मुंबई। लेखक निर्देशक सचिन गुप्ता की फिल्म पाखी रिलीज हुई है। फिल्म शुरू होती है एक बेहद ही सकरे गलियारे से जो वेश्यावृति के बाजार तक जाता है। लाल पिले और नीले रंगो की रौशनियों में डूबे इस चकले को राजनैतिक संरक्षणप्राप्त बाली चलाता है। पाखी को उसका प्रेमी मॉडल बनाने के सपने दिखाकर देह व्यापार के इस काले बाजार तक पहुंचा देता है।
बाली बहुत ही क्रूर और हिंसक है। कोठे पर ग्राहक की बात नहीं माननेवाली लड़कियों को बलि की निर्दयता का सामना करना पड़ता है। पाखी इस जिस्मफरोशी के व्यवसाय में आकर फंस जाती है। बाली उसे अपनी किस्मत के लिए अच्छा मनाता है पाखी को और लड़कियों के मुकाबले ज्यादा तहजीब देता है।
8फिल्म में घटनायें बदलनी शुरू होती है जब 10 साल की बच्ची पीहू, उसकी बड़ी बहन और उसके भाई मौलिक को उनके करीबी रिश्तेदार इसी चकले में बेच कर चले जाते है। पीहू और उसकी बड़ी बहन के जिस्मफरोशी के व्यापार में जाने का विरोध करने पर मौलिक को बाली को बर्बरता का समाना करना पड़ता है। देह व्यापार में फंसने के बाद निकलना लगभग नामुनकिन होता है घटनाओं के जरिये निर्देशक यह बताने में सफल रहे है। फिल्म का संगीत फिल्म को कहानी को आगे बढ़ाने में विशेष तौर पर प्रतीक्षा श्रीवास्तव की आवाज में गीत ‘गुम है कहां’ गाना याद रह जाता है।