नई दिल्ली। बीएलके सुपर स्पेशलिटी अस्पताल ने एक हजार से अधिक बोन मैरो ट्रांसप्लांट पूरे करके नई उपलब्धि हासिल की। बीएलके सेंटर फॉर बीएमटी एशिया की सबसे बड़ी बीएमटी इकाई के रूप में उभरा है और इसने उत्तरी भारत में सबसे तेज 1,000 बोन मैरो ट्रांसप्लांट पूरे किए हैं। अस्पताल ने गुरूवार को यहां कहा कि 1000वें रोगी यमन के नज्म एल्डीन (1 साल) है जिसका बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया गया है। नज्म जन्म से थैलेसीमिया से पीड़ति थी और जर्मनी में एक स्वैच्छिक अंतर्राष्ट्रीय रजिस्ट्री के माध्यम से उसे अपना शत प्रतिशत मिलता जुलता बोन मौरो दाता मिला।
हॉस्पिटल के सेंटर फॉर हेमेटो-ऑन्कोलॉजी एंड बोन मैरो ट्रांसप्लांट के वरिष्ठ सलाहकार और निदेशक डॉ. धर्मा चौधरी ने कहा कि बोन मैरो ट्रांसप्लांट के साथ ल्यूकीमिया, मायलोमा, थैलेसीमिया जैसी असाध्य बीमारियों का सफलतापूर्वक इलाज किया जा रहा है और रोगियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लायी जा रही है। यह गंभीर और जानलेवा बीमारियों से लड़ने के लिए एक अभिनव विकल्प के रूप में बोन मैरा ट्रांसप्लांट भरा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2010 में बोन मैरो ट्रांसप्लांट के पहले मरीज पीयूष जोशी भी ट्रांसप्लांट के बाद के 10 साल के जीवन जी चुका और अब वह पूरी तरह से ठीक है तथा सामान्य जीवन जी रहा है। उन्होंने कहा कि न केवल बच्चों को बल्कि बुजुर्गों को भी अत्याधुनिक बीएमटी सुविधा से नया जीवन मिला है।
A