रफी मोहम्मद शेख इंदौर। ए ग्रेड देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी के टीचिंग डिपार्टमेंट में एडमिशन के लिए इस बार विद्यार्थियों का आकर्षण कम हो गया है। पिछले सालों के मुकाबले सीटें बढ़ने और टेस्ट शहरों की संख्या बढ़ाने के बाद भी पिछली बार के मुकाबले इस बार करीब 1600 आवेदन कम आए हैं। यूनिवर्सिटी के प्रति आकर्षण कम होने के साथ ही आवेदन और कोर्सेस की बढ़ाई गई फीस को भी कारण माना जा रहा है, जबकि यह संख्या पिछले दो सालों के आवेदनों से भी कम है।
सीईटी के लिए इस बार 16 हजार 874 फॉर्म यूनिवर्सिटी के पास पहुंचे हैं। चार ग्रुप में होने वाली इस परीक्षा के लिए इस बार 2140 सीटें हैं। यूनिवर्सिटी ने 2 जून को होने वाले इस एंट्रेंस टेस्ट के लिए 19 मई तक आवेदन की आखिरी तारीख रखी थी। इस बार यूनिवर्सिटी ने कोलकाता, जबलपुर और कोटा के स्थान पर जयपुर को नया सेंटर बनाया है और परीक्षा के शहरों की संख्या भी बढ़ाकर नौ कर दी है।
सीटें बढ़ी लेकिन आवेदन कम
यूनिवर्सिटी ने चारों ग्रुप में पिछली बार के मुकाबले 100 सीटों की बढ़ोतरी की है। पिछली बार सीटों की संख्या 2040 थी। पिछली बार इन सीटों के लिए 18 हजार 487 विद्यार्थियों ने आवेदन किया था जो इस बार की संख्या के हिसाब से 1613 कम हो गया है। 2014 में सीटों की संख्या 1785 थी, लेकिन आवेदन की संख्या 17 हजार 786 थी, यानी यह आंकड़ा पिछले दोनों सालों के मुकाबले कम हुआ है, जबकि इन सालों में सीटों की संख्या अभी के हिसाब से कम थी। 2013 में आवेदनों की संख्या 12 हजार 966 थी।
हर ग्रुप में कम हुई संख्या
कम हुए आवेदन किसी एक ग्रुप नहीं बल्कि सारे ग्रुप में हैं। ग्रुप ए में पिछली बार 5370 फॉर्म यूनिवर्सिटी के पास आए थे, लेकिन इस बार इसकी संख्या 4945 पर सिमट गई है। सबसे ज्यादा मांग वाले मैनेजमेंट ग्रुप यानी ग्रुप बी में इस बार 7781 आवेदन विद्यार्थियों ने भरे हैं, जबकि पिछले साल 7982 विद्यार्थियों ने जमा किए थे। ग्रुप सी में सबसे खराब स्थिति रही है और सबसे ज्यादा नुकसान इसी ग्रुप को हुआ है। पिछले साल इस ग्रुप में 4748 विद्यार्थियों ने फॉर्म भरे थे, जो इस बार 3766 पर सिमट गए हैं। दूसरी ओर 160 सीटों के ग्रुप डी में इस बार भी मात्र 382 फॉर्म जमा हुए हैं, जबकि पिछली बार यह संख्या 387 थी।
कारणों को ढूंढने की जरूरत
ए ग्रेड, बढ़ी सीटों और नए शहरों में एडमिशन टेस्ट के कारण इस बार उम्मीद लगाई जा रही थी कि आवेदनों की संख्या दो हजार से भी ज्यादा पहुंच जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। इसके पीछे वास्तविक कारण ढूंढने की कोशिश नहीं की गई है। बड़ा कारण यूनिवर्सिटी के परम्परागत कोर्स में कोई बदलाव नहीं करने, नया कोर्स लांच नहीं करने के साथ ही इस बार ज्यादा मांग वाले कोर्सेस की बढ़ाई गई फीस भी माना जा रहा है। आवेदन फॉर्म की फीस 1000 हजार रुपए से बढ़ाकर 1500 रुपए करना भी एक कारण है। उधर, सीबीएसई की हायर सेकंडरी का रिजल्ट आवेदन की अंतिम तारीख के बाद आना भी एक कारण हो सकता है।
अच्छा परफॉर्मेंस देंगे ताकि...
मैं इस बार तो कुछ टिप्पणी नहीं करना चाहता हूं कि क्या कमियां रहीं और आवेदन कम क्यों आए, लेकिन विश्वास दिलाता हूं कि इस बार सारे डिपार्टमेंट और यूनिवर्सिटी बेहतरीन परफॉर्मेंस देंगे जिससे अगले साल आॅटोमेटिक यह संख्या बढ़ जाएगी। अभी से उसी पर फोकस कर दिया है।
-डॉ. नरेंद्र धाकड़, कुलपति,
देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी