साल 2008 में आई फिल्म ‘रॉक ऑन’ के 8 साल बाद इसका सीक्वल ‘रॉक ऑन 2’ बड़े पर्दे पर रिलीज हो गया है। म्यूज़िक बेस्ड इस फिल्म के डायरेक्शन सुजात सौदागर ने किया है। सुजात ने मेघालय की बेहतरीन लोक्शन्स को बखूबी बड़े पर्दे पर उतारा है।
कहानी:
फिल्म शुरू होती है आदित्य (फरहान अख्तर) से जो सब कुछ छोड़ मेघालय के एक गाँव में बस जाता है। वहां पर वो खेती करता है और वहां के गरीब लोगों की मदद भी करता है। उसने अपना एक स्कूल भी शुरू किया है गरीब बच्चों के लिए। दूसरी तरफ मुंबई में उसके दोस्त जोए (अर्जुन रामपाल) रियालिटी शो में जज का काम करता है और उसका एक पॉपुलर नाईट क्लब भी है। KD (पूरब कोहली) फिल्मों में म्यूजिक देता है।
तीनो दोस्त भले ही अपनी अपनी ज़िन्दगी में अलग अलग काम कर रहें हैं लेकिन उनकी दोस्ती पहले जैसी ही है। KD, जोए बहुत कोशिश करते हैं की आदित्य दोबारा मुंबई आ जाये और एक नार्मल लाइफ जिए लेकिन आदित्य नहीं मानता। उसकी ज़िन्दगी में 5 साल पहले ऐसा कुछ हो गया था जिसे वो चाहकर भी भूल नहीं पाता। वो घटना उसे रात भर सोने नहीं देती है।
फिल्म में एंट्री होती है जिया (श्रद्धा कपूर) की जो इन लोगों से मिलती है। लेकिन उसकी ज़िन्दगी का ऐसा सच है जो उसी हादसे से जुड़ा हुआ है जिसका गम दबाए आदित्य परेशान हैं। वक़्त फिर एक ऐसा खेल खेलता है जब इन सभी को एक जुट होकर यानी मैजिक बैंड को फिर परफॉर्म करना पड़ता है।
अक्सर देखा गया है की किसी भी फ़्रांचाईसी में दूसरे पार्ट की कहानी पहले पार्ट से मिलती जुलती है लेकिन इस फिल्म के साथ ऐसा नहीं है। जहाँ अभिषेक कपूर की ‘रॉक ऑन’ एक म्यूजिक बैंड की कहानी थी वहीँ शुजात सौदागर एक अलग कहानी लेकर पेश हुए हैं। मैजिक बैंड की ये नयी कहानी कुछ लोगों को अच्छी लगेगी लेकिन कुछ लोगों को शायद ये अच्छा नहीं लगे क्योंकि वो लोग फिल्म देखने ‘रॉक ऑन’ के हैंगओवर में ही जायेंगे।
एक्टिंग सबसे अच्छी की है अर्जुन रामपाल ने। वो अपने किरदार में बहुत अच्छे से सूट हुए हैं। फरहान अखतर की एक्टिंग में भी दम है। श्रद्धा कपूर की एक्टिंग ठीक ठाक है। प्राची देसाई और पूरब कोहली ने अपने किरदार के साथ इन्साफ किया है।
फिल्म का म्यूजिक बहुत ही बोरिंग है। आप सोचते रहते हैं की अब कुछ अच्चा म्यूजिक सुनने मिलेगा लेकिन फिल्म ख़त्म हो जाती है लेकिन आप जिस मकसद से फिल्म देखने जाते हैं वो पूरा नहीं हो पाता।
हालांकि स्टोरी को और भी बेहतर तरीके से पेश किया जा सकता था। फरहान अख्तर, अर्जुन रामपाल और पूरब कोहली ने अपने अपने कैरेक्टर्स को ठीक तरीके से निभाया है। वहीं, सिंगिंग में कुछ ज़्यादा ही ध्यान देने के चलते, श्रद्धा अपने रोल में कुछ खास परफेक्ट नहीं लगी। फिल्म की सबसे कमज़ोर कड़ी इसकी बोर करने वाली फिल्म की कहानी, जो अपनी धुन में चलती चली जाती है। वहीं रॉक ऑन से कंपेरिज़न करें, तो रॉक ऑन 2 उसका 10% भी नहीं है।
यहां तक फिल्म के इमोशनल सीन्स भी आपको भावुक नहीं कर पाते। फिल्म के कैरेक्टर्स आखिर क्या करना चाहते हैं, कुछ समझ नहीं आता। फिल्म के किरदारों पर थोड़ा और काम किया जा सकता था। फिल्म को देखने की वजह फिल्म की लोकेशनस और फरहान अख्तर की अच्छी एक्टिंग जरूर हो सकती है। अब ये तो आगे चलकर देखना होगा कि ये फिल्म बॉक्स-ऑफिस पर कितनी कमाई करती है।