फोर्स 2 2011 में आयीं फिल्म फोर्स का सीक्वल है। हालंकि फ़ोर्स तमिल मूवी काखा-काखा का रीमेक थीं। लेकिन विपुल अमृतलाल शाह निर्मित फिल्म फोर्स 2 की कहानी एकदम फ्रेश है। फिल्म जॉन अब्रहाम् और सोनाक्षी सिन्हा नजर आएंगें।
कहानी। चीन के शंघाई शहर से फिल्म की शुरुआत होती है, जहां रॉ के एजेंट हरीश चर्तुवेदी की हत्या कर दी जाती है। इस हत्या के बाद यहां के दो और अलग-अलग शहरों में रॉ के एजेंट की हत्या होने के बाद दिल्ली में रॉ के हेड ऑफिस में इस मुद्दे को लेकर मीटिंग जारी है। चाइना में मारा गया रॉ एजेंट हरीश मुंबई पुलिस के इंस्पेक्टर यशवर्धन (जॉन अब्राहम) का दोस्त हरीश है।
हरीश अपनी हत्या से चंद दिनों पहले यश को एक किताब भेजता है। इस किताब में रॉ के कुछ और एजेंट्स को मारे जाने की सूचना कोड में दी गई है। रॉ के हेड क्वार्टर में चल रही मीटिंग में यश को रॉ के इन एजेंट्स की हत्याओं की जांच के लिए एक टीम का भेजने का फैसला होता है। इस टीम यश के साथ रॉ की एजेंट के के उर्फ कंवल जीत कौर (सोनाक्षी सिन्हा) भी जाती है।
यश की जांच के बाद शक की सुई बुडापेस्ट स्थित इंडियन एंबेसी के स्टाफ पर टिकती है। यहां पहुंचने के बाद यश और के के इस केस की जांच अपने अपने ढंग से शुरू करते है, यहां पहुंचते ही इन पर जानलेवा हमला होता है, इसके बाद इनकी नजरें इसी एंबेसी में काम करने वाले शिव शर्मा (ताहिर राज भसीन) पर आकर ठहर जाती है। यहीं से शुरू होता है शिव शर्मा को गिरफ्तार करके इंडिया लेकर जाने का मिशन जो आसान नहीं है।
डायरेक्टर अभिनय देव ने लगभग पूरी फिल्म को सलीके से संभाला है। सैकिंड हॉफ में चंद पलों के लिए फिल्म धीमी पड़ती है, लेकिन जल्द संभल भी जाती है। हालांकि यह कमियों से भी अछूती नहीं है। थ्रिलर फिल्म में आप अतार्किक नहीं हो सकते। एक-दो जगह यह फिल्म तर्क छोड़ कर ‘फिल्मी-सी’ हुई है, लेकिन इसकी तेज गति आपको इन बातों पर ध्यान देने का मौका नहीं देती। अंत जरूर कमजोर है क्योंकि दुनिया भर में कोई भी सरकार अपने जासूसों की पोल खुलने पर उन्हें न तो स्वीकारती है न स्वीकारेगी, भले ही कैसे भी दबाव हों।