नई दिल्ली। 16 दिसंबर को देश की राजधानी में पांच दरिंदों ने हैवानियत की सारी हदें पार कर दी थी। उन्होंने एक बस में 23 साल की छात्रा के साथ बलात्कार किया। निर्दयिता की सारी हदें तोड़ते हुए हैवानों ने छात्रा को मरने के लिए बीच सड़क पर फैंक दिया। इस घटना ने सड़क से संसद तक और देश से दुनिया तक के लोगों को हिला कर रख दिया था।
निर्भया को इंसाफ दिलाने के लिए तत्कालीन मनमोहन सरकार ने एक अलग तरह के फंड की घोषणा की जिसका नाम भी निर्भया फंड रखा गया। इस फंड को पास हुए पांच साल हो गए है। ऐसे में ये जानना बेहद जरुरी है कि सरकार के इस फैसले से कितने पीड़ितों को लाभ दे सकी है।
आइए जानते है क्या है निर्भया फंड, किस उद्देश्य से बनाया गया इसे...
क्या है निर्भया फंड
निर्भया फंड बनाया था जिसमें हर वित्त वर्ष में 1,000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था। गृह मंत्रालय ने 2015 में इस फंड के लिए आवंटित धन का मात्र एक फीसदी खर्च होने की वजह से इसे महिला एंव बाल विकास मंत्रालय को निर्भया फंड के लिए नोडल एजेंसी बना दिया। इस फंड के तहत पूरे देश में बलात्कार संबंधित शिकायतों और मुआवजों के निस्तारण के लिए 660 एकीकृत वन स्टॉप सेंटर बनने थे। जिससे पीड़ितओं को कानूनी मदद के साथ-साथ उनकी पहचान भी छिपी रहे।
कितनों की सहायता कर पाई सरकार
2016 में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस भेजा था कि अभी तक निर्भया फंड का इस्तेमाल क्यों नहीं किया गया है। इसी के लिए नोडल एजेंसी का भी गठन किया गया है। जिसे केंद्र सरकार के निदेर्शों के मुताबिक अन्य मंत्रालयों की योजनाओं में इस फंड के इस्तेमाला का रिव्यू करना था। निर्भया फंड के अंतर्गत अभी तक 2,195.97 करोड़ रुपये के 18 प्रपोजन विभिन्न मंत्रालयों से आए हैं जिनमें से 2,187.47 करोड़ रुपये के 16 प्रपोजल को एक उच्चस्तरीय कमिटी ने मंजूरी दे दी है।
निर्भया फंड का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा
इस फंड का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा सेंट्रल विक्टिम कॉम्पेनसेशन फंड है ये बलात्कारी पीड़िताओं को वित्तीय मदद देने के लिए बनाया गया है। इसके तहत सरकार ने 200 करोड़ का फंड बनाया और घोषित किया। इसके तहत रेप या ऐसिड अटैक की पीड़िताओं को 3 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। इसमें 50 फीसदी भारत राज्य सरकारें को देना है हालांकि राज्य सरकार अपना हिस्सा नहीं दे रही है। राज्य सरकारों को कहना है कि उनके पास फंड की कमी है।
क्यों पीड़ितों की मदद करने में नाकाम
सरकार सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुवाई करते हुए कहा था कि इस फंड से तीन मंत्रालय जुड़े है। गृह मंत्रालय, वित्त मंत्रालय और महिला एवं विकास मंत्रालय। इसी वजह से तीनों में भ्रम है कि किसे क्या करना है। केंद्र सरकार इस फंड में धन दे रही है लेकिन राज्य सरकारों को यौन हिंसा संबंधी मुआवजा तब और कितना देना है इसे लेकर कोई स्पष्ट प्रावधान है। इस कोष में भी हर राज्य में एक जैसा प्रवधान नहीं है जैसे गोवा में इसके तहत 10 लाख रुपए के मुआवजे का प्रावधान है जबकि बहुत से राज्यों में 1 लाख का प्रावधान है। निर्भया फंड को खर्च नहीं किए जाने के बारे में महिला और बाल विकास मंत्री से से सवाल किए जाने पर उन्होंने कहा कि इस फंड को सही तरीके से केवल पिछले एक साल में खर्च करना शुरू किया गया है। उन्होंने कहा कि अगले कुछ महीनों में आप जमीनी स्तर पर योजनाओं को देखेंगे।