कृष्णपाल सिंह इंदौर। शहर में पानी की बूंद-बूंद बचाने के लिए जनअभियान शुरू हो गया है। तालाबों को गहरा करने के साथ ही बरसों पुराने कुओं और बावड़ियों को भी जिंदा किया जा रहा है। पार्षद भी इस काम में जुटे हुए हैं।
राजस्व समिति प्रभारी सूरज कैरो के वार्ड लाला का बगीचा में पांच कुएं आते हैं। इनमें से दो में सफाई के बाद पानी आ गया है, बाकी तीन की जनसहयोग से सफाई की जा रही है। कुओं की सफाई के बाद इस पर मोटर लगाई जाएगी और टंकी के जरिए यह पानी लोगों को दिया जाएगा।
रहवासियों ने दो कुएं जिंदा किए
निगम की मुहिम का ही असर है कि विशाल नगर रहवासी संघ ने अपने इलाके के कुएं को जिंदा किया और उसके पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं। बिजलपुर में भी एक कुएं का ऐसे ही जीर्णोद्धार किया गया है। कुएं और बावड़ियों को जिंदा करने से वैकल्पिक जलस्रोत मिलेगा, जिससे भू-जल स्तर सुधरेगा और नर्मदा के पानी पर निर्भरता कम होगी। कुएं और बावड़ियों के अलावा दो दर्जन से ज्यादा तालाबों के जीर्णोद्धार का काम चल रहा है।
सर्वे में हुआ खुलासा
भविष्य में शहर में जलसंकट नहीं गहराए इसके लिए निगम तालाबों के गहरीकरण के साथ ही होलकरकालीन कुंओं और बावड़ियों को जिंदा करने की मुहिम में जुट गया है। इसके तहत निगम ने शहर में सर्वे करवाया है, जिसमें 629 कुएं और बावड़ियों का पता चला है। इसके लिए निगम रहवासी संघों को इस मुहिम से जोड़ रहा है, ताकि लोग मिलकर अपने इलाके की कुएं और बावड़ियों को साफ करें और इसके पानी का इस्तेमाल करें, ताकि बावड़ियां जिंदा हो सकें।
रहवासी संघ अपने खर्चे पर करेगा जीर्णोद्धार
शहर में भू-जल स्तर बढ़ाने और तालाब को सहेजने के साथ ही निगम कुंओं और बावड़ियों को बचाने की मुहिम भी चलाएगा। इसके लिए रहवासी संघों को कुंओं और बावड़ियों को गोद दिया जाएगा। इसके लिए निगम ने सर्वे करवा लिया है। शहरी सीमा में 600 से ज्यादा कुएं और बावड़ियां हैं, वहीं 27 छोटे-बड़े तालाब हैं, जिन्हें जिंदा करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। रहवासी संघ अपने खर्चे पर इनका जीर्णोद्धार कर सकेंगे। इसके लिए आवेदन देकर वे कुएं-बावड़ी को गोद ले सकते हैं।
-बलराम वर्मा, जलकार्य समिति प्रभारी
नगर निगम