हालांकि नगर निगम द्वारा नर्मदा के थर्ड फेज से पानी लेकर पश्चिम क्षेत्र की टंकियां भरी जा रही हैं, लेकिन शहर की प्यास बुझाने के लिए नर्मदा का पानी लाने पर एक वर्ष में 150 करोड़ रुपए से ज्यादा तो सिर्फ बिजली पर ही खर्च हो जाते हैं। ऐसे में निगम यशवंत सागर, बिलावली, पीपल्यापाला, तलावली सहित अन्य तालाबों की क्षमता बढ़ाकर इनका पानी पीने योग्य बनाया जाएगा।
नर्मदा का पानी 70 किमी दूर से लाया जाता है। इस बीच 30 फीसदी से ज्यादा लीकेज में बर्बाद हो जाता है। वहीं इस पानी को लिफ्ट करने में हर महीने करोड़ों रुपए बिजली के चुकाना पड़ते हैं। इस मान से केवल नर्मदा के पानी से शहर की प्यास बुझाना काफी महंगा पड़ता है।
40 हजार डंपर से ज्यादा गाद निकाली
फिलहाल यशवंत सागर, बिलावली, बांगड़दा और भोरासला तालाब का गहरीकरण किया जा रहा है। अब तक 40 हजार डंपर से ज्यादा गाद निकाली जा चुकी है।
जलूद और यशवंत के खर्च में है बड़ा अंतर
निगम 25 किमी दूर यशवंत सागर से रोज 30 एमएलडी (अभी 15 एमएलडी) पानी लाकर शहर की प्यास बुझा रहा है। इस पर मात्र 4.94 रुपए प्रति हजार लीटर खर्च होता है। वहीं जलूद से पानी लाने में 35 से 40 रुपए प्रति हजार लीटर लागत आ रही है। इसमें निगम को हर माह 12 से 15 करोड़ रुपए खर्च करना पड़ते हैं।
बिलावली के लिए यह है निगम की मंशा
बिलावली तालाब से दस किमी दूर तिल्लोर खुर्द से नर्मदा-शिप्रा लिंक परियोजना की लाइन गुजर रही है। यहां से लाइन जोड़ दी जाए तो बिलावली तालाब में पानी लाकर उसे ट्रीट कर शहरवासियों को पीने के लिए उपलब्ध कराया जा सकता है।
क्षमता दस की, ले रहे तीन एमएलडी
जलकार्य प्रभारी बलराम वर्मा ने बताया बिलावली तालाब से अभी केवल तीन एमएलडी पानी ट्रीट कर घरों तक पहुंचाया जाता है, जबकि इसमें लगे ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता दस एमएलडी से ज्यादा है। तालाब की जल संग्रहण क्षमता बढ़ाकर यहां दस एमएलडी का छोटा प्लांट और लगाया जाए तो इसी तालाब से शहर को 20 एमएलडी पानी मिलने लगेगा।
निर्माण में नर्मदा के पानी का उपयोग होगा बंद
नर्मदा के महंगे पानी का बिल्डिंग निर्माण में इस्तेमाल सख्ती से रोकेंगे। इसकी जगह कुओं और बावड़ियों का पानी साफ कर निर्माण कार्य और बगीचों में इस्तेमाल किया जाएगा। इसके अलावा सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से निकले ट्रीटेड वाटर को आसपास निर्माण कार्य के लिए दिया जाएगा।
-मालिनी गौड़, महापौर