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टमाटर के कम दाम मिलने से किसानों ने सड़को पर फेंके

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Dec 26 2016 10:31PM | Updated Date: Dec 26 2016 10:31PM
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दुर्ग। नोटबंदी के चलते टमाटर की फसल के सही दाम न मिल पाने से व्यथित किसानों ने सोमवार को अपने टमाटर दुर्ग जिले के धमधा की सड़कों पर फेंक दिए। नारेबाजी कर रहे किसानों ने 20 से ज्यादा ट्रैक्टरों में भरकर लाए हुए टमाटर सड़कों पर बिखेर दिए। इस दौरान कई लोग लोग इन बिखरे टमाटरों को ले जाने के लिए झोला लेकर भी पहुंचे। इससे पहले हाल ही में जशपुर में भी ऐसा ही नजारा दिखाई दिया था, जब वहां के किसानों ने भी लागत मूल्य न निकल पाने के कारण नाराजगी जताते हुए सड़कों पर ही टमाटर बिखेर दिए थे।

स्थिति यह है कि जिन किसानों ने अपने खेतों में टमाटर बोए हैं, वे बहुत पछता रहे हैं। एक कैरेट यानी 25 किलो टमाटर को 10 रुपए में मांगा जा रहा है, जबकि उसे तोड़ने की कीमत ही 25 रुपए ली जा रही है। मंडी तक इसे लाने में ट्रांसपोर्टिंग का खर्च और ज्यादा लग रहा है। ऐसे में किसानों ने टमाटर को खेतों में ही छोड़ देने का फैसला किया है। वे यहां कह रहे हैं, जिसे चाहिए वो आकर फ्री में तोड़कर ले जाए। दुर्ग के गांवों में लगभग किसानों की यही दशा है। किसान सोच रहे हैं कि ये टमाटर यहीं सड़ जाए और काटना न पड़े। परसवानी गांव के बड़े किसान जालम सिंह पटेल का किस्सा दिलचस्प है। उन्होंने पिछले साल 25 एकड़ खेत में टमाटर लगाया। तब टमाटर कम हुआ और एक कैरेट 900 रुपए में बेचा। जबर्दस्त कमाई की वजह से उन्होंने तय किया कि इस बार वे 100 एकड़ में टमाटर लगाएंगे। टमाटर लगा भी लिया, लेकिन सभी जगह टमाटर की पैदावार इतनी बंपर हुई कि उन्हें कमाई तो दूर, लाखों का नुकसान उठाना पड़ गया है। एक कैरेट टमाटर 10 रुपए में भी खरीदने वाला नहीं है। 
 
थोड़ा एक्सपोर्ट करने की कोशिश की, लेकिन निर्यातक भी 20 रुपए कैरेट से ज्यादा नहीं खरीद रहे हैं। ये मामला बड़े किसान का है, छोटों की हालत तो ये है कि टमाटर पक-पक कर खराब हो रहा है और उन्होंने खेत जाना ही बंद कर दिया है। क्योंकि तोड़ाई और ट्रांसपोर्ट खर्च के बाद मंडी ले जाने तक एक कैरेट अगर 50 रुपए में भी पड़ा तो इसे 10 रुपए में खरीदने वाला कोई नहीं है।
 
यहां का टमाटर अच्छी क्वालिटी का
जानकारों का कहना है कि छत्तीसगढ़ का टमाटर अच्छी क्वालिटी का है। ऐसे में प्रोसेसिंग यूनिट छत्तीसगढ़ में किसानों के लिए और भी फायदेमंद हो सकती हैं। कम से कम यहां किसानों को टमाटर फेंकना नहीं पड़ेगा। 5 टन क्षमता की प्रोसेसिंग यूनिट शुरू करने में 20 लाख रुपए खर्च आता है। 
 
तीन महीने में फलने लगते हैं
टमाटर की खेती आठ महीने की है। छोटे किसानों ने बताया कि अगस्त-सितंबर में टमाटर बोते हैं। ढाई से तीन महीने में पौधों में टमाटर फलने लगते हैं। एक पौधे से महीने में चार या पांच बार करके 20 बार टमाटर तोड़ा जाता है। मार्च तक टमाटर फलता रहता है। इसमें मुनाफा हो ही जाता है, लेकिन इस बार पूरा मामला उलटा है। जिन खेतों में आठ माह तक मेहनत की गई या की जाने वाली है, उनसे किसानों को एक फूटी कौड़ी मिलना नहीं है। 

 

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