नई दिल्ली। कांग्रेस ने मोदी सरकार पर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) को सुनियोजित ढंग से खत्म करने का आरोप लगाया है और कहा है कि यह गंभीर मामला है और उच्चतम न्यायालय को स्वत: संज्ञान में लेते हुए इसकी जांच कराने का आदेश देना चाहिए। कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने मंगलवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पहले मोदी सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम ंिहदुस्तान एरोनेटिक लिमिटेड (एचएएल) को तबाह करने के लिए राफेल लड़ाकू विमान सौदे में ऑफसेट काम उससे छीनकर एक निजी कंपनी को दिया। सरकार के इस फैसले का इसका दुष्प्रभाव एचएएल के हजारों कर्मचारियों को झेलना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि एचएएल की तरह ही सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की मुनाफा वाली कंपनी ओएनजीसी को खत्म करने की साजिश की। इस संबंध में उन्होंने ओएनजीसी कर्मचारी मजदूर सभा का पिछले माह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र का हवाला दिया जिसमें आरोप लगाया गया है कि मोदी सरकार ने किस तरह से लाभ में चलने वाले इस पीसीयू को घाटे में धकेल दिया और आज कंपनी के पास अपने कर्मचारियों को वेतन देने का पैसा नहीं है।
देश की तेल जरूरत को पूरा करने में सर्वाधिक योगदान देने वाली कंपनी को अब ओवर ड्राफ्ट के माध्यम से अपने कर्मचारियों का वेतन देना पड़ रहा है। प्रवक्ता ने कहा कि ओएनजीसी को डुबोने के लिए मोदी सरकार ने गुजरात राज्य पेट्रोलियम निगम (जीएसपीसी) का सहारा लिया और कहा कि ओएनजीसी इस डूबती कंपनी के शेयर खरीदे। ओएनजीसी ने कंपनी के शेयरों के लिए आठ हजार करोड़ रुपए का भुगतान किया जिससे ओएनजीसी पर आर्थिक दबाव बन गया और उसकी स्थिति दिन प्रतिदिन बिगड़ने लगी।