नई दिल्ली। पर्यावरण और स्वास्थ्य से संबंधित विश्व की तीन बड़ी संस्थाओं के मुताबिक प्रदूषण के कारण पूरे विश्व में प्रति वर्ष करीब एक करोड़ 26 लाख लोगों की मौत हो जाती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू एच ओ), विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) के प्रमुखों के एक संयुक्त संपादकीय में कहा गया है कि पर्यावरण में प्रदूषण का स्तर जानलेवा होता जा रहा है जो स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक साबित हो रहा है। उन्होंने कहा, हमें वैश्विक पर्यावरण को स्वच्छ करने की तत्काल आवश्यकता है।
डब्ल्यूएचओ की महानिदेशक सुश्री मार्गरेट चान ने कहा, मानव स्वास्थ्य के लिए सर्वाधिक पर्यावरणीय खतरा वायु प्रदूषण है जो प्रमुखत: ऊर्जा उत्पादन के कारण होता है। इसके कारण हृदय और फेफड़े से जुड़ी समस्यायें और कैंसर जैसी बीमारियां हो रही हैं। वायु प्रदूषण से प्रति वर्ष लगभग छह लाख 50 हजार लोगों की मौत हो जाती है।
सुश्री चान ने कहा कि ऊर्जा के उत्पादन से प्राणघातक प्रदूषण उत्सर्जित होता हैं जिनमें ब्लैक कार्बन जैसे तत्व शामिल हैं। ऊर्जा संयंत्र ग्रीन हाउस गैस 'मीथेन' और 'कार्बन डाइआक्साइड' भी छोड़ते हैं। ये सभी गैसें जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारक बनते हैं जिससे पर्यावरण के लिए खतरा पैदा करता है। ये खाद्य पदार्थ, जल और आवास को प्रभावित करते हैं।
डब्ल्यूएमओ के महासचिव पेट्री टलास और यूएनईपी के कार्यकारी निदेशक श्री इरिक सोलहिम ने कहा कि पर्यावरण को अत्यंत नुकसान पहुंचा रहे कारकों के निदान के लिए प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है जिससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का हल किया जा सके। इसके लिए समन्वित वैश्विक तंत्र संबंधी योजना की आवश्यकता है। इसी के जरिए इसे हासिल किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2050 तक विश्व की 66 प्रतिशत जनसंख्या शहरों में रहने लगेगी जिससे भारी यातायात, निम्न स्तरीय आवास, पानी की सीमित उपलब्धता और स्वच्छता से जुड़ी सेवाओं के संकट के अलावा स्वास्थ्य संबंधी खतरों का भी सामना करना पड़ेगा।