विनोद शर्मा इंदौर। नए आरटीओ भवन में अधिकारी बैठे भी नहीं कि नायता मुंडला गांव में भू-माफियाओं ने टाउन एंड कंट्री प्लानिंग और नगर निगम की मंजूरी के बिना ही मार्केट बनाना शुरू कर दिया। अवैध निर्माण की शिकायत पर नगर निगम के मैदानी अमले ने वहीं हथौड़े चलाए, जहां बड़ी कार्रवाई से बचने के लिए भू-माफिया चलवाना चाहते थे। यही वजह है कि मास्टर प्लान 2021 की प्रस्तावित 45 मीटर चौड़ी सड़क पर यह निर्माणाधीन मार्केट जस का तस खड़ा है।
मार्केट नायता मुंडला की सर्वे नं. 269/मिन-2 की जमीन पर बन रहा है जो कि नए आरटीओ के ठीक सामने है। राजस्व रिकॉर्ड में 0.560 हेक्टेयर यह जमीन शासकीय है और इसका भू-उपयोग सड़क के रूप में दर्शाया गया है। इस जमीन पर राजनीतिक और प्रशासनिक संरक्षण के चलते मुंडला नायता निवासी यूसुफ पिता हुस्ना नायता और गम्मू पिता हुस्ना नायता बड़ा मार्केट (100 बाय 15 फीट लंबा) बना रहे हैं। इसकी शिकायत ओमप्रकाश पिता गब्बूलाल ने की थी।
इसे नहीं दूसरे को तोड़ा : 18 अप्रैल 2016 को ओमप्रकाश द्वारा की गई शिकायत के अनुसार उनकी शिकायतों को लगातार नजरअंदाज किया गया। जिला प्रशासन और नगर निगम ने संयुक्त कार्रवई करके आरटीओ की सड़क के लिए गरीबों के झौपड़े तोड़ दिए, लेकिन सामने का मार्केट नजर नहीं आया। इस संबंध में उन्होंने नगर निगम आयुक्त मनीष सिंह को भी शिकायत की।
तीन दिन का मांगा था समय, नौ दिन बीत गए
निगम के मैदानी अमले ने सफाई देते हुए कहा कि हमने तो तोड़ना शुरू कर दिया था लेकिन निर्माणकर्ता समूह में आ गए थे। उन्होंने पहले हंगामेबाजी की और बाद में अवैध निर्माण को स्वयं तीन दिन में तोड़ लेने का आश्वसन दिया था। इस बात को भी नौ दिन से ज्यादा हो चुके हैं। अब तक अफसरों ने झांककर भी नहीं देखा।
ऐसी कैसी कार्रवाई?
शिकायतों के कारण क्षेत्रीय बिल्डिंग आॅफिसर और बिल्डिंग इंस्पेक्टर्स दबाव में थे। इसीलिए उन्होंने रिमूवल की कार्रवाई की। इस कार्रवाई को ऐसे अंजाम दिया गया ताकि भू-माफिया का ज्यादा नुकसान न हो।
मार्केट 26 बीम कॉलम पर खड़ा है। इनमें से एक सिरे के सिर्फ दो कॉलम तोड़े गए। इससे 10 बाय 15 का एक हिस्सा ऐसे झुक गया, जैसे कोई डिजाइन हो। बाकी मार्केट यथावत खड़ा है।
इसी तरह मार्केट से लगकर हो रह दूसरे निर्माण पर कार्रवाई की गई जो कि प्लींथ लेवल तक ही था। यहां भी मार्केट पूरा सेफ है।
सीधी बात
बिल्डिंग आॅफिसर असित खरे से
क्यों नहीं तोड़ा...।
- सात दिन का समय दिया था ताकि वह तोड़ ले।
सात नहीं तीन दिन का समय दिया था?
- हां, तीन दिन का। जमीन का विवाद था।
निगम को जमीन देखना थी या निर्माण की अनुमति?
- हां, निर्माण अवैध है।
आरोप है कि आपने बचाया है निर्माण?
- नहीं, हम तोड़ेंगे।
कब, आठ दिन से ज्यादा तो हो गए?
- एक-दो दिन में रिमुवल लगवाते हैं।