ताजमहल के टिकटों की बिक्री से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और आगरा विकास प्राधिकरण के खजाने में 145 करोड़ रुपये से ज्यादा आए हैं। साल 2018 में ताजमहल के टिकटों की बिक्री के कारण सबसे ज्यादा खजाना एएसआई का भरा है। यह हाल तो ताजमहल के पूर्वी और पश्चिमी गेट काउंटरों से हुई टिकटों की बिक्री का है। ऑनलाइन टिकटों की बिक्री के आंकड़े सार्वजनिक किए जाएंगे तो 50 से 60 करोड़ रुपये की कमाई और बढ़ जाएगी। ताजमहल पर भारतीय पर्यटकों के लिए टिकट दर 50 और विदेशियों के लिए 1100 रुपये है। सार्क और बिम्सटेक देशों के सैलानियों के लिए 540 रुपये का टिकट है।
10 दिसंबर से मुख्य गुंबद तक जाने के लिए 200 रुपये का अतिरिक्त शुल्क लगाया गया है। साल 2018 में ताजमहल के टिकट काउंटरों से 61 लाख भारतीय और 9 लाख विदेशी पर्यटकों की टिकटें बिकी हैं। 2018 में इस तरह करीब 145 करोड़ रुपये की कमाई केवल टिकटों की बिक्री से ही हुई है। इसमें 55 करोड़ रुपये से ज्यादा आगरा विकास प्राधिकरण के खजाने में पथकर के रूप में जाएंगे। प्राधिकरण विदेशियों से 500 रुपये और भारतीय पर्यटकों से 10 रुपये पथकर के रूप में वसूलता है। काउंटर के मुकाबले ऑन लाइन टिकटों की बिक्री इन दिनों लगभग आधी है। एएसआई के पास ऑन लाइन टिकटों की बिक्री का आंकड़ा नहीं है। ऐसे में 50 फीसदी भी पर्यटक माने गए तो खजाने में 50 से 60 करोड़ रुपये और बढ़ सकते हैं।