- कृष्णपाल सिंह
इंदौर। जो टारगेट सौंपा था, उसमें क्या उपलब्धि मिली? अगर सफलता नहीं मिली तो क्या कारण रहा? भविष्य के लिए क्या प्लानिंग तय की? निगम का खजाना 500 करोड़ तक कैसे पहुंच सकेगा? इन सब सवालों के जवाब बनाने में नगर निगम उपायुक्तों का दम फुल रहा है। कारण यह कि ज्यादातर का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया है। दरअसल, नगर निगम ने राजस्व वसूली बढ़ाने के लिए उपायुक्त को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी थी, लेकिन टारगेट पूरा नहीं होने से उन्हें चिंता सता रही है कि अब वे किस आधार पर मेयर मालिनी गौड़ और कमिश्नर मनीष सिंह के सामने काम का प्रेजेंटेशन देंगे। हालांकि फिलहाल वे एक-दूसरों से सम्पर्क कर अपनी जानकारी को ‘गुड’ बनाने में जुटे हैं। इस संबंध में अपर आयुक्त देवेंद्र सिंह ने बाकायदा आदेश जारी किए हैं और सभी को रिपोर्ट तैयार कर अवगत कराने के निर्देश दिए हैं।
सभी में बांट दिए थे जोन
राजस्व वसूली के लिए संपत्ति कर के साथ ही जल कर, लाइसेंस, सर्वे असेसमेंट और वसूली के टारगेट सभी उपायुक्तों में जोन स्तर पर बांट दिए थे। इसमें उपायुक्त देवेंद्रसिंह चौहान को जोन 5 और 17, अरुण शर्मा को 13, 18 और 19। लोकेंद्रसिंह सोलंकी को जोन 2, 14 और 15 की कमान सौंपी गई। इसी तरह प्रतापसिंह सोलंकी को जोन 6, 7 और 9। नरेश शर्मा को 1, 4 और 16 दिया गया। लता अग्रवाल को 8, 10 और 11 व आरती खेड़ेकर (सहायक आयुक्त) को 3 और 12 की कमान सौंपी गई। सभी के कामों का आकलन किया जाएगा। इसमें सबसे आगे उपायुक्त लता अग्रवाल और प्रतापसिंह सोलंकी चल रहे हैं, जिन्होंने संपत्ति जांचकर गड़बड़ी पकड़ने में सफलता हासिल की है। अफसरों की मंशा शहर में 500 करोड़ रुपए राजस्व वसूलने की है।
वन-टू-वन देना होगा प्रेजेंटेशन
राजस्व वसूली बढ़ाने के उद्देश्य से उपायुक्त को तीन-तीन जोन की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। अब उन्होंने क्या काम किया है, उसकी जानकारी और डिटेल रिपोर्ट प्रेजेंटेशन के माध्यम से महापौर और कमिश्नर को बताना होगी। इसमें कई बिंदुओं पर जानकारी तैयार करने के आदेश दिए गए हैं। उपायुक्त को वन-टू-वन महापौर और कमिश्नर को अपने काम का प्रेजेंटेशन बताना होगा।
-देवेंद्रसिंह, अपर आयुक्त, नगर निगम