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आईआईटी नीति के टफ साइंस ने औसत विद्यार्थियों को उलझाया

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 22 2016 10:50AM | Updated Date: May 22 2016 10:50AM
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रफी मोहम्मद शेख इंदौर। सीबीएसई के हायर सेकंडरी के घोषित रिजल्ट में भले ही देश में टॉपर साइंस ग्रुप की छात्रा रही हो, लेकिन इस ग्रुप के औसत विद्यार्थी उलझ गए हैं। उन्हें आईआईटी चयन की नीति का खामियाजा भुगतना पड़ा है। मैथेमेटिक्स, फिजिक्स और केमिस्ट्री के टफ पेपर का असर रिजल्ट में साफ दिखाई दिया। उनके कुल प्रतिशत कम हो गए। वास्तव में आईआईटी में एडमिशन की शर्त बोर्ड परीक्षा में कम से कम 75 प्रतिशत मार्क्स प्राप्त करने की है। उससे कम मार्क्स वाले विद्यार्थी जेईई मेंस में पास होने के बाद भी चयन की दौड़ से बाहर हो गए हैं। भले ही वे रविवार की परीक्षा में शामिल हो जाएं। उधर, विद्यार्थियों और पालकों में नाराजी रही कि मैथ्स व फिजिक्स-केमिस्ट्री में टफ पेपर का मामला लोकसभा तक उठने के बाद भी सीबीएसई ने कॉपियां जांचने और रिजल्ट में राहत नहीं दी।

ऐसे विद्यार्थियों की संख्या भी बहुत अधिक रही जिनके अन्य विषयों में तो अच्छे नंबर रहे, लेकिन मैथेमेटिक्स और फिजिक्स में बहुत कम नंबर आने से प्रतिशत बिगड़ गया। सहोदय ग्रुप के अध्यक्ष मनोज वाजपेयी के अनुसार निश्चित रूप के कुछ असर तो साइंस ग्रुप के टफ पेपर का पड़ा है, अन्यथा रिजल्ट और भी बेहतर हो सकता था। एलजी एकेडमी के प्रिंसिपल संदीप शर्मा मानते हैं कि रिजल्ट भले ही प्रतिशत में अच्छा दिखाई दे रहा हो, लेकिन सीबीएसई की नीति के कारण विद्यार्थियों के अच्छे प्रतिशत नहीं बने हैं। सबसे ज्यादा औसत विद्यार्थी ठगाए हैं। इस नीति में इसी साल से बदलाव लाना होगा।

अजमेर रीजन पांचवें स्थान पर
दूसरी ओर अजमेर रीजन में इस बार परीक्षा में बैठने वालों की संख्या देशभर में तीसरे नंबर पर थी, लेकिन जब रिजल्ट आया तो पास होने वालों में यह पांचवें स्थान पर रहा।। हालांकि यह रिजल्ट देश के कुल रिजल्ट से करीब साढ़े तीन प्रतिशत ज्यादा रहा। इस बार अजमेर रीजन से परीक्षा में कुल एक लाख 17 हजार 246 विद्यार्थी रजिस्टर्ड हुए थे जिसमें से एक लाख 16 हजार 444 विद्यार्थी परीक्षा में शामिल हुए। इसमें 67 हजार 524 छात्र और 48 हजार 920 छात्राएं थीं। घोषित रिजल्ट में एक लाख 890 विद्यार्थी पास हुए। प्रतिशत के लिहाज से यह 86.64 रहा। इसमें छात्रों का प्रतिशत 83.54 रहा तो 90.92 प्रतिशत छात्राएं पास हुर्इं। देशभर का कुल पास प्रतिशत 83.05 रहा।

सरकारी-प्राइवेट को निराशा

इस बार का रिजल्ट सरकारी सीबीएसई स्कूलों के लिए भी निराशाजनक रहा। पिछली बार इन स्कूलों में 86.11 प्रतिशत विद्यार्थी पास हुए थे, लेकिन इस बार 83.85 प्रतिशत ही पास हो पाए। देशभर में करीब एक लाख 71 हजार 83 विद्यार्थी सरकारी सीबीएसई स्कूलों से परीक्षा में बैठे थे। इसमें अजमेर रीजन में दो हजार 658 विद्यार्थी परीक्षा में शामिल हुए थे। उधर ऐसी ही स्थिति सेंट्रल ट्राइबन स्टूडेंट्स की रही है। उनका प्रतिशत भी 91.31 के मुकाबले घटकर 87.73 रह गया। सबसे बड़ा घाटा प्राइवेट विद्यार्थियों को उठाना पड़ा है। पिछली बार जहां 41.22 प्रतिशत प्राइवेट विद्यार्थी पास हुए थे, वहीं इस बार मात्र 32.57 प्रतिशत विद्यार्थी ही पास हो पाए। प्राइवेट, सेंट्रल स्कूल और नवोदय में पास होने वाले विद्यार्थियों का प्रतिशत इस साल बढ़ गया है, जबकि मध्यप्रदेश के बोर्ड में सरकारी स्कूलों ने प्राइवेट को मात दी थी।

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