नई दिल्ली। बॉलीवुड डायरेक्टर महेश भट्ट का आज जन्मदिन है और वो 69 साल के हो गए हैं। महेश भट्ट का नाम बॉलीवुड अभिनेत्री परवीन बाबी के साथ जुड़ चुका है लेकिन उनकी प्रेम कहानी का अंत काफी दुखद रहा. हम आपको बता रहे हैं दोनों की लव- स्टोरी के बारे में।
बॉलीवुड में कई जोड़ियां बनती हैं और टूट जाती हैं उन्हीं टूटी हुई जोड़ियों में से एक है महेश भट्ट और परवीन बाबी की जोड़ी। परवीन को महेश भट्ट से साल 1977 में प्यार हुआ था, उस समय महेश शादीशुदा थे। महेश ने 20 साल की उम्र में लॉरेन ब्राइट से शादी की थी।
महेश और परवीन एक दूसरे से प्यार करने लगे। शादीशुदा होने के बावजूद महेश ने परवीन के साथ रहने का फैसला किया। उस समय परवीन अपने करियर की ऊंचाइयों पर थीं और 'अमर अकबर एंथनी' और 'काला पत्थर' जैसी फिल्मों की शूटिंग कर रही थीं। दोनों एक- दूसरे से बहुत प्यार करते थे और साथ में काफी खुश थे।
इसी बीच साल 1979 में कुछ ऐसा हुआ जिससे महेश हैरान रह गए. महेश जब घर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि परवीन फिल्मी ड्रेस पहने हुए हैं और घर के एक कोने में हाथ में चाकू लिए बैठी हैं। महेश को देखकर परवीन ने उन्हें शांत रहने का इशारा करते हुए कहा, 'बोलो मत! वो मुझे मार देना चाहते हैं'। यह पहली बार था जब महेश ने उन्हें इस हालत में देखा था।
डॉक्टरों का कहना था कि परवीन को इससे बाहर लाने का एक अस्थायी तरीका है उन्हें 'इलैक्ट्रिक शॉक' देना, लेकिन महेश भट्ट परवीन के साथ खड़े रहे और उनका पूरा ध्यान रखा. परवीन बाबी के पूर्व बॉयफ्रेंड कबीर बेदी और एक्टर डैनी ने परवीन के इलाज के लिए अमेरिका के कुछ अच्छे अस्पताल भी बताए और उनकी मदद की।
परवीन को हमेशा यह डर लगा रहता था कि कोई उनकी जान लेना चाहता है। वो घर के एसी तक से डरने लगी थीं। उन्हें लगता था कि उनकी कार में बम लगा है और वो उसकी आवाज तक सुन सकती थीं।
इतना ही नहीं अभिनेता अमिताभ बच्चन से भी उन्हें डर लगने लगा था, उन्हें लगता था कि अमिताभ उन्हें मारना चाहते हैं। उन्हें लगता था कि शायद उन्होंने अमिताभ को किसी तरह से नुकसान पहुंचाया है और इसलिए अमिताभ उन्हें मारना चाहते हैं।
परवीन की हालत इतनी खराब हो गई थी कि अब केवल 'इलेक्ट्रिक शॉक थेरेपी' ही आखिरी विकल्प रह गया था। जब महेश भट्ट ने इसका विरोध किया तो उन्हें कहा जाने लगा कि उन्होंने परवीन का इस्तेमाल फेम और स्टारडम के लिए किया है। परवीन की हालत पहले से और खराब होती जा रही थी। वो दवाईयां खाने से इंकार कर देती थी और उन दवाईयों को महेश को खाने के लिए कहती थी, वो जानना चाहती थीं कि इन दवाईयों में उन्हें मारने के लिए कुछ मिलाया तो नहीं गया। महेश उन्हें खाने में दवाईयां मिलाकर देते थे और कई बार खुद भी उस खाने को खाया करते थे।