संतोष शितोले इंदौर। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा सहायक शिक्षकों (एलडीटी) को शिक्षकों (यूडीटी) के पद पर प्रमोशन देने के लिए इंदौर में जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा जारी की गई पदक्रम सूची विसंगतियों का पुलिंदा बनकर सामने आई है। सेवानिवृत्त हो चुके और होने वाले सैकड़ों शिक्षकों को प्रमोशन सूची में दर्शा दिया गया। त्रुटियों से भरी सूची में विभाग ने सालों पुराने आंकड़े फिर पेश किए हैं, जबकि शिक्षकों की जानकारी हर माह अपडेट की जाती है। बीकॉम की उपाधि वाले शिक्षकों को बेकाम साबित कर उन्हें कला, यानी आर्ट समूह में दर्शाया गया है। शिक्षा का अधिकार (आरटीई) के तहत 2010 से प्रत्येक मिडिल स्कूल में विषयवार शिक्षक यानी यूडीटी की व्यवस्था के निर्देश दिए गए थे। इसका अनुपालन करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने भी सख्त हिदायत दी थी, लेकिन विभाग छह साल बाद भी इस पर गंभीर नहीं हुआ। उलटी गंगा बहाकर डिग्री से ज्यादा डिप्लोमा को वरीयता दी गई है।
स्कूल शिक्षा विभाग ने स्नातक सहायक शिक्षकों को प्रमोट करने के लिए प्रक्रिया शुरू की है। इंदौर जिले में भी 1957 शिक्षकों की पदक्रम सूची जारी की है। जिले में 1972 से 2012 तक पदांकित शिक्षकों को क्रमवार स्थान दिया है। विभाग ने पोर्टल पर 5 अप्रैल को एक पत्र अपलोड कर शिक्षकों से तीन दिन में आपत्ति मंगाई है, लेकिन 15 दिन बाद भी शिक्षकों को जानकारी नहीं मिली है। पोर्टल पर सूची में सुधार भी नहीं किया है। जिन शिक्षकों की जन्म तारीख 1953 दर्ज है और इस लिहाज से वे 2015 में सेवानिवृत्त हो चुके हैं। ऐसे करीब 40 से अधिक शिक्षकों को सूची में जगह दी गई है। इस साल सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षकों की तादाद भी 50 से अधिक है और 200 से अधिक शिक्षक नए शिक्षा सत्र में सेवानिवृत्त हो जाएंगे। इसके बावजूद विभाग इन शिक्षकों के प्रमोशन के लिए गंभीर नजर नहीं आ रहा।
निजी स्कूलों में भर्ती हो गए बच्चे
पदक्रम सूची में हायर सेकंडरी तक शिक्षित 350 से अधिक शिक्षकों को भी जगह दी गई है, जबकि यूडीटी पद पर प्रमोशन के लिए स्नातक होना अनिवार्य है। जिले में 1998 के बाद सहायक शिक्षक के पद पर नई नियुक्तियां नहीं की गई हैं, जबकि सूची में शिक्षकों को पदांकन 2012 तक दर्शाया गया है। जाहिर है 1998 के बाद अंतरजिला स्थानांतरित होकर आए शिक्षक भी सूची में स्थान पा गए हंै। जिले में 1986 से 2012 के दरमियान अंतरजिला स्थानांतरण के आधार पर करीब 500 सहायक शिक्षक पदांकित हुए हैं। इस दौरान बच्चों की दर्ज संख्या में भी गिरावट आई है। खासकर निजी स्कूलों में भर्ती बच्चों की फीस का भुगतान विभाग द्वारा करने से भी बच्चे सरकारी स्कूल छोड़ निजी स्कूलों में भर्ती हो गए।
55 स्कूल बिना एचएम के
पोर्टल पर दर्ज आंकड़े बयां करते हैं कि जिले के कुल 128 सरकारी मिडिल स्कूलों में 13081 बच्चे दर्ज थे। इनमें 73 स्कूलों में प्रधानाध्यापक (एचएम) पदस्थ थे, जबकि 55 स्कूल छात्र संख्या कम होने से प्रधानाध्यापक विहीन ही रहे। आरटीई नार्म्स के तहत जिले में सिर्फ 59 प्रधानाध्यापक की आवश्यकता है। इस लिहाज से 14 एचएम ज्यादा, यानी सरप्लस है। वहीं जिले के मिडिल स्कूलों में 657 सहायक शिक्षक पदस्थ हैं, जबकि इनमें 16 सरप्लस हैं। इस हिसाब से जिले के मिडिल स्कूलों में सिर्फ 641 यूडीटी ही चाहिए।
बिना प्रमोशन के होंगे सेवानिवृत्त
देशभर में आरटीई प्रावधान लागू होने के बाद साल 2010 से मिडिल स्कूलों में यूडीटी की व्यवस्था हो जाना चाहिए थी। ये सभी पद प्रमोशन से ही भरे जाना थे, लेकिन अधिकारियों ने बच्चों के मौलिक अधिकार दिलाने में रुचि नहीं दिखाई। इस कारण शिक्षक बगैर प्रमोशन के ही रिटायर होते जा रहे हैं। 600 से अधिक शिक्षक अपने सेवाकाल के 33 से 44 साल तक पूरे कर चुके हैं, लेकिन उन्हें पदोन्नति का लाभ नहीं मिला है। अगर सातवें वेतन आयोग को केंद्र के समान प्रदेश में भी लागू किया जाता है तो नए शिक्षा सत्र से लगभग 1000 सहायक शिक्षक रिटायर हो जाएंगे। नए वेतनमान में कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु 60 साल रखी गई है। इसमें यह भी कहा गया है कि 33 साल की सेवा या 60 साल की उम्र पूरी करने वाले कर्मचारियों को सेवानिवृत्त कर दिया जाएगा। ऐसे में नए शिक्षा सत्र में भारी तादाद में शिक्षक बगैर प्रमोशन के सेवानिवृत्त हो जाएंगे।