20 Apr 2024, 07:43:59 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

- मुकेश कुमार

भोपाल। प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों के लिए वेंटीलेटर खरीदी में लाखों रुपए का घोटाला समाने आया है। जानकारी के अनुसार चिकित्सा शिक्षा विभाग (डीएमई)ने हाल ही में प्रदेश के छह मेडिकल कॉलेजों के लिए 30 वेंटीलेटर खरीदने की स्वीकृति दी है। संचालक डीएमई ने बताया कि ज्यादातर कॉलेजों में वेंटीलेटर खरीदे जा चुके हैं जबकि कुछ में खरीदी की प्रक्रिया जारी है। इस पूरे मामले में खास बात यह है कि शासन ने एक वेंटीलेटर पर 10 लाख 10 हजार रुपए खर्च किए हैं, जबकि यही वेंटीलेटर दूसरी कंपनी 8 लाख 26 हजार रुपए में देने को तैयार थी, लेकिन अफसरों ने अपनी मनमानी करते हुए एक अन्य कंपनी से वेंटीलेटर खरीदी में शासन को 50 लाख रुपए का चूना लगा दिया। अब इस महंगे वेंटीलेटर की खरीदी के बाद अधिकारी केवल इतना ही कह रहे हैं कि जैसा आदेश आया वैसा काम किया है।

संचालक ने खरीदी करने के दिए थे निर्देश
खुद संचालक चिकित्सा शिक्षा डॉ. जीएस पटेल ने मेडिकल कॉलेजों को पत्र लिखकर कहा था वे मेडिकल कार्पोरेशन द्वारा तय की गई कंपनी से ही वेंटीलेटर खरीदें। अक्टूबर में भेजे गए इस पत्र में स्वाइन फ्लू के मरीजों के लिए सभी मेडिकल कॉलेजों को वेंटीलेटर खरीदने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं इस कंपनी के रेट फरवरी तक ही एप्रूवल थे, लेकिन इसे बढ़ाकर मई तक कर दिया था। वेंटीलेटर खरीदने के लिए इसे फिर पांच माह बढ़ाकर 30 नवबंर तक कर दिया है, जबकि नियमानुसार इसे तीन माह से ज्यादा बढ़ाया ही नहीं जा सकता है। दूसरी तरफ कम रेट वाली कंपनी के रेट 27 अगस्त तक एप्रूवल थे और इसके बाद कंपनी के एग्रीमेट को एक बार भी बढ़ाया नहीं गया। सूत्रों ने यह भी बताया कि जिस कंपनी से वेंटीलेटर की पर्चेसिंग की गई उसका यूएसएफडीए जो कि एक यूस की संस्था है जो मेडिकल उपकरणों की गुणवत्ता का सर्टिफिकेट जारी करती है, उक्त कंपनी का सर्टिफिकेट पहले ही कैंसिल हो चुका है।

क्या है मामला
 प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में उपकरणों की खरीदी के लिए कीमत तय करने की जिम्मेदारी केन्द्रीयकृत समिति (सीपीसी) इंदौर एवं मेडिकल कॉर्पोरेशन को दी थी। इन दोनों ने अलग-अगल कंपनी से वेंटीलेटर खरीदी के लिए टेंडर बुलाए। सीपीसी ने साइंटिफिक सप्लाई एंड मेनुफे्रक्चिरिंग कंपनी का रेट स्वीकृत किया। वहीं एक वेंटीलेटर की कीमत 8 लाख 26 हजार रखी। जबकि मेडिकल कॉर्पोरेशन ने एक दूसरी कंपनी के रेट स्वीकृत किए थे जो कि 10 लाख 10 हजार रुपए में एक वेंटीलेटर सप्लाई कर रही थी। वहीं शासन को एक वेंटीलेटर खरीदी में दो लाख रुपए का नुकसान हुआ। गौरतलब है कि ज्यादा रेट वाली कंपनी से वेंटीलेटर खरीदने का निर्णय 9 सितंबर को प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में आयोजित चिकित्सा शिक्षा विभाग की बैठक में हुआ था।

  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »