मुनीष शर्मा इंदौर। देश में सेना को दिए गए अधिकारों को लेकर कई दावे किए जाते हैं, लेकिन इंदौर की कुछ ग्राम वन समितियों के आगे आर्मी ही नहीं सरकार भी बेबस है। असल में आर्मी को युद्धाभ्यास के लिए मानपुर के जंगल में 3600 हेक्टेयर जमीन चाहिए। इसके लिए उसने मिनिस्ट्री आॅफ एनवायर्नमेंट एंड फॉरेस्ट में आवेदन के साथ औपचारिक रूप से लगने वाले सात करोड़ रुपए भी जमा कर दिए हैं। प्राथमिक रूप से उसे युद्धाभ्यास की अनुमति भी मिल गई है, लेकिन पूर्ण अनुमति के लिए उसे कुछ ग्राम वन समितियों की अनुमति चाहिए जो देने से मना कर रही हैं। जब तक इनकी एनओसी नहीं मिलेगी तब तक आर्मी को पूर्ण अनुमति नहीं दी जा सकेगी। आर्मी द्वारा जमा कराए गए सात करोड़ रुपए का उपयोग भी वन विभाग नहीं कर पा रहा है। स्थिति यह है कि ग्राम वन समितियों को समझाइश देने के लिए कलेक्टर से पत्र लिखकर आग्रह किया जा रहा है। हाल ही में आर्मी ने नंदलई से नाहरखोदरा के बीच सर्वे शुरू किया है। दरअसल, आर्मी ने 1997 से मानपुर क्षेत्र में युद्धाभ्यास के लिए जंगल की कुछ जमीन ली थी, जो 2008 तक ही थी।
इस दौरान वे जब भी युद्धाभ्यास करते कलेक्टर, वन विभाग, ग्राम वन समितियों आदि को लिखित में जानकारी देते। इस दौरान कोई भी उक्त क्षेत्र में जा नहीं सकता है। भले ही 3600 हेक्टेयर जमीन सेना लेती है, लेकिन उपयोग सिर्फ 360 हेक्टेयर जमीन का ही किया जाता है। 2008 में इस जमीन की अनुमति समाप्त हो गई। हालांकि नवीनीकरण की प्रक्रिया सेना ने 2006 से ही कर दी थी और उसी समय लगभग सात करोड़ रुपए भी जमा करवा दिए थे। 2014 में सेना को युद्धाभ्यास की प्राथमिक अनुमति तो मिल गई थी, लेकिन पूर्ण अनुमति के लिए ग्राम वन समितियों ने एनओसी देने से मना कर दिया है। दो साल से सेना परेशान है और अब वह इन समितियों की जमीन से हटकर अन्य क्षेत्र में अभ्यास करने के लिए सर्वे करवा रही है। मामले में दबंग दुनिया ने सेना के अधिकारियों से बात करना चाही, लेकिन कोई उपलब्ध नहीं हो सका। इधर, वन विभाग का कहना है कि जहां भी सेना जमीन चाह रही है, वहां कुछ निजी जमीनें भी बीच-बीच में आ रही हैं। ऐसे में वह जैसा क्षेत्र चाहती है, वैसा मिलना मुश्किल है।
ये हैं ग्राम वन समितियां
मामले में कोलंबा, अबलाय, पीपलखूंट, जामली, नंदलाई, बेरछा, बड़कुआं, यशवंत नगर, गोलखेड़ा, छापरिया ग्राम वन समिति की पंचायत का एरिया है। इन समितियों का कहना है कि कुछ लोगों को वन क्षेत्र के पट्टे दिए हैं तो कुछेक की निजी जमीन भी आ रही है। इनकी अनुमति के बिना हम एनओसी नहीं दे सकते। अधिकारियों का कहना है कि कलेक्टर इसमें महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं, क्योंकि पट्टे का मामला हो या निजी भूमि का वे इसका हल निकालकर कार्रवाई कर सकते हैं। वैसे सेना ने कुछ जमीन उषा ट्रस्ट से भी ली है।
सर्वे पूरा होने पर ही करेंगे कार्रवाई
सेना वाले चाहते हैं कि उनके द्वारा ली गई जमीन का थोड़ा नक्शा बदल जाए, ताकि ग्राम वन समितियों की जमीन दूर हो जाए। उनका सर्वे पूरा होगा तब ही कार्रवाई हो सकेगी। हम भी चाहते हैं कि यह मामला जल्दी निपटे तो हम उन सात करोड़ रुपए का उपयोग हरियाली बढ़ाने के लिए कर लें जो सेना ने दिल्ली स्थित मंत्रालय में जमा कराए हैं। निजी जमीनें सेना लेना चाहेगी तो अधिग्रहण ही किया जा सकेगा जिसका काम जिला कलेक्टर को करना होगा।
- विकास कर्ण वर्मा
वन संरक्षक इंदौर