कृष्णपाल सिंह इंदौर। नगर निगम अब चेक देकर ‘कलाकारी’ करने वालों के खिलाफ सख्ती से निपटने की रणनीति तैयार कर रहा है। हर साल सैकड़ों करदाता चेक से कर जमा कराते हैं। लोगों को हाथोहाथ रसीद भी मिल जाती है और इंट्री भी हो जाती है, लेकिन कई बार चेक बाउंस हो जाता है और यह मामला कर्मचारियों की मिलीभगत से दबा भी दिया जाता है। ताजा मामला 25 से ज्यादा करदाताओं का सामने आया है। निगम में करीब ढाई करोड़ रुपए मई 2016 में चेक के माध्यम से जमा किए गए, ताकि खातों में राशि की पोस्टिंग हो जाए। इसके बाद उन चेक को किसी ने बाउंस कराया तो किसी ने स्टॉप पेमेंट करा दिया। इसके पीछे कारण यह है कि करदाता को पैसा नहीं भरना पड़ता और खाते में बकाया भी चुकता हो जाता है। इसे देख निगम अब सख्ती कर रहा है। यह पहली बार होगा, जब इन लोगों को न्यायालय से नोटिस भेजे जाएंगे और राशि अदा नहीं करने पर कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी।
ऐसे होता है ‘खेल’
एआरओ और बिल कलेक्टर को निगम खजाने में ज्यादा राशि जमा हो, इसके लिए टैक्स वसूली का लक्ष्य दिया जाता है। टारगेट पूरा करने और राशि का आंकड़ा दिखाने के चक्कर में निगमकर्मी ही चेक बाउंस कराने का गणित करदाताओं को देते हैं। भले ही राशि निगम खजाने में जमा न हो, लेकिन वर्षों से जारी इस ‘खेल’ में निगमकर्मियों के साथ ही करदाताओं को भी फायदा हो जाता है और खातों में रुपए की एंट्री भी हो जाती है।
हो सकती है सजा
यदि कोई चेक बैंक अकाउंट में कम फंड के आधार पर डिसआॅनर हो जाता है तो यह एक अपराध है। इसके लिए दो साल तक की सजा या चेक राशि की दोगुना रकम तक का जुर्माना या दोनों हो
सकते हैं।
कानूनी कार्रवाई करेंगे
जिन करदाताओं के चेक बाउंस हुए हैं, उनके खातों की जांच कराएंगे। चेक बाउंस होने पर 500 रुपए पेनल्टी लगाते हैं, साथ ही अब न्यायालय से नोटिस भेजकर संबंधितों पर कानूनी कार्रवाई करेंगे।
-अरुण शर्मा, सचिव व उपायुक्त, राजस्व विभाग
सख्ती से करेंगे कार्रवाई
जल कर, संपत्ति कर का भुगतान चेक से स्वीकार करने के कारण निगम को दोहरी कसरत करना पड़ती है। एक ओर तो करदाता के खाते में दर्ज की गई राशि हटाना पड़ती है, दूसरी उससे वसूली की प्रक्रिया फिर करना होती है। इससे बचने के लिए अब निगम चेक मिलने के बावजूद राशि खाते में तब तक समायोजित नहीं करेगा, जब तक वह राशि असल में निगम के खाते में नहीं आ जाती। जिनके चेक बाउंस होंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
-देवेंद्र सिंह, अपर आयुक्त, नगर निगम