पंकज भारती इंदौर। यूं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह राज्य गुजरात उद्योग और विकास के मामले में मध्यप्रदेश से आगे है, लेकिन प्रत्यक्ष कर संग्रहण के मामले में हमारे प्रदेश ने गुजरात को मात दी है। प्रत्यक्ष कर संग्रहण में बढ़ोतरी में मप्र ने देश में दूसरा स्थान प्राप्त किया है। वित्तवर्ष 2008-09 से 2014-15 तक केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड द्वारा जारी आंकड़ों में देश के पांच टॉप राज्यों में पहले स्थान पर केरल रहा, जबकि गुजरात को तीसरा स्थान मिला।
साल 2008-09 में मप्र का प्रत्यक्ष कर संग्रह 4589 करोड़ रुपए था, जो 2014-15 में बढ़कर 14262 करोड़ रुपए हो गया। इस प्रकार 2008-09 से 2014-15 के दौरान प्रत्यक्ष कर संग्रह 3.11 गुना बढ़ा है। वहीं इस सूची में पहले नंबर पर रहे केरल ने इस दौरान 3.20 गुना बढ़ोतरी दर्ज की है। 2008-09 में केरल का प्रत्यक्ष कर संग्रह 3719 करोड़ रुपए था, जो 2014-15 में बढ़कर 11909 करोड़ रुपए हो गया। समीक्षाधीन अवधि में गुजरात के प्रत्यक्ष कर संग्रह में 2.82 गुना की बढ़त दर्ज की गई।
निवेश से बेहतर हुआ वातावरण
पीएचडी चैंबर आॅफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के डायरेक्टर (मप्र) आरजी द्विवेदी का कहना है कि 10 सालों के दौरान प्रदेश में विकास के काफी काम हुए है, जिसका असर जनता की आय पर सकारात्मक रहा। उद्योग के विभिन्न सेक्टर में नए निवेश आने से नए रोजगार पैदा हुए, जिसका असर प्रत्यक्ष कर संग्रह पर रहा। मप्र वित्त विभाग के अनुसार पिछले एक दशक में प्रदेश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) औसतन 10 फीसदी की रही है। साल 2004-5 में मप्र का जीएसडीपी (सकल राज्य घरेलु उत्पाद) 124276 करोड़ रुपए था, जो 2014-15 में बढ़कर 508006 करोड़ रुपए हो गया है।